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हैवानियत के आगे इंसानियत शर्मसार:पत्रकार की मां से थाने में रेप में नाकाम होने पर जलाया

मीडिया, वामा            Jul 06, 2015


मल्हार मीडिया डेस्क अभी शाहजहांपुर के पत्रकार जागेन्द्र मध्यप्रदेश के बालाघाट के संदी बाराबंकी में अमर प कोठारी की मौत का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि उत्तरप्रदेश में थाने के अंदर न सिर्फ मर्यादाओं की सीमा लांघी गई बल्कि इंसानियत को शर्मसार करने वाली वारदात को अंजाम दिया गया। अमर उजाला अखबार के पत्रकार संतोष त्रिवेदी की मां से थाने के भीतर बलात्कार की कोशिश की गई और कामयाबी नहीं मिली तो उन्हें पेट्रोल डालकर जला दिया गया । वे गंभीर हालत में लखनऊ में जिंदगी और मौत से जूझ रही हैं। वह थाने में अपने पति को छुड़ाने के लिए गयी थी जिन्हें पूछताछ के नाम पर पुलिस ने बेवजह बैठा रखा था। पति को छोडने के एवज में पहले उनसे एक लाख रुपये मांगे गये और फिर थानाध्यक्ष के कमरे में ले जाकर उनसे बलात्कार की कोशिश की गयी। बाराबंकी जनपद के कोठी थाने में रेप में नाकाम होने पर दारोगा और एसआई ने पीड़ित महिला के ऊपर पेट्रोल डालकर जला दिया, जिससे महिला गम्भीर रूप से झुलस गई। महिला को उपचार के लिये जिला अस्पताल बाराबंकी में भर्ती कराया गया लेकिन हालत गम्भीर होने पर चिकित्सकों ने महिला को ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। जहां वह जिन्दगी और मौत से जंग लड़ रही है। इस मामले में एसपी बाराबंकी ने थानाध्यक्ष कोठी और एसआई को सस्पेंड कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बाराबंकी जनपद के कोठी थाने पर सोमवार की सुबह पीड़ित महिला नीतू शर्मा अपने पति को छुड़ाने के लिये गई थी। नीतू का आरोप है कि एसओ राय सिंह यादव और एसआई अखिलेश ने उसे कमरे में बुलाया और रेप करने की कोशिश की। विरोध करने पर उस पर पेट्रोल उड़ेल दिया और आग लगा दी, जिससे वह गम्भीर रूप से जल गई। एसओ का कहना है कि चार जुलाई को थाना क्षेत्र में गंगा प्रसाद को गोली मारी गई थी, जिसमें नीतू का भाई नन्दू भी नामजद है। इस मामले में नीतू के पति को पुलिस पूछताछ के लिये थाने लाई थी, जहां नीतू छोड़ने का दबाव बना रही थी। पूछताछ के बाद ही छोड़ने की बात कही गई तो उसने मिट्टी का तेल अपने ऊपर गिराकर स्वयं को आग लगा ली। अमिताभ ठाकुर, आईजी : यह बेहद शर्मनाक घटना है। तत्काल एफआईआर दर्ज करके दोषी पुलिसकर्मियों को जेल भेजा जाना चाहिए। हैरानी की बात है कि बेकसूर लोगों को बेवजह थाने लाया जा रहा है और उनसे अवैध वसूली की जा रही है। अगर एसएसपी भी कुछ नहीं कर पा रहे तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए बड़े अफसरों को नहीं मतलब बाराबंकी में अमर उजाला अखबार के पत्रकार की मां को खुलेआम जला दिया गया। जब डिटेल जानने के लिए डीजीपी, एडीजी कानून व्यवस्था के मोबाइल और लैंड लाइन नम्बरों पर कई बार कॉल की गई और बताया गया कि बाराबंकी में पत्रकार की मां जला दी गयी है, इस पर अपना पक्ष दीजिए। पुलिस का पक्ष जानने की बात कहने पर उधर से कहा गया कि अपना नम्बर दे दीजिये, साहब व्यस्त हैं। नम्बर देने के दो घंटे बाद भी किसी भी अफसर ने फोन करने की जहमत नहीं उठाई। बाराबंकी के एसपी अब्दुल हमीद अपने कारनामों से वैसे भी चर्चा में रहते हैं। इनपुट भडास4मीडिया


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