मल्हार मीडिया भोपाल।
पुरोधा संपादक, मूर्धन्य साहित्यकार और महान स्वतंत्रता सेनानी दादा माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मभूमि ‘बाबई’ को ‘माखननगर’ नाम दिया गया। यह ज्ञात इतिहास की विरल परिघटना है। शब्द साधक का ऐसा असाधारण सम्मान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की संकल्पनिष्ठ पहल का परिणाम है।
सप्रे संग्रहालय के संस्थापक-संयोजक विजयदत्त श्रीधर ने इस महत्तम श्राद्ध अनुष्ठान के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आभार माना है। इसके अलावा सप्रे संग्रहालय, मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, तुलसी मानस प्रतिष्ठान, मध्यप्रदेश लेखक संघ ने इस उपलक्ष्य में मुख्यमंत्री का अभिनंदन करने की घोषणा की है।
उल्लेखनीय है कि दादा माखनलाल चतुर्वेदी हिन्दी में राष्ट्रीय काव्य धारा के उन्नायक माने जाते हैं। हिन्दी-पत्रकारिता को उन्होंने ‘प्रभा’, ‘कर्मवीर’ के माध्यम से तेजस्वी तेवर प्रदान किए। महाकोशल में स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया। वे महात्मा गांधी के पहले आंदोलन में मध्यप्रदेश के प्रथम कारावासी सत्याग्रही हुए। सागर जिले के रतौना में कसाईखाना कायम करने के फिरंगी हुकूमत के निर्णय के खिलाफ प्रबल आन्दोलन कर हुकूमत को फैसला वापस लेने पर विवश किया। सन 1923 के झण्डा सत्याग्रह का सफल नेतृत्व किया।
‘एक भारतीय आत्मा’ दादा माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मभूमि ‘बाबई’ अब ‘माखननगर’ के नाम से जानी जाने लगी। सात फरवरी 2022 को मध्यप्रदेश शासन ने इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी है।
‘बाबई’ स्थित श्री माखनलाल चतुर्वेदी शासकीय महाविद्यालय, माखननगर; सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, माखननगर; निर्वाचन कार्यालय तहसील, माखननगर; कार्यालय तहसीलदार एवं कार्यपालिक दण्डाधिकारी, माखननगर; जनपद पंचायत, माखननगर; कार्यालय नगर परिषद, माखननगर; म.प्र.म.क्षे. वि.वि. कं.लि. वितरण केन्द्र, माखननगर; पुलिस थाना, माखननगर समेत सभी शासकीय संस्थानों के नामपट में ‘माखननगर’ अंकित कर दिया गया है।
मुख्य मार्ग से उस घर की ओर जाने वाले रास्ते पर बने प्रवेश द्वार पर भी ‘साहित्य देवता मार्ग, माखननगर’ लिख दिया गया है। निजी व्यवसायी प्रतिष्ठानों के नामपटों में पहले से ही ‘माखननगर’ का प्रयोग किया जाता रहा है।
इतना ही नहीं माखननगरवासी अपने डाक के पतों में भी ‘माखननगर’ (बाबई) नाम का प्रयोग करते रहे हैं। स्थानीय पत्रकारों ने भी अपने समाचारों की शुरुआत ‘माखननगर’ का उल्लेख करते हुए संप्रेषित करने का सिलसिला तीन दशक से चला रखा है।
सप्रे संग्रहालय के संस्थापक-संयोजक विजयदत्त श्रीधर कहते हैं कि ‘एक भारतीय आत्मा’ की जन्म शताब्दी का आयोजन सन 1988 में ‘बाबई’ में किया गया था। इस अवसर पर हुई सार्वजनिक सभा में माखनलाल जी के कालजयी अवदान की महत्ता के अनुरूप ‘माखननगर’ नामकरण की सर्वसम्मति से माँग की गई थी।
वे आगे कहत हैं कि 4 अप्रैल 1988 को दादा के एक सौवें जन्मदिन पर मध्यप्रदेश विधानसभा में अध्यक्ष राजेन्द्र शुक्ल के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह और नेता प्रतिपक्ष कैलाश जोशी के अनुमोदन से तदाशय का संकल्प भी पारित किया गया था।
श्रीधर जी कहते हैं हालांकि बाद के तीन दशकों तक किसी ने नामकरण की प्रक्रिया पूरी करने पर ध्यान नहीं दिया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने होशंगाबाद का नामकरण ‘नर्मदापुरम्’ करने का बीड़ा उठाया तब उन्होंने ‘बाबई’ का नाम ‘माखननगर’ करने का संकल्प भी साथ में जोड़ लिया। उनकी कोशिशों को भारत सरकार की स्वीकृति मिली और माखननगरवासियों की अभिलाषा पूरी हुई।
मूर्धन्य साहित्यकार और संपादक के यशस्वी कृतित्व को जैसा सम्मान प्रदान किया गया है, उससे साहित्य और पत्रकारिता जगत में गौरव का भाव है।
‘एक भारतीय आत्मा’ दादा माखनलाल चतुर्वेदी की वर्षगाँठ पर 4 अप्रैल 1989 पर दादा की कर्मभूमि खण्डवा में विषाल समारोह का आयोजन हुआ था। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा, विधिवेत्ता लक्ष्मीमल्ल सिंघवी और प्रखर संपादक प्रभाष जोशी की पहल पर की थी।
सन 1990-91 में यह घोषणा फलीभूत हुई। भोपाल में एशिया का पहला पत्रकारिता विश्वविद्यालय - माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय स्थापित हुआ और सफलतापूर्वक संचालित हो रहा है।
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