प्रख्यात अभिनेता ओमपुरी नहीं रहे। उनके जाने के बाद भी दुर्भाग्यवश वे बातें की जा रही हैं जो नहीं कही जानी चाहिए। बहुत ज्यादा समय नहीं बीता अभी अक्टूबर 2016 में ओमपुरी चौतरफा घेरे गये थे। पाक कलाकारों को वापस भेजे जाने के मुद्दे पर हुये एक टीवी डिबेट में कुछ कहने को लेकर। तब आज तक के विशाल विनम्र ने वा बताया था जो कोई भी टीवी के उस शोर में सुन नहीं पाया था। चीख—चिल्लाहटों के बीच ओमपुरी की असल बात दब गई थी और एंकर उनपर हावी होकर उनकी बात अनसुनी कर साल पर सवाल दागे जा रहा था। एक बार फिर पढ़ें विशाल विनम्र का ये आलेख जो उन्होंने उस समय लिखा था।
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से भारत में कई लोग पाकिस्तानी आर्टिस्ट्स को उनके मुल्क वापस भेजने की रट लगाए हैं। इन दलों के मिजाज का न बोलने पर सलमान खान, करन जौहर और महेश भट्ट जैसे दिग्गज कलाकार सोशल मीडिया पर गरियाए जा चुके हैं। इस लिस्ट में नया नाम ओम पुरी का है, जिन्होंने एक न्यूज चैनल डिबेट में सब धुआं-धुआं कर दिया। ओम पुरी खबरों में छाए हैं, लेकिन हर जगह बस यही बताया जा रहा है कि ओम पुरी ने सैनिकों की शहादत का अपमान कर दिया और कहा कि उन्होंने किसी से सेना में जाने के लिए नहीं कहा था। ये अधूरी बात है। ओम पुरी ने चीख-चीखकर कहा कि उन्हें सैनिकों की शहादत पर गर्व है और वो सेना को सलाम करते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि भारत-पाकिस्तान को इस्राइल-फिलिस्तीन जैसा न बना दिया जाए। जब एंकर ने ओम पुरी से पूछा कि पूरा देश सेना के पीछे एक साथ क्यों नहीं खड़ा है, तो उन्होंने कहा, ‘फौज को हमारी जरूरत नहीं है। पहली बार भारत ने पाकिस्तान को बता दिया कि हम सिर्फ भौंकते नहीं हैं, काट भी सकते हैं।
अभी तक किसी की इतनी पॉलिटिकल इच्छा-शक्ति क्यों नहीं थी? खुशी मनाओ कि हमारी सेना और जनता का मनोबल ऊंचा हुआ है। हम नपुंसक नहीं हैं। हम काटने में विश्वास नहीं रखते, लेकिन कुछ गलत होगा तो बार-बार काटेंगे। जब उनसे पूछा गया कि फिल्म इंडस्ट्री एक सुर में पाकिस्तानी आर्टिस्ट्स का बायकॉट क्यों नहीं कर रही है तो ओम ने कहा, ‘सरकार से कहिए कि उनका वीजा कैंसल करें। मैं मजदूर आदमी हूं, कोई स्टार नहीं। मैं काम करूंगा। एक हफ्ते से और कोई मुद्दा नहीं मिल रहा है आपको। 22 करोड़ मुस्लिम हैं देश में। भड़काओ मत उन्हें। आप लोग पता नहीं कैसी-कैसी फिल्में बनाकर पाकिस्तान पर थूकते हो बेशर्मों। मैंने जो काम किया, मुझे उस पर गर्व है’। यहां तक आते-आते डिबेट चीखने-चिल्लाने पर पहुंच गई थी और बवाल भी यहीं से शुरू हुआ। ओम से पूछा गया कि 30 हजार की सैलरी वाला सैनिक सीमा पर जान देता है और देश के अंदर पाकिस्तान से बात करने के लिए कहा जाता है। इस पर ओम ने कहा, ‘हमने उसे फोर्स किया था फौज में जाओ? मेरा भी बाप फौज में था। बर्मा में लड़ा था। हमें गर्व है अपने जवानों पर, लेकिन जिस चीज पर आप बहस कर रहे हैं वो बहस का मुद्दा है ही नहीं।’ इस बहस में कर्नल वीएन थापर (रिटा.) और MNS नेता वागीश सारस्वत भी थे।
चैनल पर डिबेट नहीं, थेथरई हो रही थी। जब ओम पुरी से बात खत्म करने को कहा गया तो उन्होंने कहा, ‘आप एक काम कीजिए। आप 10-15-20 जितने भी हिंदुस्तानी तैयार कर सकते हैं, जो अपने शरीर पर बम बांधकर पाकिस्तान जाकर कुछ उड़ा आएं, उन्हें तैयार कर लीजिए। धन्यवाद।’ खीझ में इतना बोलकर ओम पुरी बहस से उठ गए और एंकर चीखने लगा कि ओम पुरी फिदायीन की भाषा बोल रहे हैं। बहस के दौरान तो वागीश और कर्नल थापर ओम पर चीखे ही, इसके बाद अनुपम खेर ने भी एक ट्वीट ठोंका। सवाल ये है कि टीवी वाले सबके बाप बनने पर क्यों तुले हुये हैं? आज तक से साभार
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