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सप्रे में नितिन मेहता के नाम पर बने कक्ष लोकार्पण के बाद विनोद नागर ने साझा की यादें

मीडिया            Sep 11, 2016


मल्हार मीडिया। भोपाल के सप्रे संग्रहालय में कदम धरते ही पत्रकारिता के तीर्थ में पहुँचने सा अहसास होता है। आज भारतेंदु जयंती के अवसर पर संग्रहालय में तुरत-फुरत आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हुआ। संग्रहालय में आकाशवाणी भोपाल के पूर्व संवाददाता स्व. नितिन मेहता के नाम पर बने कक्ष का लोकार्पण जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव एसके मिश्रा और जनसंपर्क आयुक्त अनुपम राजन ने किया। इस कक्ष में संग्रहीत रेडियो के अनेक पुराने मॉडल टेप रिकॉर्डर आदि आपको सहज ही भारत में रेडियो के स्वर्णिम युग की याद दिलाने लगते है। रेडियो सेट की ही नहीं बल्कि आकाशवाणी के उस सुनहरे दौर के खरे सोने से व्यक्तित्व भी याद आते हैं। स्व. नितिन मेहता भी उसी फेहरिस्त का एक वजनदार नाम है। vinod-nagar नाचीज़ को 1979 से 1996 तक मेहताजी का न केवल स्नेहिल सान्निध्य और बुज़ुर्गवार मार्गदर्शन मिला, बल्कि इन्दौर में आकाशवाणी संवाददाता की 16 वर्ष की सुदीर्घ पारी में त्वरित समाचार संप्रेषण का कौशल तराशने के अनमोल टिप्स भी मिलते रहे। मुझे आज भी याद है उनका वो बड़प्पन। ठीक 15 साल पहले आज ही के दिन 9 सितम्बर 2001 को मैं आकाशवाणी इन्दौर से स्थानांतरित होकर दूरदर्शन भोपाल में सहायक समाचार संपादक के पद पर कार्यभार ग्रहण करने पहुंचा था। दिनभर की व्यस्तता, थकान और भागदौड़ के कारण मेहताजी से संपर्क न कर पाया। शाम को 7 बजे का बुलेटिन कर न्यूज़ रूम से बाहर निकला तो एक सेवक ने सूचना दी बाहर आपसे कोई मिलने आये हैं। केंद्र के बाहर उनकी फिएट देखते ही लगा आज मेरी खैर नहीं। मेहताजी के साथ आकाशवाणी के न्यूज़ रीडर आनंद स्वरुप खरे भी थे। दोनों ने मिलकर खूब लू उतारी फिर उतनी ही आत्मीयता से न्यू मार्केट खाना खिलाने ले गए। व्यक्तिगत स्नेह संबंधों का अधिकारपूर्वक सहज निर्वाह और परवाह अब सिर्फ यादों में सिमट गई है। आपसी संबंधों में सहज स्नेह लुटाने वाली आकाशवाणी भोपाल के समाचार वाचकों की त्रयी- राजेंद्र मिश्र, विनोद तिवारी, आनंद स्वरुप अंतर्ध्यान हो चुकी है।पर उनकी आवाज़ की बुलंदी अब भी श्यामला हिल्स की ढलान पर कानों में गूंजती है। मैं खुशनसीब हूँ कि साठ-सत्तर के दशक में भोपाल में आकाशवाणी की रौबदाब वाली शानदार पत्रकारिता के आयकॉन रहे नितिन मेहता जी के नाम पर सप्रे संग्रहालय में बने कक्ष के लोकार्पण प्रसंग का साक्षी रहा। सप्रे संग्रहालय के संस्थापक एवं निदेशक पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर जी को बहुत बहुत धन्यवाद और साधुवाद। वरिष्ठ पत्रकार विनोद नागर के फेसबुक वॉल से


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