मल्हार मीडिया ब्यूरो।
केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय पर पुनर्विचार याचिका दायर कर सकती है, जिसमें राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए समय सीमा निर्धारित की गई है।
समय सीमा की समीक्षा की मांग के अलावा सरकार उस आदेश की समीक्षा की मांग कर सकती है, जिसके अनुसार यदि राज्यपाल द्वारा विचार के लिए भेजे गए विधेयक पर राष्ट्रपति अपनी मंजूरी नहीं देते हैं, तो राज्य सरकारें सीधे सुप्रीम कोर्ट से संपर्क कर सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर हो सकती है
सूत्रों ने बताया कि इस मुद्दे पर सरकार के शीर्ष स्तर पर सक्रिय विचार-विमर्श चल रहा है। पूरी संभावना है कि सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी। यह याचिका किस आधार पर दायर की जाएगी, इस पर विचार किया जा रहा है और सरकार के सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद ही इसका पता चल सकेगा। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्यपाल द्वारा विचार के लिए भेजे गए विधेयकों पर राष्ट्रपति को तीन महीने में निर्णय लेना होगा।
इस पीठ के समक्ष दायर करनी होगी पुनर्विचार याचिका
सूत्रों ने बताया कि अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट जाती है, तो उसे पुनर्विचार याचिका जस्टिस जेबी पारदीवाल और जस्टिस आर महादेवन की उसी पीठ के समक्ष दायर करनी होगी, जिसने फैसला सुनाया था। आठ अप्रैल के फैसले के बाद तमिलनाडु सरकार ने सरकारी राजपत्र में 10 लंबित विधेयकों को अधिनियम के रूप में अधिसूचित किया और सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का हवाला दिया कि उसे स्वीकृति मिल गई है।
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