आशीष पटैरिया।
आपकी खिदमत में क्या कहें बोलने को शब्द नहीं है मेरे पास लेकिन आपके पास तो शब्दो का भंडार है ग्रैंडमास्टर जी आप तो ग्रेट हो सुपर से भी ऊपर हो गुरु आप।
आपके क्रांतिकारी विचार खून में उबाल लाने वाले है और भई क्यू ना लाएं आपकी भाषा ही इतनी म्रदुल है और आपकी आवाज़ में जो वज़न है मशाल्लाह नज़र ना लगे किसी की।
क्या कमाल का टैलेंट है आपके अंदर है ना? जे बड़ी बड़ी मूछ रणवीर सिंह को complex हो जाए यार.. और आपके तेजस्वी वस्त्रों के तो हम फ़ैन हें फ़ैन।
सर आप साधारण इंसान थोड़ी है आप तो "टाइगर है टाइगर" अरे वो फिल्मों वाला टाइगर नहीं सर चिड़ियाघर वाला टाइगर हो आप तो सर अब क्या करे जंगल में बचे नहीं है और हमने देखे भी नहीं जंगल वाले , देखो बुरा ना मानना हम आपके फैन है फ़ैन।
क्या गज़ब के हाथ पैर फनफनाते है आप आपके जैसी लचीली काया तो ब्रूस ली को कॉम्प्लेक्स दे दै। में तो कहता हूँ सर आप पुरुष ही नहीं महापुरुष हो महापुरुष ,पौरुष ना समझ लेना पुरुष हो अभी आप। आपने कर दिखाया सर कितना सी ग्रेड वाला स्ट्रगल किया आपने यूट्यूब पर लेकिन आपकी अभिनय की प्रतिभा आपको बॉलीवुड तक ले ही आई।
आपसे बड़ा यूट्यूब स्टार है क्या कोई ? स्वघोषित उपाधियों से भरपूर शिफूजी जुमा जुमा दो दिन पहले भोपाल आए और पत्रकारो से मुखातिब हुए एक प्रेस वार्ता के दौरान.. में थोड़ा विलंब से पहुंचा तो पूरा मामला समझ नहीं आया की किस संबंध में पत्रकार वार्ता आयोजित की गयी है।
शिफूजी को ध्यान से सुनने लगा मन में कई तरह के प्रश्न हिलोरे मार रहे थे लेकिन फिर भी सुनता रहा क्यूकी किसी गंभीर विषय पर चर्चा चल रही थी।
इस दौरान मेरी नज़र आस पास मौजूद पत्रकार साथियों तक भी घूम रही थी,कई युवा पत्रकारों की नजरों में मैंने शिफूजी जी के लिए फैन मोमेंट देख ली थी और कई तो उनको सिर्फ देखई जा रहे थे सुन नहीं रहे थे टीवी वाले कुछ नवोदित पत्रकार मोबाइल पर उंगलियां नचा रहे थे।
थोड़ी देर बाद समझ आया कि किसी शहीद की पत्नी के साथ कुछ धोकाधड़ी हुई है उसी के लिए न्याय की गुहार लगा रहे है शिफूजी । पत्रकार वार्ता के दौरान उनके साथ उपस्थित फरियादी महिला कुछ बोलती हम पत्रकार उनकी बात समझने की कोशिश करते लेकिन शिफूजी बीच में ही अपना घिसा-पिटा रटा- रटाया राग अलापने लगते। वही यूट्यूब बाली बदजूबान बकैती दोहराय जा रहे थे फिर भी हम सुने जा रहे थे । अब जब ये सब चल रहा था अचानक शिफूजी महिला से कहते है--
शिफूजी -मैडम आप जरा बताएँगी आप असल जिंदगी में करती क्या है आपका घर कैसे चलता है ।
महिला -मै स्कूल मै प्यून की नौकरी करती हूँ ।
अब मैं और मेरे साथ खड़े एक काबिल पत्रकार साथी ने महिला के साथ हुए अन्याय के बारे समझने की कोशिश की ही थी कि शिफूजी बीच में फिर वही राग अलापना शुरू कर दिये जिसे सुन -सुन कर दिमाग की नशे फटने लगी । सुनिए उनका राग -
शिफूजी -एक शहीद की विधवा इस राष्ट्र में.. (long pause).. वहाँ पर (pause)..दुख लगता है यार इतने बड़े -बड़े कॉर्पोरेट हाउस है ,मैच करवा दो जरा सेलिब्रिटीस का सब आ जाते है फोटो खिचवाने ।
अब हद हो गयी थी हम बात तो महिला से करना चाहते थे लेकिन शिफूजी की बार -बार बीच में बोलने की आदत से तंग आकार उनसे एक आसान सा सवाल पूछ ही लिया ..
