डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।
4 फुट 2 इंच के आधे हीरो की जीरो फिल्म में डायरेक्टरों के नाम हैं-अनुभव सिन्हा, फरहा खान, राहुल ढोलकिया, इम्तियाज अली और आनंद एल. रॉय।
5 डायरेक्टर मिलकर भी एक सुपरस्टार और दो बड़ी अभिनेत्रियों की फिल्म को औसत से ज्यादा नहीं बना पाए। फिल्म में ऐसी फैंकी है, ऐसी फैंकी है, ऐसी फैंकी है कि हंसी भी आती है और रोना भी।
शाहरुख खान जबरदस्त एक्टर हैं और पिछली पांच फिल्मों से उनके सितारे अच्छे नहीं चल रहे। जीरो में वे तो प्रभावित करते हैं, लेकिन कहानी में इतने झोल है कि इंटरवल के बाद दर्शक पकने लगता है। इसके पहले कमल हासन अप्पू राजा फिल्म में बौने हीरो की भूमिका कर चुके हैं।
4 फुट 2 इंच के बऊआ मेरठ में रहते हैं, 38 साल के हैं और हरकतें ऐसी कि उन्हें कोई लड़की तो क्या, लौंडा भी न दे (यह फिल्म का डायलॉग है)।
शादी.कॉम के माध्यम से वे लड़कियां देखते रहते हैं, क्योंकि प्लॉट देखने के पैसे थोड़े ही लगते है। रजिस्ट्री कराने के लगते है, तो प्लॉट देखते-देखते उनका संपर्क एक आड़ी-तिरछी आकृति से हो जाता है। आकृति की लोकेशन शानदार है, बात आगे बढ़ती है और हाथ पीले होने के बावजूद बैंड-बाजा-बारात के बावजूद नोटों का हार पहनकर बऊआ भाग खड़े होते हैं।
बऊआ है तो लिलिपुट, लेकिन निगाहें उनकी कैटरीना कैफ पर है, जो बॉलीवुड की मशहूर हीरोइन है। बऊआ जैसे लोगों को वह अपने यहां स्पॉट ब्वॉय का काम भी करने न दें। पर यह फिल्म है और गौरी खान इस फिल्म की प्रोड्यूसर है, तो उनके पति को कैटरीना कैफ को किस करना ही था।
अब बेचारा बऊआ फंस गया। एक तरफ अमेरिकी स्पेस एजेंसी में बड़े ओहदे पर काम करने वाली अनुष्का और दूसरी तरफ कैटरीना कैफ। पहले इस फिल्म का नाम कैटरीना मेरी जान था। बाद में बदलकर जीरो कर दिया गया। अगर कैटरीना मेरी जान इसका नाम होता, तब भी फिल्म ऐसी ही होती, पर फिल्म की क्रेडिट कैटरीना को ज्यादा मिलती।
शाहरुख खान इस फिल्म में एक बटा दो है। इसलिए इसमें आइटम के रूप में बहुत सारे कलाकार है। सलमान खान, श्रीदेवी, दीपिका पादुकोण, आलिया भट्ट, करिश्मा कपूर, जूही चांवला, रानी मुखर्जी, काजोल, अभय देओल, तिग्मांशु धूलिया आदि भी कुछ-कुछ पलों के लिए है।
फिल्म में बौने बने शाहरुख खान सर्कस में काम नहीं करते, लेकिन उनकी आदतें सर्कस के कलाकार जैसी ही हैं।
फिल्म में मसाले बहुत सारे है, इमोशनल सीन है, नाच-गाना है और एक ऐसा हीरो है, जो हीरोइन के लिए चांद-तारे तोड़कर तो नहीं लाता, लेकिन मंगलग्रह की यात्रा पर चला जाता है और 15 साल बाद जब वह आता है, तब भी वह 38 साल का ही रहता है, क्योंकि ग्रेविटी में उम्र नहीं बढ़ती। अब अगर आप इस पर भरोसा कर सकते हैं, तो कर लीजिए।
अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा की तर्ज पर दिखाई गई है, जिसमें हीरो तो क्या, हीरो का दोस्त भी ऐसे घूमता है, जैसे रेलवे स्टेशन पर चाय पीने गया हो।
फिल्म की कहानी मेरठ की है और ऐसा लगता है, मानो बॉलीवुड की सभी हीरोइनें एकाकीपन से पीड़ित है। हीरो हमारी फिल्मों में सुपरमैन होता है, चाहे नाम जीरो ही क्यों न हो।
Comments