मल्हार मीडिया भोपाल।
भोपाल। समाज आज भी समर्पण,निष्ठा और संघर्ष को सम्मान की नजर से देखता है। इसका जीवंत प्रमाण है ‘जन अभिनंदन’।
समारोह आज हम यहां एक व्यक्ति का नहीं उस भावना के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर रहे हैं, जिसने समाज और सरकार से कोई अपेक्षा न कर अपनी कर्मठता से इस समाज को एक ऐसी धरोहर सौंपी है जो आने वाली पीढिय़ों के लिए ज्ञानतीर्थ से कम नहीं होगी।
इस आशय के विचार आज हिंदी भवन में सुनाई दिए। अवसर था पत्रकारिता के कर्मवीर पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर के ‘जन अभिनंदन’ समारोह का।
मप्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, तुलसी मानस प्रतिष्ठान और गांधी भवन द्वारा श्रीधर के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर किया गया था। समारोह की अध्यक्षता हिंदी भवन न्यास के अध्यक्ष सुखदेव प्रसाद दुबे कर रहे थे।
कार्यक्रम में हिंदी भवन के मंत्री संचालक कैलाश पंत, तुलसी मानस प्रतिष्ठान की ओर से रघुनंदन शर्मा तथा गांधी भवन के दयाराम नामदेव की उपस्थिति में उत्सवमूर्ति विजयदत्त श्रीधर को शॉल,श्रीफल और अभिनंदन पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
आयोजन के उद्येश्य पर प्रकाश डालते हुए कैलाशचंद्र पंत ने कहा कि इस आयोजन के पीछे हमारी मंशा थी कि एक संकल्पशक्ति का सम्मान हो।
विजयदत्त श्रीधर ने अपने संकल्प और कर्मठता के बल पर पत्रकारिता और खासकर आंचलिक पत्रकारिता को तो मुकाम दिलाया ही लेकिन सप्रे संग्रहालय की स्थापना कर उसे जिस तरह विकसित किया वह अपने आप में अद्वितीय है।
उस त्याग और संघर्ष भावना का यह सम्मान है।
मानस भवन के कार्यवाहक अध्यक्ष रघुनंदन शर्मा ने कहा कि श्रीधर जी ने जो अर्जित किया उसे अपने तक सीमित न रख दूसरों को बांटने का भाव भी रखते हैं।
वे चाहते हैं कि सप्रे संग्रहालय जैसे केंद्र शहर में और विकसित हो, इसके लिए वे हमेशा मदद को तत्पर रहते हैं। गांधी भवन के दयाराम नामदेव ने कहा कि बनारस के बाद साहित्य का ऐसा विपुल संग्रह भोपाल के सप्रे संग्रहालय में ही मिला है।
अपने सम्मान के प्रतिउत्तर में बड़े ही भावुक शब्दों में कहा कि मुझे माखनलाल चतुर्वेदी ने अपना खजाना अपने भाई ब्रजभूषण चतुर्वेदी को सौंपा था, ब्रजभूषण जी ने यह धरोहर मुझे पूरे विश्वास के साथ सौंपा।
ऐसे ही देश के अन्य शीर्षस्थ साहित्यकारों ने अपनी धरोहर नहीं अपना ‘भरोसा’ सौंपा है यही मेरी पूंजी और ताकत भी ।
सम्मानित विभूति विजयदत्त श्रीधर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर चर्चा करते हुए सूचना आयुक्त विजयमनोहर तिवारी ने कहा कि श्रीधर जी ने अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ समाज को दिया है। लेकिन अब समाज और सरकार की जिम्मेदारी है कि इस धरोहर का विस्तार करे।
कार्यक्रम में नगर के साहित्यकारों और पत्रकारों ने भी पुष्पगुच्छ भेंट कर श्रीधर जी के प्रति शुभेच्छाएं व्यक्त की। प्रशस्ति पत्र का वाचन सुनीता खत्री ने किया। सरस्वती वंदना राजकुमारी शर्मा ने प्रस्तुत की।
आभार प्रदर्शन समाजसेवी और वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. नरेन्द्र गार्गव ने किया। संचालन हिंदी भवन के कार्यकारी मंत्री संचालक डॉ. सुरेन्द्रबिहारी गोस्वामी ने किया।
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