पत्रकार का प्रश्न -you work for celebrity आपने भी सिने सितारो के साथ काम किया है ।
शिफू - हाँ तो ,मैंने सेलिब्रिटीस के लिए काम नहीं किया है। नहीं ..मैंने अपने लिए काम लिया है सेलिब्रिटीस के लिए कभी काम नहीं करता i don't work for any celebrity i work for trycolour.this has to be very clear..(pause)वो इंडस्ट्री है सेलिब्रिटीस की जहां मैंने काम किया हुआ है लेकिन सेलिब्रिटीस के लिए कोई काम नहीं करता
प्रश्न - पर आप तो सबसे ज्यादा सेलिब्रिटीस को क्रिटिसाइज करते है
शिफूजी -सेलिब्रिटीस का मतलब पता है आपको
प्रश्न -तो इन सब से (सेलिब्रिटीस )आप खुद को अलग कैसे देखते है आपने मूवीस की है उनके साथ ,आप यूट्यूब पर कई तरह की गालियाँ देते रहते है मैंने आपके विडियोस देखे है
शिफूजी - मैंने किस सेलिब्रिटी को गाली दी
पत्रकार -मैंने किसी सेलिब्रिटीस का नाम नहीं लिया है,और आप शायाद मध्यप्रदेश के Ex ambassador भी रह चुके है ।
शिफूजी - नहीं वो सिर्फ अनाउंसमेंट हुआ था ।
पत्रकार -तो बात सर वही हो जाती है न कि अभी आप देश के लिए और इन सब लोगो (महिला )के लिए इतनी आवाज़ उठा रहे है और कभी हम देखते है आप पॉलिटिशियन और सेलिब्रिटीस के साथ स्टेज शेयर करते दिख जाते है तो ये सारी चीजे आपको उनसे अलग कैसे रखती है ।
शिफूजी - नहीं दो चीज अलग कर देते है नंबर 1 -हमने जब स्टेज शेयर किया तो ना मैंने पैसे लिए न प्रोफेशनल फीस ली ,में एक मिशन प्रहार चलाता हूँ जिसकी में यहाँ चर्चा नहीं करूंगा क्यूकी ये मंच अलग है रही बात सेलिब्रिटीस की तो मे यहाँ एक सामान्य आदमी की तरह बैठा हूँ मेरी फुटेज मत चलायेँ आप मीडिया में।
मेरी बात मत रखिएगा दोस्त इनकी (महिला )बात रखिएगा दोस्त ये मेरी और आपकी बराबर ज़िम्मेदारी है। में एक सामान्य भारतीय हूँ मेरे घर में शहीद हुए है साहब दर्द पता है क्या होता है जब लाश घर में आती है।
मैं आपको सेलिब्रिटीस का मतलब बता दूँ -हर वो आदमी जो अपने आप को ब्रांड समझता है उसकी बात कर रहा हूँ। आप बोल रहे है ना कि मैंने गाली बकी.. आप एक आदमी का नाम बता दीजिये जिसको मैंने गाली दी,हाँ भारत के गद्दारो को गाली बकी थी, हैं, और रहूँगा बहुत क्लियर हूँ मै । और उनसे जब जहां,जैसा ,जो करते बने मेरा क्षमा चाहता हूँ शब्दो के लिए क्यूकी यहाँ अलग चीज है और मेरी भाषा कैसी है आप लोग जानते है।
इस प्रश्नोत्तरी के बीच मेरे साथ मौजूद एक काबिल पत्रकार साथी ने भी एक सवाल दाग दिया
साथी पत्रकार - आपको लेकर कई सारी खबरें छपी है की शीफूजी FARZI है ।
शिफूजी - हाँ बहुत बढ़िया (fumble) इस पर मैडम (महिला) को उठाकर हम चर्चा करेंगे ।
इस तरह कुछ छोटा सा हमारा शिफू जी के साथ वार्तालाप हुआ लेकिन आखिरी सवाल का वो जबाब ही नहीं दिये किसी अन्य पत्रकार के प्रश्न की ओर खुद को नाटकिए तरीके से मोड लिया
खैर अब इतनी तो परिपक्वता आ ही गयी होगी हमारे बुन्देली फ़्राडमास्टर शिफूजी में । आजकल जो पेटर्न चल रहा है ना सवालों के उत्तर ना देकर घुमा-फिराकर बात करना देशभक्ति की बात करने लगना और कुछ नहीं तो सेना की बात कर दो क्यूकी फौज ही है जो सबको झुका देती है ।
