मल्हार मीडिया।
गांधी एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचार था। उनके जैसा कोई दूसरा जनतांत्रिक नहीं हुआ, जिसने हर व्यक्ति को एक राष्ट्र माना। गांधी जी सबके कल्याण के लिए चिंतित रहे। कुछ ऐसे विचार रविवार को मध्यप्रदेश की राजधानी स्थित माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय के सभागार में सुनाई दिए। इसी के साथ यहां चल रहे दो दिनी बौद्धिक अनुष्ठान का समापन हुआ। चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष के निमित्त हुए इस आयोजन के दूसरे दिन 'महामानव गांधी:कालजयी अवदान विषय पर संगोष्ठी तथा इसी शीर्षक पुस्तक का लोकार्पण हुआ। दूसरे चरण में समाज चिंतक किशन पंत का अभिनंदन किया गया।
वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री प्रो. रमेशचंद्र शाह की अध्यक्षता में हुई संगोष्ठी में समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर एवं कवि-आलोचक डॉ. विजय बहादुर सिंह के वक्तव्य हुए। इस अवसर पर प्रसिद्ध पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट की विशेष मौजूदगी रही।
संगोष्ठी की का शुभारंभ करते हुये समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर ने अपना वक्तव्य गांधी के कालजयी योगदान के साथ-साथ लोकमानस में गांधी विषय पर भी केन्द्रित रखा। उन्होंने कहा कि गांधी ने अकेले चलने और अपना निर्णय लेने का मंत्र हमें दिया। बापू ने प्रेम-सौहार्द्र से रहने की कला सिखाई यह उनके कालजयी अवदानों में प्रमुख है। श्री ठाकुर ने मौजूदा समय में गांधी के विचारों को अप्रासंगिक किए जाने के प्रयासों पर दु:ख जताते हुए कहा कि सोशल मीडिया के जरिए युवाओं तक गांधी को पहुंचाया जाना चाहिए। उन्होंने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन गांधी के विचारों को पूजने वाला है।
सुप्रसिद्ध कवि एवं आलोचक डॉ. विजय बहादुर सिंह ने कहा कि गांधी को याद करने का समय नहीं है बल्कि गांधी को जीने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गांधी में जनकल्याण की भावना प्रबल थी, यही वजह है कि उन्होंने पहली बार किसान,महिला तथा दरिद्र तबके की बात उठाई थी। सत्र की अध्यक्षता कर रहे पद्मश्री प्रो. रमेशचंद्र शाह ने कहा कि गांधी ने अहिंसा से ज्यादा महत्वपूर्ण सूत्र अभय और स्वावलंबन के दिए हैं। उनके इन विचारों को जिंदा रखना ही होगा। इस अवसर पर चंडी प्रसाद भट्ट ने भी अपने विचार रखे। श्री शाह ने गांधी को सबसे बड़ा पत्रकार बताया।
इसके पूर्व संग्रहालय द्वारा प्रकाशित पुस्तक 'महामानव गांधी का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। किताब में गांधी पर केन्द्रित आलेखों के साथ ही गांधी जी पर विभिन्न विचारकों द्वारा की गई टिप्पणियां और गांधी जी की टिप्पणियों का संग्रह किया गया है, जो गांधी को समग्र रूप से समझने में सहायक हैं।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में समाज चिंतक किशन पंत को मित्र श्रेष्ठ सम्मान से सम्मानित किया गया। उन पर केन्द्रित किताब 'अपने-अपने किशन पंत तथा लोक संस्कृति मर्मज्ञ वसंत निरगुणे की पुस्तक 'जनजातीय संस्कृति का विमोचन भी हुआ। आ
कार्यक्रम के आरंभ में संग्रहालय के संस्थापक निदेशक विजय दत्त श्रीधर ने आयोजन के उद्येश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि चंपारण सत्याग्रह भारत में गांधी का पहला कदम था उसके सौ वर्ष पूरे होने जा रहे हैं तथा गांधी आज की आवश्यकता हैं। उनके विचार लोगों तक पहुंचे इस मंशा से दो दिनी इस विमर्श का आयोजन किया गया।
अंत में आभार प्रदर्शन संग्रहालय के उपाध्यक्ष प्रो. रत्नेश ने किया तथा संचालन राकेश पाठक ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के प्रबुद्धजन मौजूद रहे।
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