कीर्ति राणा।
पक्के में भाजपा नेतृत्व इस बार जादू टोने पर भी भरोसा कर रहा है। अब देखिये पहली सूची 39 की, दूसरी सूची भी 39 प्रत्याशियों की ही जारी की गई, इस सूची ने तो जैसे तहलका ही मचा दिया।
दोपहर में तीसरी सूची जारी हुई भी तो कहीं कोई हलचल नहीं हुई, वजह यह कि सिर्फ एक नाम की ही घोषणा की गई। इस तीसरी सूची ने बिल्ली द्वारा रास्ता काटने जैसा असर जरूर दिखा दिया।
अंक ज्योतिषी गहराई से बता सकते हैं कि 39 के अंक में 3 और 9 का क्या महत्व है। यदि भाजपा नेतृत्व को 39 के अंक पर गहरी आस्था नहीं होती तो दूसरी सूची में एक और प्रत्याशी का नाम जोड़ कर इसे 40 की सूची बनाया जा सकता था किंतु अंक गणित ना बिगड़े इसलिए ही शायद एक अकेली प्रत्याशी का नाम इस बहाने के साथ घोषित किया कि गलती से सूची में अमरवाड़ा सीट का नाम छूट गया था।
अकेले नाम वाली इस तीसरी सूची के साथ बिल्ली के रास्ता काटने जैसा अपशकुन भी जुड़ गया है। दोपहर में मोनिका बिट्टी का नाम घोषित हुआ और उधर उमरिया में सरकार के मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ प्रदर्शन कर रहे गोंगपा कार्यकर्ताओं का आंदोलन इतना उग्र हो गया कि पथराव-लाठीचार्ज में कार्यकर्ताओं के साथ 15 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।जाहिर है पुलिस आंदोलनकारियों को ढूंढ ढूंढ कर निशाने पर लेगी।
ऐसे में मोनिका बिट्टी से हमदर्दी रखने वाले गोंगपा कार्यकर्ता भी कैसे निष्ठाधर्म का पालन कर पाएंगे।भाजपा नेतृत्व ने अपने दल में शामिल होने के सात दिन बाद ही टिकट देने की तत्परता इसलिए दिखाई है कि प्रियंका गांधी के दबाव में कमलनाथ को गोंगपा से समझौता करने के साथ ही पांच सीटें देने पर राजी होना पड़ा है, जबकि वो तीन सीटें देना चाहते थे।
2018 के चुनाव में कांग्रेस 30 सीटों पर जीत से दूर रह गई थी।इस बार गोंगपा से हाथ मिलाकर कांग्रेस 30 के नुकसान को 50 सीटों के फायदे में बदलना चाहती है। दोनों पार्टियों के बीच समझौते का लाभ छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भी मिलना तय है।
गोंगपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमान सिंह पोर्ते को कांग्रेस ने राज्यसभा में भेजने का वादा भी किया है। भाजपा इस पार्टी से समझौते में चूक गई तो डेमेज कंट्रोल करते हुए पार्टी से जुड़ी मोनिका को भाजपा में प्रवेश के बाद टिकट दे दिया।
मोनिका बट्टी के पिता मनमोहन शाह बट्टी 2003 में इस सीट से विधायक रह चुके हैं। 2018 के चुनाव में भी वे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे। इस चुनाव में वे दूसरे नंबर पर रहे थे।
कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश प्रताप शाह ने उन्हें 10393 वोटों से हराया था। भाजपा को उम्मीद है कि मोनिका बट्टी के नाम पर हार की इस खाई को पाटा जा सकता है।
मोनिका बट्टी को बीजेपी ने क्यों दिया टिकट?
छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का खासा प्रभाव है। मोनिका बट्टी के पिता मनमोहन शाह बट्टी 2003 में इस सीट से विधायक रह चुके हैं। 2018 के चुनाव में भी वे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे।
इस चुनाव में वे दूसरे नंबर पर रहे थे। कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश प्रताप शाह ने उन्हें 10393 वोटों से हराया था। भाजपा को उम्मीद है कि मोनिका बट्टी के नाम पर हार की इस खाई को पाटा जा सकता है।
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