पत्रकारवार्ता खत्म हुई अब टीवी मीडिया वाले शिफूजी के साथ एक -एक करके इंटरव्यू करने लगे शिफूजी बोलने लगे फिर अचानक मेरी तरफ देखकर बोले बॉस अभी नहीं अभी ये समय उचित नहीं है इन सब मुद्दो पर बात करने का आपसे में अलग से बात करूंगा।
हमने सोचा ठीक है हो गया अब चाय पीकर दफ्तर को निकलें लेकिन मन नहीं माना सुनते है अब क्या ज्ञान की गंगा बहाने वाले है । में और मेरे एक साथी पत्रकार उनको ध्यान से सुनने लगे लेकिन शिफूजी कहां मानने वाले थे उन्होने फिर अपनी तान पकड़ी और राग अलापना शुरू कर दिया यूट्यूब वाला बोलते बोलते जेएनयू तक पहुँच गए फिर 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' फिर देश विरोधी नारे पर फिर अफजल हम शर्मिंदा है तेरे कातिल ज़िंदा है तक ।
अब हमारी बारी थी हम भी शुरू हो गए हमने सिम्पल सा सवाल किया कि आपके ऊपर जो तमाम तरह के आरोप लगे है जैसे कि आप फ्रॉड है, आपने इंडियन आर्मी के कमांडो को दिया जाने वाला बैज (बेरे) का गलत प्रयोग किया है आपके बारे में पूरी रिपोर्ट छपी थी आपके तमाम तरह के फर्जीबाड़े के बारे में।
शिफूजी बोले की मैंने उस मीडिया संस्थान को लीगल नोटिस भेजा था जिसने मेरे खिलाफ उल्टा सीधा लिखा है हमने भी तपाक से बोला... दिखा दीजिये लीगल नोटिस ।
अब शीफू जी ने बचने बचाने की कवायद शुरू कर दी जैसी टीवी मीडिया पर आजकल चल रही है । कभी वो अपना लैपटॉप मंगाते उसको खोलते और किसी अन्य पत्रकार के सवाल के जबाब देने लगते।
जब ये सब सवाल जबाब का दौर चल रहा था तो वहाँ मौजूद कुछ पत्रकार मुझसे कहने लगे कि ..अब जाने भी दो आशीष हो गया छोड़ो कुछ पत्रकार सांकेतिक इशारे भी देने लगे कि जाने दो अब मैंने और मेरे साथी पत्रकार ने आपस में कहा कि ठीक है चलते है अब दफ्तर ॥
हमने फिर जाने का मन बना ही लिया लेकिन शिफूजी की फिर एकआवाज़ सुनाई दी मुझे कि.. वो पत्रकार साहब मुझसे..मुझसे सबूत मांग रहे है।
शिफूजी को लगा होगा की शायद हम वहाँ से जा चुके है , मुझे किसी फिल्म का एक डायलॉग याद आ गया उस फिल्म का हीरो कहता है कि "अभी तो हमे और ज़लील होना है " जहां से वो बोल रहे थे में उनसे कुछ दूरी पर खड़ा था वही से आवाज लगाई कि 'आप सबूत दिखा क्यूँ नहीं देते ऐसा है तो' उन्होने फिर से लैपटाप खोला और उसको उलटने पलटने लगे मैने सोचा शिफूजी अब अपने डिफेंड में कुछ न कुछ प्रूफ दिखा ही देंगे लेकिन कुछ नहीं हुआ।
कुछ देर बाद एक पत्रकार साथी हमारे पास आए और बोले शिफूजी कह रहे है अभी मेरे लैपटाप में इंटरनेट नहीं चल रहा है ।
बताओ एक आदमी जो सोश्ल मीडिया पर इतना एक्टिव रहता है यूट्यूब स्टार है एपल का लैपटाप साथ लिए घूमता है उसके पास इंटरनेट की सुबिधा नहीं है गज़ब है यार ।
हमसे ना हुआ अब निकाल लिए हम दफ्तर को.. कुछ देर बाद एक टीवी वाले पत्रकार पर फोन पर बात हुई तो पता चला शिफूजी वहाँ रह गए कुछ पत्रकार महोदयों से कह रहे थे कि उस पत्रकार साहब को बुलाओ आज तो में उसके जबाब देकर जाऊंगा वरना भोपाल से नहीं जाऊंगा।
वाह फेकू जी वाह !
