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फिल्म समीक्षा :कॉमेडी का मजा देती एक्शन फिल्म कमांडो-2

पेज-थ्री            Mar 03, 2017


डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चाहिए कि विदेश में जमा काला धन भारत लाने के लिए विद्युत जामवाल को कमांडो बनाकर विदेश भेज दें। क्योंकि ऐसा लगता है कि ब्लैक मनी को वापस लाने की जितनी चिंता नरेन्द्र मोदी को है, उतनी ही विद्युत जामवाल को भी है। सारा काला धन गरीब लोगों के बैंक खाते में आ जाएगा। जो काम नरेन्द्र मोदी नहीं कर सकते, वह हमारा बॉलीवुड का हीरो कर सकता है। कमांडो-२ की कहानी तो यही बताती है। ये हुई ना बात?

कमांडो-2 वैसे तो एक्शन फिल्म है, लेकिन यह कई बार कॉमेडी फिल्म का मजा देती है। दूसरे कमांडो की कहानी 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा के बाद शुरू होती है। चमत्कार यह होता है कि भारत सरकार मनी लांड्रिंग में लगे एक गिरोह के सरगना को पकड़कर भारत लाने का काम कमांडो को सौंप देती है। कमांडो भी कोई ऐसा-वैसा नहीं, विद्युत जामवाल जैसा, जो हर वह करतब कर दिखाता है, जो सर्कस के कलाकार भी नहीं कर पाते होंगे। कई जगह यह कमांडो चूक जाता है और कानून का पालन करने में इतने कानून तोड़ता है कि उसका जवाब नहीं। फिल्म में एक्शन दिखाने के नाम पर कहानी बनाई गई है, जिसका कोई सिर-पैर नहीं है। एक्शन के शौकीन (और दिमाग नहीं लड़ाने वालों के लिए) यह फिल्म बनाई गई है। फिल्म में एक्शन अच्छे है। ताईवान और थाईलैण्ड के सुहावने दृश्य भी है और हीरो के महत्व को बताने वाली पुलिस इंस्पेक्टर हीरोइन अदा शर्मा भी है, जिस पर फिल्म की वैम्प ईशा गुप्ता हावी रहती है।

यह फिल्म उन कमांडो के बारे में है, जो कभी भी हार नहीं मानते। कमांडो की कहानी दिखाने के लिए फिल्म में जबरदस्ती नोटबंदी और ब्लैक मनी को जोड़ा गया है। चार साल पहले बनी कमांडो में वन मेन आर्मी की कहानी थी। इस फिल्म में कमांडो के साथ कुछ और पुलिसकर्मी भी दिखाए गए है। कहानी में इतने पेच है कि दिमाग का दही बन जाता है। ऊपर से एक्शन कुछ सोचने नहीं देता। कुछ एक्शन सीन तो काफी अच्छे है, लेकिन उन्हें खींचा बहुत गया है।

इस फिल्म में सारे मसाले डाले गए है। एक्शन, ट्विस्ट, गाने, एक तरफा प्रेम, चुम्बन दृश्य, रहस्य, षड्यंत्र आदि। दूसरी फिल्मों की तरह इसमें भी नेताओं को खलनायक दिखाया गया है और कमांडो को सुपर ह्यूमन। भ्रष्ट महिला पुलिस इंस्पेक्टर यह कहकर लोगों की संवेदनाएं प्राप्त करना चाहती है कि हमें तो हर चीज के लिए रिश्वत देनी पड़ी है। यहां तक कि पानी के लिए भी रिश्वत दी गई है। ऐसे में हमसे ईमानदारी की अपेक्षा क्यों? हम भ्रष्ट तो है पर देश को नहीं बेचते। नोटबंदी और ब्लैक मनी को लेकर भाषणनुमा डायलॉग भी है, जो अंत में इस नतीजे पर पहुंचते है कि विदेश में जमा काला धन गरीबों के खाते में चला जाए, तो क्या हो सकता है?

फिल्म के अन्य कलाकारों में फ्रेडी दारूवाला, सुहेल नैय्यर, ठाकुर अनूप सिंह, अभय शर्मा, सतीश कौशिक और आदिल हुसैन भी है। शैफाली शाह ने गृहमंत्री की भूमिका निभाई है और ठीक-ठाक अभिनय किया है। एक्शन फिल्मों के शौकीन लोग इस फिल्म को पसंद कर सकते है। शाकाहारी विद्युत जामवाल की टोंड बॉडी जिम जाने वाली युवा पीढ़ी को पसंद आएगी, जिसका उन्होंने खुलकर प्रदर्शन किया है। अदा शर्मा को घटिया संवाद बोलने के लिए मिले है और अतिरेक से भरा रोल भी। ईशा गुप्ता की भूमिका फिल्म में बेहद महत्वपूर्ण और बड़ी है। निर्माता विपुल शाह ने कहा है कि वे इस फिल्म को देश के जवानों को समर्पित कर रहे है। काश, वे कोई अच्छी फिल्म बनाकर देश के जवानों को समर्पित करते।



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