मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश में लोकसभा की 29 सीटों की जीत के लिए भाजपा ने सारे समीकरण सेट करना शुरू कर दिए है। इसके लिए 24 सीटों पर प्रत्याशियों की नामों की घोषणा कर दी है। इसी कड़ी में गुना सीट से बीजेपी ने सिंधिया को टिकट दिया है।
यह वहीं सीट है जहां से बीजेपी के कद्दावर नेता केपी यादव ने 2019 के लोकसभा सीट से सिंधिया को करारी हार दी थी। सिंधिया उस समय कांग्रेस से प्रत्याशी थे। 2020 में सिंधिया बीजेपी में ज्वाइन हो गए। इसके चलते इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उनको यहां से टिकट दे दिया वहीं केपी यादव को मौका नहीं दिया है। वहीं, गुना लोकसभा टिकट के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के पक्ष में मैदान में उतरे बीजेपी सांसद केपी सिंह यादव ने सोमवार को भोपाल में आरएसएस नेताओं से मुलाकात की।
दरअसल, बीजेपी की तरफ से गुना से लोकसभा टिकट नहीं मिलने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि कद्दावर नेता बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम सकते है। लेकिन उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे। हालांकि विपक्षी दल कांग्रेस ने उनके लिए दरवाजे खुले रखे हैं।
पहली लिस्ट से गायब मिला नाम
बीजेपी की लोकसभा चुनाव की प्रत्याशियों की पहली लिस्ट में उनका नाम गायब था। इसके तीन दिन बाद उन्हें सोमवार को भोपाल में आरएसएस नेताओं के आवास 'समिधा' में देखा गया। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए यादव ने कहा, 'पार्टी के फैसले का सम्मान करता हूं। मैंने उन सभी को बधाई दी है जिन्हें टिकट दिया गया है।' यह पूछे जाने पर कि क्या वह कांग्रेस में शामिल होंगे, यादव ने कहा, 'नहीं। भाजपा एक बड़ी पार्टी है। मैं पार्टी का कार्यकर्ता हूं। पार्टी तय करे कि उन्हें मेरे लिए क्या काम करना है।'
हराने वाले को दिया टिकट
दरअसल, साल 2019 में गुना में कांग्रेस की तरफ चुनावी मैदान में उतरे सिंधिया को केपी यादव ने 1.2 लाख से अधिक वोटों से हराया था। इसके बाद यादव 2019 के चुनाव के पोस्टर बॉय थे। हालांकि यादव का स्टारडम ज्यादा समय तक नहीं टिक पाया क्योंकि एक साल बाद मार्च 2020 में सिंधिया अपने 22 वफादार विधायकों के साथ भाजपा में चले गए, जिससे भगवा खेमे में एक नया शक्ति केंद्र तैयार हो गया।
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