ये थी शिफूजी के साथ पहली मुलाक़ात असल में ये सब लिखने का मकसद सिर्फ ये है कि इस देश में खुद को ग्रैंडमास्टर शिफूजी कहने वाले शौर्य भाराद्वाज जैसे कई नकली लोग है जो देशभक्ति का झूठा लिबास ओड़ कर सेना की आड़ में बड़ी ही चतुराई से अपनी दुकानदरी चला रहे है भटकी हुई भीड़ की मानसिकता का गलत फायदा उठा रहे है आम आदमी की भावनाओ को जंगली बना रहे है।
हर बात में दुहरापन झलकता है हर बात झूठी जिन सिने सितारो से नफरत की बात करते हो उन सिने सितारो के साथ आपकी तस्वीरे भरी पड़ी है इंटरनेट पर हो सकता है अब आप उन तस्वीरों को हटवा दे जैसे विकिपीडिया और अपनी खुद की वेबसाइट से से झूठी जानकारी हटवा दी थी।
किस हक़ से एक शहीद जवान की विधवा पत्नी के लिए भोपाल में अपनी आवाज बुलंद करने आए थे आप ? उनकी आड़ में आप खुद का प्रोमोशन कर रहे थे। महिलाओं का सम्मान क्या होता है तनिक भी समझ है आपमे फ़्राडमास्टर फेकू जी।
माँ बहन की भद्दी- भद्दी गालियों से आपके यूट्यूब विडियो भरे पड़े है इंटरनेट पर। किसी के सवाल का उत्तर ना देना और देना तो आर्मी की बात करने लगना झूठी देशभक्ति की बात करने लगना फेकू जी इस तरह के गोल -गोल जबाब सुनकर हम थक चुके है।
जिन शाहिदे आजम सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और उधम सिंह की फोटो अपनी कमीज पर बनाएँ घूमते है उनकी शहादत को समझने की कूबत नहीं है आप के पास।
कब तक ये दुहरापन छिपाते फिरोगे आप जिन कन्हैया कुमार जैसे लोगो को गद्दार और देश विरोधी कहते फिरते है गालियां देते फिरते है वो सब लेनिन की विचारधारा से प्रेरित है वही लेनिन जिनको शाहीदे आजम सरदार भगत सिंह अपने अंतिम दिनो में पढ़ रहे थे जिनको आप अपनी छाती पर लगाकर कर शुतुरमुर्ग की तरह शान से सर उठाकर घूमते फिरते है।
आपने शुतुरमुर्ग की तरह अपना सर जो जमीन मे धसा रखा है उसको बाहर निकालिए और ये जो एक औरा बना दिया है ना आपने खुद का नकली है वो। आपके पास मार्शल आर्ट जैसी इतनी दुर्लभ विद्या है ,फ्लेक्सिबिलिटी है , सेना के बारे में जानकारी भी अच्छी है आपका हाउस दा 'जोश' भी हाई है।
हम भी समझते है कुछ लोग किसी विशेष प्रतिभा से ऑबसेस्ड होते है आप कमांडो-पन से ऑबसेस्ड है युद्ध-उन्मादी भाषा का प्रयोग करते है चिल्लाते है लेकिन ये अच्छी बात नहीं है ना।
इतने समय से मुंबई में रह रहे हैं आप कुछ नहीं सीखा वहाँ से आपने? अरे भाई वहाँ की बड़ी ही मशहूर कहावत है
"शब्द हे एका चावीसारखे असतात, कधी मन मोकळे करतात तर कधी तोंड बंद करतात"
और रही बात भोपाल की तो ये तो झीलों की नगरी है यहाँ दिमाग वैसे ही ठंडा हो जाता है कोई बात नहीं मुंबई से नहीं तो भोपाल से ही कुछ सीख लेना और यहीं बुंदेलखंड के तो है आप ।
लेखक युवा पत्रकार हैं और हिदुस्थान समाचार में कार्यरत हैं।
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