दीपक गोस्वामी।
भाजपा खुद से मीडिया को तीखे सवाल पूछने देना ही नहीं चाहती
और कांग्रेस मीडिया के तीखे सवालों पर यह कहकर बचकर निकल जाती है कि हमसे ही क्यों तीखे सवाल करते हो, उनसे करो न.
कुल मिलाकर दोनों ही दल तीखे सवालों के जबाव देने से बच रहे हैं.
एक दल ने मीडिया को मैनेज करके सवाल पूछने लायक नहीं छोड़ा है तो दूसरा दल इसी का लाभ उठाकर खुद भी तीखे सवालों का सामना करना नहीं चाहता. कोई सवाल कर भी ले तो चिढ़ जाता है.
मतलब की दोनों ही दलों के पास ऐसा कुछ नहीं है जो पेश कर सकें.
दोनों ही दल आकंठ कीचड़ में डूबे हुए हैं और नहीं चाहते कि कोई उन्हें उनका असली चेहरा दिखाए.
इसलिए भाजपा और कांग्रेस में कोई खास अंतर नहीं दिखता. बस भाजपा सत्ता में है तो उसका लाभ मीडियाबंदी करके उठा रही है. कांग्रेस सत्ता में नहीं है तो भाजपा की उलाहना देकर बचकर निकल जाती है. तय है कि वह भी सत्ता में आ जाए तो ऐसा ही करने वाली है.
बस जबाव दोनों ही नहीं देना चाहते या कहूं कि दोनों दलों के पास जनता के सवालों के जबाव, नीतियां और जन समस्याओं का समाधान नहीं है. इसलिए तीखे सवालों से चिढ़ते हैं.
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