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देवास सांसद को टिकट देने से भाजपा का एक धड़ा नाराज

राजनीति            Mar 08, 2024


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

लंबे मंथन और सभी की रायशुमारी के बाद मध्यप्रदेश की 24 लोकसभा सीटों पर भाजपा ने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया गया है. लोकसभा के टिकट को लेकर कई जगह विरोध के सुर भी सुनाई दे रहे हैं.

ऐसा ही कुछ मामला देवास में है. देवास से बीजेपी ने मौजूदा सांसद महेंद्र सिंह सोलंकी को प्रत्याशी बनाया है. हैरानी की बात ये है कि सोलंकी के टिकट मिलने से एक बड़ा धड़ा नाराज है. दरअसल, सोलंकी का टिकट काटने के लिए उनकी ही पार्टी के कई नेताओं ने आलाकमान को पत्र लिखे थे, जो अब सामने आए हैं.

संसदीय क्षेत्र के कई विधायक, पंच, सरपंच, पूर्व सरपंच से लेकर जनपद , जिला पंचायत अध्यक्ष, पूर्व अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंडल के पदाधिकारी आदि सभी जनप्रतिनिधियों ने सोलंकी के टिकट कटवाने के लिए भाजपा आलाकमान को पत्र लिखे थे. विरोध के बावजूद सोलंकी को टिकट आसानी से हासिल हुआ है, लेकिन अपनी ही पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध के चलते जीत हासिल करना मुश्किल हो सकता है.

भाजपा आलाकमान ने देवास लोकसभा से वर्तमान सांसद महेन्द्र सिंह सोलंकी को दोबारा मैदान में उतारा है. गौरतलब है कि महेन्द्र सिंह सोलंकी ने 2019 के चुनाव में जज/न्यायाधीश के पद से इस्तीफा देकर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी पद्मश्री प्रह्लाद सिंह टिपानिया को करीब 3 लाख 72 हजार से ज्यादा वोट से चुनाव हराया था. अब दूसरी बार भाजपा आलाकमान ने उन पर भरोसा जताया है.

महेंद्र सिंह सोलंकी को टिकट मिलने से पहले देवास क्षेत्र से सांसद से नाराज़ भाजपा कार्यकार्ताओं, पदाधिकारियों के एक धड़े ने टिकट कटवाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के 2 हजार से ज्यादा पत्र आलाकमान को भेजे थे. इस बीच टिकट को लेकर पार्टी की रायशुमारी भी हुई. आख़िरकार आलाकमान से महेन्द्र सिंह सोलंकी टिकट लाने में कामयाब हो गए, जिससे नाराज पार्टी कार्यकर्ता और पदाधिकारी अचरज में हैं.

यानी देवास में भाजपा दो खेमे में बंटी हुई है. एक खेमा सोलंकी को दोबारा सांसद देखना चाहता है, तो वहीं दूसरा खेमा उनकी रवानगी चाहता है. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि खेमेबाजी की इस जंग में किसे कामयाबी मिलती है. हालांकि सोलंकी टिकट लाने में कामयाब जरूर हुए है लेकिन बावजूद इसके उनके टिकट को कटवाने के प्रयास अभी भी जारी है. सबसे खास बात यह भी है कि जिस समाज से वह आते हैं, संसदीय क्षेत्र से उनकी समाज के लोगों ने भी पार्टी आलाकमान को चिट्टियां लिखी हैं.

 



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