(26 अगस्त की रात 9-30 बजे) "चीन का सुख चैन खत्म! चीन की निकलेगी चीख! चीन के लिए चक्रव्यूह!
सुखोई विमान और ब्रहमोस मिसाइल चीन सीमा पर तैनात।" उपरोक्त शब्द और वाक्य बेहद भड़काने वाले हैं और पडौसी मुल्क से रिश्ते खराब करने वाले हैं, जिनके इस्तेमाल पर किसी व्यक्ति पर संविधान और नियम कानून के अंतर्गत दंडात्मक कार्यवाही हो सकती है लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी का दम भरने वाले और खुद को सबसे तेज मानने वाले मीडिया चैनल का कोई कुछ नहीं कर सकता। यह सब शब्द आज तक चैनल के प्राइम टाइम कार्यक्रम के हैं जिनमे तनिक भी राष्ट्रीय हित नहीं है। उलटे यह ताकतवर चीन को भडकाने का जाने अंजाने किया गया प्रयास है।यह समझदारी की पत्रकारिता तो नहीं ही कही जा सकती। यह बेवकूफी की हद छूता बचकानापन है और टीआरपी के लिए दिखाया गया छद्म राष्ट्र प्रेम है। जब मीडिया खुद पर नियंत्रण न रखे तब उस पर नजर रखने के लिए किसी प्रभावी संस्था का होना बहुत जरूरी है। मीडिया अब सनसनी के लिए युद्ध का उपयोग भी टी आर पी के लिए करने लगा है। धार्मिक झगड़े हों या सरहदी झगड़े मीडिया शांति के प्रयास करने की बजाए दोनों तरफ के उग्र लोगों को पैनलिस्ट बनाकर उन्हें और बढ़ाने की कौशिश करता है और अपनी तरफ से भी बेहद भडकाने वाली भाषा का चयन कर आग मे घी डालने का काम करता है। यह सिर्फ "आज तक" चैनल तक ही सीमित नहीं है अपितु लगभग हर चैनल की कमोबेश ऐसी ही स्थिति है। हम ऐसे चैनलों की भर्त्सना और बहिष्कार तो कर ही सकते हैं। फेसबुक वॉल से।
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