मल्हार मीडिया डेस्क।
द कश्मीर फाइल्स पर अब तक भाजपा-कांग्रेस के बीच जुबानी जंग में आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे थे लेकिन अब इसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा के मध्य प्रदेश कैडर के अधिकारी और साहित्यकार नियाज खान भी उतर आए हैं।
खान आईएएस अधिकारी के साथ लेखक भी हैं जो मुसलमानों की हिंसक छवि को मिटाने के लिए रिसर्च भी कर रहे हैं।
एक समाचार पत्र से बातचीत में नियाज खान ने कहा कि हत्या किसी मुसलमान या हिंदू या सिख की नहीं होती है बल्कि इंसान की होती है। इसलिए ऐसी घटनाओं को हिंदू-मुस्लिम की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए बल्कि इंसानियत दिखाना चाहिए।
नियाज खान ने ट्वीट में अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं। उन्होंने कहा है कि वे अलग-अलग मौकों पर मुसलमानों के नरसंहार को दिखाने के लिए एक किताब लिखने का सोच रहे हैंं जिससे द कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्म बनाने के लिए कोई निर्माता आगे आए।
ऐसी फिल्म में अल्पसंख्यकों के दर्द और पीड़ा को भारतीयों के सामने लाया जा सकेगा।
नियाज खान ने एक ट्वीट में कहा है कि द कश्मीर फाइल्स फिल्म में ब्राह्मणों का दर्द दिखाया जिन्हें पूरे सम्मान के साथ कश्मीर में सुरक्षित रहने की अनुमति दी जानी चाहिए।
उन्होंने मगर निर्माता को कहा है कि वे कई राज्यों में बड़ी संख्या में मुसलमानों की हत्याओं को दिखाने के लिए एक फिल्म बनाएं। मुसलमान कोई कीड़े नहीं। मुसलमान भी इंसान और देश के नागरिक हैं।
मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस खान ने ट्वीट में कहा है कि समाज का एक हिंसक तबका है जिसने सच सुनने के लिए अपने कान बंद कर लिए हैं।
तथाकथित पढ़े-लिखे लोग भी सच बोलने वाले को गाली देने के लिए गली के स्तर की भाषा का इस्तेमाल करते हैं। खराब परवरिश और कट्टरपंथियों की कंपनी ने उनका दिमाग खा लिया है। गंदी भाषा का प्रयोग उनके दिमाग को दिखाता है।
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