डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी।
अपने बच्चों को कही भी पढ़ने भेज देना, टाटपट्टी वाले स्कूल में भेज देना पर देहरादून मत भेजना। देहरादून में भी संत टेरेसा कॉलेज तो कभी भी नहीं। वहां के विद्यार्थी पढ़ाई में 5 प्रतिशत समय भी नहीं लगाते। पूरा टाइम लड़कियों को इंप्रेस करने में, मारपीट करने में, नाचने-गाने और खेल-कूद में लगाते हैं। खेल के नाम पर मुख्यत: कबड्डी।
बचे समय में रोमांस और घर वालों से तनातनी। वे अपने शिक्षकों और स्पोर्ट्स कोच को जोकर समझते हैं (फिल्म में हैं भी) और प्रिंसिपल को संस्था चलाने वाले ट्रस्ट का दलाल। उन्हें लगता है कि पढ़ाई से ज्यादा जरूरी दूसरी चीजें हैं। यह बात सच हो भी सकती है, लेकिन स्टूडेंट ऑफ द ईयर तो एक ही विद्यार्थी हो सकता है। मैरिट में एक ही संस्था के कई विद्यार्थी आ सकते हैं।
इसके पहले 2012 में बनी स्टूडेंट ऑफ द ईयर में एक लड़की थी और दो लड़के। 7 साल बाद आई इस फिल्म में दो लड़कियां है और एक लड़का। जैकी श्रॉफ का लड़का और चंकी पांडे की लड़की दोनों में पहले कुट्टी रहती है और बेचारी तारा सुतारिया यहां-वहां डोलती रहती है। जाहिर है हीरो तो एक को ही मिलना था।
दो लड़कियां हों और एक लड़का, तो यह बड़ी नाइंसाफी है। खलनायक भी होना जरूरी है और वह एक लड़की का भाई होना लाजिमी था। फॉर्मूला फिट। बीच में ऑडी में घूमने वाली हीरोइन और साइकिल पर घूमने वाला हीरो। फॉर्मूला हिन्दी फिल्मों में निम्न मध्यवर्ग का हीरो हमेशा ही प्रतिभाशाली होता है। लड़कियां उस पर मरती हैं।
इसमें भी ऐसा ही है। बीच में डांस, ढिशुम-ढिशुम, चक-दे इंडिया टाइप खेल का अभ्यास, मसूरी-देहरादून की वादियां और ये हुए ढाई घंटे पूरे। पुराने गानों का रिमिक्स भी फिल्म में है और संगठित होकर खेलने का संदेश भी। यह फिल्म स्कूल और कॉलेज के बच्चों के लिए बनी है। सो उनके पैसे वसूल।
फिल्म के संदेश भी है, जैसे लड़कियों की रिस्पेक्ट करनी चाहिए, अपने फैसले और सपने खुद तय करने चाहिए। वरना आप दूसरों के फैसले पर चलते है और दूसरों के सपने पूरे करते है। दिन तुम्हारा है, लेकिन साल मेरा है और एक दिलचस्प डायलॉग भी है कि टैलेंट को अंग्रेजी में हुनर कहते हैं। अपने हुनर पर ध्यान देते रहो तो मंजिल मिलती रहेगी।
लड़कियों को मंजिल बनाओगे, तो वे मंजिलें फिसलती रहती हैं। आज यहां, कल वहां। फिल्म डांस, सांग, रोमांस, एक्शन की भेल है और फिल्म युवा वर्ग को पसंद आएगी। फिल्मों में ही फाइव स्टार स्कूल और कॉलेज होते है, बाकि तो विद्यार्थी खुद जानते है कि उन्हें क्या करना होता है? फिल्म टाइगर श्रॉफ के कंधे पर है और वे फिल्म को खींच ले जाते है।
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