Breaking News

पत्रकारिता के छात्रों के लिए मुफीद है श्याम चतुर्वेदी की किताब

मीडिया            Oct 12, 2022


आरिफ मिर्ज़ा

कहानी में छोटा सा किरदार है

हमारा मगर, एक मयार है

खुदा तुझको सुनने की तौफ़ीक़ दे

मिरी खुशी, मेरा इज़हार है।

65 बरस के श्याम चतुर्वेदी करीब 45 बरस से आंचलिक पत्रकारिता कर रहे हैं।

विदिशा ज़िले की लटेरी तहसील और अतराफ़ में श्याम भाई का नाम एक ईमानदार सहाफी (पत्रकार) के तौर पे बड़े अदब से लिया जाता है।

आमतौर से तहसील के अख़बारी नुमाइंदों के साथ कायदे से या बिना किसी मिस्टेक के खबर लिखने की सलाहियत बहुत कम होती है।

अक्सर देखने मे आता है कि आंचलिक पत्रकार पूरी यरह से तालीमयाफ्ता भी नहीं होते। लेकिन श्याम चतुर्वेदी इस मामले में बिल्कुल अलहदा किस्म के सहाफी कहे जा सकते हैं। आपने बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से एमए एलएलबी किया और तीस बरस पेले जब सहाफियों के लिए खुली माखनलाल यूनिवर्सिटी से आंचलिक पत्रकारों के ट्रेनिंग प्रोग्राम का हिस्सा भी बने।

श्याम जी ने लगभग हर अदीब (साहित्यकार) को पढ़ा और किताबें पढ़ने की उनकी ये दिलचस्पी आज भी बरक़रार है।

1978 से सहाफत कर रहे श्याम चतुर्वेदी ने नवभारत, नईदुनिया, दैनिक जागरण और स्वदेश के आंचलिक संवाददाता के तौर पे लपक काम किया। उनकी लिखी खबरों में शायद ही कोई कमी निकलती हो।

इन्हें पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर, सोमदत्त शास्त्री, ध्यान सिंह तोमर राजा की रहनुमाई मिलती रही।

आज यहां इनका ज़िकर बतौर-ए-खास इस लिए की श्याम चतुर्वेदी की पहली किताब 'पत्रकारिता के विविध आयाम' उनवान से हाल ही में मंज़रे आम पे आई है।

150 पेज की इस किताब को भोपाल के लोक प्रकाशन ने छापा है।

इस किताब का दीबाचा (प्रस्तावना) विजयदत्त श्रीधर जी ने जबकि प्राक्कथन भारतीय जनसंचार विवि दिल्ली के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने लिखा है।

इस किताब में मुक्तसर अंदाज़ में सहाफत की तारीख (इतिहास) लिखी गई है।

गोया के अंग्रेज़ों के ज़माने में अखबारों के शाया होने के कानून की जानकारी भी इसमें है। सहाफत के मक़सद को भी ये किताब बखूबी समझाती है।

खबर को लिखने, खबर को चुनने और उसमें फेक्ट के समावेश को लेकर इस किताब में बेहतर जानकारी मौजूद है।

किसी खबर को सहाफी किस तरह खास बना सकता है इसके गुर भी ये किताब नुमायां करती है।

खबरों की शैली और उसकी ज़ुबान क्या हो इस पर श्याम चतुर्वेदी ने उम्दा संदर्भ जुटाए हैं। पत्रकारिता की किस बीट में क्या खासियत होती है और बीट के मुताबिक शब्दावली क्या हो इसका इल्म भी इसमें बेहतरीन तरीक़े से नज़र आता है।

प्रेस और पुस्तक रजिस्ट्रेशन और भारतीय प्रेस परिषद के बारे में भी किताब में उम्दा जानकारी है।

 ये किताब पत्रकारिता के तालिबे इल्म (सहाफत के छात्र) के लिए बहुत मुफीद साबित हो सकती है।

श्याम चतुर्वेदी सरकारी सिस्टम पर बहुत जल्दी एक और किताब ला रहे हैं।

जिसमें सरकारी महकमों में हो रहे करप्शन की बानगी होगी।

सहाफत को दिल से जीने वाले और कई अवार्ड अपने नाम करने वाले श्याम चतुर्वेदी को अपनी पेली किताब के लिए सूरमा की मुबारकबाद।

फेसबुक वॉल से

 

 

 



इस खबर को शेयर करें


Comments