मल्हार मीडिया डेस्क।
बेंगलुरु में रहने वाले 34 वर्षीय सॉफ्टवेयर पेशेवर Atul Subhash ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस के मुताबिक, उन्होंने 24 पन्नों का एक सुसाइड नोट छोड़ा है। अपनी अंतिम पोस्ट में उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और एलन मस्क से भारतीय पुरुषों के लिए न्याय की अपील की।
‘भारत में पुरुषों का कानूनी नरसंहार’
अतुल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर अपनी हताशा व्यक्त की थी। उन्होंने अपने आखिरी पोस्ट में लिखा, "जब आप यह पढ़ रहे होंगे, मैं मर चुका होऊंगा। भारत में पुरुषों का कानूनी नरसंहार हो रहा है।" उन्होंने आगे एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रम्प को टैग करते हुए कहा, “एक मृत व्यक्ति आपसे आग्रह कर रहा है कि आप woke ideologies, गर्भपात, और DEI (डाइवर्सिटी, इक्विटी, इनक्लूजन) से लाखों जिंदगियां बचाएं।”
उन्होंने X पर लिखा, "जब आप इसे पढ़ेंगे, तब तक मैं मर चुका होऊंगा। भारत में इस समय पुरुषों का कानूनी नरसंहार हो रहा है।"
पारिवारिक विवाद और पत्नी पर गंभीर आरोप
अतुल, जो उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे, बेंगलुरु के के मराठाहल्ली पुलिस स्टेशन की सीमा में मंजनाथ लेआउट में अकेले रहते थे। वह शहर में एक निजी फर्म में सीनियर एग्जीक्यूटिव के रूप में काम करते थे। वह अपनी पत्नी से अलग हो चुके थे। उनके परिवार के मुताबिक, पत्नी और उसके परिवार द्वारा बार-बार लगाए गए आरोपों और अदालत के मामलों ने अतुल को तोड़ दिया।
पत्र में, अतुल ने अपनी पत्नी और उसके परिवार को उत्पीड़न के लिए दोषी ठहराया, और इसे लगातार वैवाहिक कलह का कारण बताया। उन्होंने इस पत्र को कई लोगों को ईमेल भी किया और एक एनजीओ के व्हाट्सएप ग्रुप पर भी शेयर किया, जिससे वह जुड़े हुए थे।
अतुल के भाई विकास कुमार ने ANI से बात करते हुए कहा, "मेरे भाई की पत्नी ने भाई से अलग होने के लगभग 8 महीने बाद, तलाक की अर्जी दायर की। और मेरे भाई और हमारे पूरे परिवार के खिलाफ विभिन्न अधिनियमों और धाराओं के तहत कई आरोप लगाए।"
उन्होंने आगे कहा कि भारत में सभी कानून पुरुषों के बजाय महिलाओं के पक्ष में हैं और उनके भाई ने अपनी दुखद मृत्यु से पहले इस मुद्दे के लिए लड़ाई लड़ी थी। "भारत में हर कानून महिलाओं के लिए है, पुरुषों के लिए नहीं - मेरे भाई ने इसके लिए लड़ाई लड़ी लेकिन वह हमें छोड़कर चले गए..."
"यहां तक कि अपने सुसाइड नोट में भी उसने लिखा था कि - "अगर मैं सिस्टम से जीत गया तो मेरी अस्थियां गंगा में प्रवाहित कर दूंगा, नहीं तो कोर्ट के बाहर किसी नाले में प्रवाहित करूंगा"...मेरे भाई ने उसके लिए सबकुछ किया। जो कुछ भी हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था।"
विकास कुमार ने कहा, "अगर उन्होंने कभी मुझसे या हमारे पिता से इस बारे में चर्चा की होती - तो हम उन्हें इस स्थिति से बाहर निकालने में मदद करते... मैं भारत सरकार और राष्ट्रपति से अनुरोध करना चाहता हूं - कि अगर वह सत्य के साथ हैं तो मेरे भाई को न्याय मिलना चाहिए अन्यथा मुझे यह साबित करने के लिए सबूत दें कि वह गलत हैं। मेरे भाई के सुसाइड नोट में जिस जज का नाम है, उसके खिलाफ उचित जांच होनी चाहिए..."
अतुल सुभाष के साथ क्या हुआ?
ANI से बात करते हुए, मृतक अतुल के पिता पवन कुमार ने बताया कि अतुल अपनी पत्नी द्वारा दायर अदालती मामलों के कारण कम से कम 40 बार बेंगलुरु से जौनपुर आया था, और कहा कि वह एक के बाद एक आरोप लगाती रहती थी।
पवन कुमार ने कहा, "उन्होंने (अतुल ने) हमसे कहा था कि मध्यस्थता अदालत में लोग कानून के अनुसार काम नहीं करते, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार भी नहीं। उन्हें कम से कम 40 बार बेंगलुरु से जौनपुर जाना पड़ा। वह (मृतक की पत्नी) एक के बाद एक आरोप लगाती रहती थीं। वह निराश जरूर हुए होंगे, लेकिन उन्होंने हमें कभी ऐसा महसूस नहीं होने दिया।"
अतुल ने आत्महत्या से पहले बनाई चेकलिस्ट
NDTV के अनुसार, अतुल ने आत्महत्या से पहले एक विस्तृत चेकलिस्ट तैयार की थी। यह तीन हिस्सों में विभाजित थी। ‘Before Last Day’ (अंतिम दिन से पहले), ‘Last Day’ (अंतिम दिन) और ‘Execute Last Moment’ (अंतिम क्षण)। रिपोर्ट के अनुसार, ‘अंतिम दिन से पहले’ भाग जिसे ‘पूर्ण’ के रूप में चिह्नित किया गया था, यह दर्शाता है कि उन्होंने पहले से ही अपने वित्त, कार्यालय के कार्यों, कानूनी मामलों और डेटा बैकअप का ध्यान रखा था।
'अंतिम दिन' की सूची में अतुल ने डेटा का बैकअप लेने, अपने फोन के फिंगरप्रिंट हटाने, अपना सुसाइड नोट अपलोड करने, भुगतान निपटाने और अपने कार्यालय का सामान जमा करने की योजना बनाई थी। जबकि 'अंतिम क्षण में फांसी' सेक्शन की शुरुआत नहाने से हुई, उसके बाद उसने अपनी चाबियां फ्रिज पर रख दीं और अपना सुसाइड नोट टेबल पर रख दिया।
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, उसके भाई ने यह भी बताया कि अतुल ने अलविदा संदेश भेजे थे और अपनी कार की लोकेशन भी बताई थी। इसके अलावा, चेकलिस्ट में उसके वकीलों और परिवार को संदेश भेजना, साथ ही उसके केस को संभालने वाले जज द्वारा कथित भ्रष्टाचार के बारे में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को ईमेल करना भी शामिल था।
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