सतीश चंद्र मिश्रा।
भारत की महिला मुक्केबाजों ने विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में 4 स्वर्णपदक जीत कर नया इतिहास रच दिया है। इन मुक्केबाजों की यह ऐतिहासिक सफलता देश के लिए गर्व का विषय है।
उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि की कहानी देश के नौजवानों, विशेषकर भारत की बेटियों के लिए लंबे समय तक प्रेरणास्रोत का काम करेगी।
लेकिन देश की बेटियों की इस वैश्विक विजय की अनुपम गाथा न्यूजचैनलों से गायब है।
इन बेटियों की विजयगाथा के बजाय न्यूजचैनलों पर एक हत्यारा गुंडा माफिया छाया हुआ है।
न्यूजचैनलों के रिपोर्टरों की फ़ौज में इस बात की होड़ लगी हुई है कि, वो सबसे पहले यह बताएं कि, उस हत्यारे गुंडे ने कब कब खाना खाया, कब पानी पिया, कब पेशाब की, कब मल त्याग किया।
पत्रकारिता के पितामह स्वर्गीय गणेश शंकर विद्यार्थी की आत्मा पत्रकारिता के नाम पर हो रहे इस अनाचार व्यभिचार को देखकर अपना सिर पटक पटक कर रो रही होगी।
उल्लेखनीय है कि, भारत ने नई दिल्ली में चार स्वर्ण पदकों की जीत के साथ महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप का समापन किया है।
टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता लवलीना बोर्गोहेन ने कल शाम नई दिल्ली के इंदिरा गांधी खेल परिसर में मिडिलवेट 75 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया की केटलिन पार्कर को हराकर भारत के लिए चौथा स्वर्ण पदक जोड़ा।
विश्व चैंपियनशिप में लवलीना का यह पहला स्वर्ण पदक है।
इससे पहले, भारतीय मुक्केबाज़ निखत ज़रीन ने वियतनाम की गुयेन थी टैम को 50 किग्रा लाइट फ्लाई वेट वर्ग में हराकर टूर्नामेंट में भारत के लिए तीसरा स्वर्ण जीता।
26 वर्षीय इस मुक्केबाज ने लगातार दूसरी बार वर्ल्ड चैंपियन बनकर इतिहास रच दिया।
वह मैरी कॉम के बाद एक से अधिक विश्व खिताब जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला मुक्केबाज बन गई हैं।
शनिवार को भारतीय मुक्केबाज नीतू घनघास और स्वीटी बूरा ने चैंपियनशिप में देश के लिए दो स्वर्ण पदक जीते थे।
कौशल सिखौला जी की वॉल से
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