मल्हार मीडिया ब्यूरो।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि देश में बीमारियों का बोझ बढ़ रहा है, इसलिए आने वाले समय में डॉक्टरों के काम चुनौतीपूर्ण होने वाले हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए 'रोगों के निदान' से ज्यादा 'बचाव की पहल' को अपनाना चाहिए।
राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान द्वारा आयोजित दूसरे फाउंडेशन पाठ्यक्रम के जनरल ड्यूटी चिकित्सा अधिकारियों (जीडीएमओ) को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "हमारे देश में बीमारियों की प्रकृति बदलाव के दौर से गुजर रही है। हमें टीबी, मलेरिया और डेंगू जैसी फैलने वाली बीमारियों से निपटने के साथ-साथ अन्य बढ़ रही बीमारियों से भी निपटना होगा।
स्वास्थ्य प्राथमिकताओं में परिवर्तन को देखते हुए सरकार एक दशक से अधिक समय के बाद एक संशोधित राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति लेकर आ रही है। इससे सभी को नए और आविष्कारी तरीकों से किफायती स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी।"
उन्होंने कहा, "लिंग अनुपात में असंतुलन चिंता का विषय है। कुपोषण ऐसा क्षेत्र है जहां बहुत काम करने की जरूरत है।"
राष्ट्रपति ने चिकित्सकों को अपने मरीजों और उनकी चिंताओं को सक्रियता से सुनने की सलाह दी क्योंकि इससे मरीजों को मनोवैज्ञानिक लाभ मिलता है और वे जल्दी ठीक होते हैं।
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