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छोटे बजट की यथार्थवादी फिल्म अनारकली आॅफ आरा

पेज-थ्री            Mar 27, 2017


डॉ.प्रकाश हिंदुस्तानी।
मोहल्ला लाइव के ब्लॉगर और पत्रकार अविनाश दास की अनारकली ऑफ़ आरा परंरागत बॉलीवुड फिल्म से अलग और ख़ास है। एक निश्चित वर्ग को यह फिल्म बहुत पसंद आएगी और शानदार निर्देशन तथा अभिनय के लिए याद रखी जाएगी। स्वरा भास्कर का अभिनय तो लाजवाब है ही, अन्य कलाकारों ने भी बेहद स्वाभाविक अभिनय किया है। पूरी फिल्म में स्वरा भास्कर और अविनाश दास छाये हैं--स्वरा पर्दे पर और अविनाश पृष्ठभूमि में। हम बॉलीवुड की फिल्मों के इतने अभ्यस्त हो गए हैं कि अकल्पनीय किस्से-कहानियों और घटनाक्रमों को तो आसानी से पसंद कर लेते हैं लेकिन वास्तविकता के करीब की बातों को पर्दे पर काम पसंद करते हैं।

अनारकली ऑफ़ आरा पूरी तरह से स्वरा भास्कर और अविनाश दास की फिल्म है। नौसेना अधिकारी की बेटी और डीयू और जेएनयू में पढ़ाई करने वाली स्वरा की एक्टिंग ऐसी है मानो वह आरा में ही जन्मी और पली-बढ़ी हो। एक पल भी नहीं लगता कि वह आरा की नहीं है। उन्होंने लोक गायिका और डांसर को पूरी ईमानदारी के साथ परदे पर उतारा है। खलनायक बने संजय मिश्र वीसी के अतिरंजित रोल में जमे हैं।

अनारकली छोटे बजट की यथार्थवादी फिल्म है, जिसमें न तो स्विट्ज़रलैंड की शूटिंग है, न न्यूयॉर्क की। बिहार और दिल्ली के असल नज़ारे इस फिल्म में हैं। कई डॉयलॉग दो अर्थ वाले हैं, भावभंगिमाएं भदेस हैं और किसी तरह की नजाकत या नफ़ासत की ज़रूरत इसमें नहीं है, क्योंकि कहानी के अनुसार इसकी ज़रूरत नहीं थी। फिल्म में लोक गायिका और डांसर, वीसी, पुलिस अधिकारी, कैसेट और संगीत की दुनिया के कारोबारी बेहद सहज लगे हैं। फिल्म का संगीत मधुर है, गाने दो अर्थ वाले और लोकरंजक हैं। फिल्म की भाषा एक बड़े वर्ग की समझ में शायद में शायद नहीं आएगी, लेकिन कहानी की समझ में वह बाधा नहीं होती। पूरी फिल्म एक फ्लो में चलती है और चलती ही जाती है।



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