ममता यादव।
निष्पक्ष पत्रकार किसी विचारधारा का नहीं होता है। उसे किसी से प्रेम, स्नेह नहीं होता। वह सिर्फ और सिर्फ जनता के हित की बात करता है। जहां सरकार गलत होती है वहां उसे सचेत करता है। वह न किसी का अंधविरोध करता है न ही अंधसमर्थन।
अफसोस अब जिसकी भी सरकार होती है वो ही ऐसे पत्रकारों को विरोधी पार्टी का करार दे देता है। 6-7 महीने पहले मध्यप्रदेश की सत्ताधारी पार्टी के लोग ऐसे पत्रकारों पर वारी-वारी जाते थे। अब जब खुद की बारी आई तो ये ऐसे पत्रकारों को संघी विचारधारा का बताने से भी नहीं चूक रहे।
पिछले दिनों एक वरिष्ठ पत्रकार ने सही कहा था इसको खुद के लिये रिवार्ड की तरह लो और ये मानो कि तुम निष्पक्ष पत्रकारिता कर रही हो इसलिए इनको नजरअंदाज करो। मेरा मानना है जो पत्रकार बनकर किसी विचारधारा से प्रभावित होकर खबरों की सत्यता से न खेले वही असल पत्रकार है। बाकी तो अपन खुश हैं कि अपन को ये रिवार्ड वर्तमान सरकार में झोली भर-भरकर मिल रहा है।
यहाँ तक कहा गया कि मुझे विपक्षी पार्टी ने फायनेंस किया है। तो समझदारों जब तुम विपक्ष में थे तुमने फायनेंस किया था क्या? याद रखिये जिनकी जरूरतें कम होती हैं मेहनत करने की हिम्मत होती है उन्हें किसी से अहसान लेने की जरूरत नहीं पड़ती। खैर समय है कि अगर ऐसा कुछ हो तो पत्रकार भी खामोश न रहें।
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