ओम प्रकाश।
महिला क्रिकेट पर लिखने और देखने वालों की भारी कमी है।
भारतीय मीडिया के दृष्टिकोण से देखें तो महिला क्रिकेट क्राउड मैटेरियल नहीं है।
यही वजह है जिस दिन इंडियन वुमेन टीम मैच खेलती तब कुछ खबरें लिखी जाती हैं।
इसके अलावा जिस दिन स्पोर्ट्स सेक्शन में ट्रैफिक में गिरावट होती है तब स्मृति मंधाना और हरलीन देओल जैसी स्मार्ट दिखने वाली क्रिकेटरों पर गैलरी बना दी जाती है।
ताकि डैमेज कंट्रोल किया जा सके।
कुल मिलाकर मीडिया संस्थानों में बैठे लोगों का सीधा फंडा है कि जिस स्टोरी को पढ़ने के लिए भीड़ एकत्रित न हो वो बेमतलब है।
कई खेल पत्रकार भी ऐसे हैं जो महिला क्रिकेट की अपेक्षा पुरुष क्रिकेट पर ज्यादा फोकस करते हैं।
ट्रैफिक के लिहाज से पुरुष क्रिकेट महिला क्रिकेट से कोसों आगे है।
ऐसे पत्रकार पुरुष टीम के मैच के दौरान या बाद में सोशल मीडिया पर जरूर लिखते हैं। लेकिन जब महिला टीम का मैच होता है तब वही लोग लिखने से कतराते हैं।
ऐसे पत्रकार सिर्फ उस दिन लिखेंगे जब महिला टीम का मुकाबला पाकिस्तान से होगा।
एक बात स्मरण रहे आप तभी बेहतर खेल पत्रकार होंगे जब खिलाड़ियों की अपेक्षा खेल को महत्व देंगे।
क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस और दीगर खेलों को मिलाकर करीब 30-35 खिलाड़ी होंगे जिन पर लिखने से ट्रैफिक आता है।
जो पत्रकार खेल के बदले खिलाड़ियों को तवज्जो देते हैं अक्सर मैंने उन्हें बहस करते और सफाई देते पाया है।
एक खेल पत्रकार का एरिया 35 खिलाड़ियों से बहुत आगे है।
हमें खेल का मुरीद होना चाहिए खिलाड़ी का नहीं।
महिला एशिया कप 2022 में 1 अक्टूबर को इंडियन वुमेन टीम का मुकाबला श्रीलंका से था। जिन लोगों ने हॉट स्टार पर मैच देखा होगा उन्हें पता है कि शुरुआत के 10 ओवर तक सिर्फ एक लाख लोग देख रहे थे।
ये तब था जब टीम इंडिया बल्लेबाजी कर रही थी।
क्रिकेट की कुछ परंपरागत अंग्रेजी वेबसाइट को छोड़ दिया जाए तो बाकी जगह खबरों की खासी कमी थी।
अब बात इस आर्टिकल की, 2022 में कालनिर्णय हिंदी कैलेंडर के 50 साल पूरे हुए थे।
कैलेंडर वालों का प्लान था कि इस अवसर पर महिला क्रिकेट से संबंधित आलेख छापा जाए।
एक बेहद आत्मीय सज्जन ने उन्हें मेरा नाम सुझाया. तब मैंने ये आर्टिकल लिखा था।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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