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विचित्र कुमार सिन्हा : इश्क़ बेमज़ा था तेरी दुश्मनी के पहले

मीडिया            Feb 13, 2023


लाजपत आहूजा।

शरद जोशी ने अपने व्यंग्य संग्रह राग भोपाली में एक जगह लिखा है कि - कमला पार्क से तलैया चला जाता हूँ .एक जगह चार -पाँच शायर एक नज़्म सुन रहे है -

आजा रकीब मेरे ,तुझको गले लगा लूँ

मेरा इश्क़ बेमज़ा था , तेरी दुश्मनी के पहले .

कमला पार्क से थोड़ा आगे ,राजभवन -रवीन्द्र भवन के बीच के मार्ग का नाम है -विचित्र कुमार सिन्हा मार्ग. यह बिल्कुल भी विचित्र नहीं है कि इस नाम के शख़्स ने हर रूप में यह मीठी रकीबी निभाई है .

फिर चाहे स्वाधीनता के पहले गुना के कवि सम्मेलन में जब बच्चन जी ने मधुशाला सुनाई तो उसी मंच से उन्होंने अपनी आशु कविता सुनाई कि देश बेड़ियों में है और कवि मधुपान करा रहें हैं .

 नतीजा उसी मंच से बच्चन जी ने घोषणा की कि स्वाधीनता मिलने तक वे मंचों से इसका पाठ नहीं करेंगे .इस स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को आंदोलन से हटाने के लिये अफसरी का प्रस्ताव मिला . उसे ठुकराते हुए उन्होंने रियासत बदर का दंड स्वीकार किया.

उज्जैन में उन्हें पांडेय बैचेन शर्मा उग्र का साथ मिला और विचित्र कुमार का नाम भी . वे कई बार जेल गए . मित्र मंडल की स्थापना की .हरिजन पाठशाला खोली .कई राष्ट्रीय पत्रों के लिये लेखन किया .स्वयं भी विचित्र विनोद , क्षितिज किरण सहित कई पत्र-पत्रिका निकाले .हिन्दी ब्लिटज का टाइटल यहाँ उनके पास था .

करंजिया यहाँ से निकालना चाहते थे. नियमों के अनुसार इनकी सहमति ज़रूरी थी . करंजिया जैसे नामी गिरामी हस्ती को विचित्र कुमार सिन्हा की विचित्रता का सामना करना पड़ा .ब्लिट्ज़ नहीं निकल सका .

१४ फ़रवरी उनका जन्म दिवस है .कई वर्षों से उनके पुत्र उनकी स्मृति में एक समारोह करते हैं जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के सामाजिक योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया जाता है . विचित्र विनोद का चुटीला होली अंक भी उनकी ही शैली में अभी भी निकलता है . भोपाल इस कर्मयोगी को इस दिन याद करता है .

लेखक जनसंपर्क संचालक रहे हैं।

 



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