मल्हार मीडिया डेस्क।
बॉम्बे के एक मामूली रेस्तरां में एक आदमी ने भरपेट भोजन किया और जब वेटर ने बिल पेश किया तो वह सीधे मैनेजर के पास गया और ईमानदारी से स्वीकार किया कि उसके पास पैसे नहीं थे।
उसने कहा कि उसने पिछले दो दिनों से नहीं खाया था और बहुत भूख लगी थी इसलिए ऐसा करने के लिए मजबूर हो गया था।
मैनेजर ने उसकी कहानी को धैर्य से सुना, आदमी ने वादा किया था कि जिस दिन उसे एक काम मिलेगा,वह बिल का निपटारा कर देगा।
मैनेजर मुस्कुराया और उससे कहा "ठीक है" और वो आदमी चला गया।
वेटर ने मैनेजर से सवाल किया "साब आपने उसे जाने क्यों दिया?" मैनेजर ने जवाब दिया, "जाओ और अपना काम करो।"
कुछ महीनों बाद वही आदमी रेस्तरां में आया और अपने लंबित बिल को निपटा दिया।
आदमी ने प्रबंधक को धन्यवाद दिया और उसे बताया कि उसे अभिनय का प्रस्ताव मिला है।
प्रबंधक ने खुशी से उसे एक कप चाय की पेशकश की और दोनों के बीच एक दोस्ती का फूल पनप उठा।
अभिनेता जल्द ही एक जाना माना चेहरा बन गया और एक समय में कई फिल्में की।
इन्हें फिल्मी दुनिया में ओम प्रकाश के नाम से जाना गया।
बाद में उनके पास एक बंगला और एक शौफर-चालित कार थी। टाइम बदल गया था, लेकिन हर बार जब वह उस क्षेत्र से गुजरते,तो मैनेजर के साथ एक कप चाय के लिए रेस्तरां में ज़रूर रुकते, जिसने वर्षों पहले उनके प्रति अविश्वसनीय सहानुभूति दिखाई थी।
कई बार विश्वास 'चमत्कार' करता है, अगर मैनेजर उस दिन भूखे आदमी को पीटता और अपमानित करता, तो शायद उद्योग को'ओम प्रकाश 'नाम का एक प्रतिभाशाली और नेचुरल अभिनेता नहीं मिलता।
ओल्ड दूरदर्शन फेसबुक पेज से
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