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मोटाभाई का मास्टर स्ट्रोक: जीत की गारंटी से कम कुछ नहीं

राजनीति            Sep 26, 2023


नितिन शर्मा।

विजयवर्गीय, तोमर, पटेल जैसे बड़े नेताओं को मैदान में उतारकर कांग्रेस को दिया बड़ा झटका

मुख्यमंत्री के लिए भी पार्टी का फैसला चौकाने वाला, हतप्रभ रहा गया प्रदेश नेतृत्व

दिल्ली दरबार का अब क्षत्रपों पर भरोसा, केंद्रीय मंत्री से लेकर सांसद तक उतार दिए मैदान में_

विजयवर्गीय के टिकट ने मालवा निमाड़ में फूंका जोश, अगला सीएम मानकर मनने लगे जश्न, क्षेत्र 1 में आज शाम देंगे दस्तक

शेष बचे टिकटों में भी चोकएगी भाजपा, सबकी नजर अब इंदौर 2, 3, 4, 5, महू पर

किसने कल्पना की थी कि जम्बूरी मैदान के भव्य मंच की पृष्ठभूमि में लगे पोस्टर के सारे नेता, पोस्टर से उतरकर सीधे मैदान में आ जाएंगे? किसने ये सोचा था कि जो प्रधानमंत्री के समकक्ष मंचासीन थे, वे सब नेता एक ही झटके में सड़क पर भेज दिए जाएंगे?  

 किसी ने ये उम्मीद की थी क्या कि जिन्हें चुनाव लड़वाने की जवाबदेही दी गई थी, वे स्वयम ही चुनाव लड़ेंगे? ये तो रत्तीभर भी विचार किसी के नही आया होगा कि एक सीएम के रहते, अनेक सीएम पद के दावेदार चुनावी मैदान में कूद पड़ेंगे?

 लेकिन कहते हैं न- मोदी है तो मुमकिन है और शाह है तो नामुमकिन भी मुमकिन है। भाजपा ने ये कर दिखाया। पहले, पहली सूची जल्दी जारी कर सबको चौकाया। अब दूसरी सूची से सबको भौचक्का ही कर दिया। हमारे इंदौर और मालवे के लिए तो ये ही खास बात रही कि " सीएम मटेरियल" कैलाश विजयवर्गीय 10 बरस बाद चुनाव मैदान में आ गए।*_

 जिस काम के लिए मोटाभाई यानी अमित शाह जाने जाते हैं, सोमवार को वो काम वे कर गुज़रे। मध्यप्रदेश के आगामी चुनाव के मद्देनजर उन्होंने वो मास्टर स्ट्रोक मारा कि कांग्रेस ही नही, उनका अपना दल भी भौचक्का हो गया। प्रदेश नेतृत्व को भी हतप्रभ करते हुए शाह ने वो पैतरा चला कि एक पल के लिए तो कांग्रेस भी " सम्पट" भूल गई क्योकि शाह का शॉट उन सीटों पर ही चला जो बीते चुनाव में भाजपा हार गई थी। मोटाभाई ने ज्यादातर उन्ही हारी हुई सीटो पर अपने दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारकर "अंक गणित " अपने पक्ष में कर लिया।

 मामला भाजपा की दूसरी सूची से जुड़ा है, इस सूची ने ऐसी हलचल मचाई कि प्रदेश के सारे सियासी समीकरण एक ही झटके में बदल गए। प्रदेश से जुड़े पार्टी के जितने दिग्गज नेता दिल्ली में जमा थे, उन सबकी रवानगी वापस एमपी में कर दी गई। वो भी चुनावी टिकट के संग। जाओ और जीतो, सरकार बनाओ। फिर समझेंगे कि किसे वापस दिल्ली बुलाना है?

 शाह की सोच ये ही रही कि ये तमाम बड़े नेता सिर्फ वोट ही क्यो मांगे? चुनाव ही लड़ ले न? ताकि दस बीस सीट का सीधा फर्क पड़ जायेगा। और इतने ही अंक का तो खेल है सरकार में वापसी का।

 सारे सर्वे दोनो दलों के बीच 10-20 सीट का ही फासला रख रहे है। शाह के मास्टर स्ट्रोक ने एक ही झटके में ये अंक भाजपा की झोली में फ़िलहाल तो डाल ही लिए हैं। उदाहरण के तौर पर इंदौर-1 सीट देखे। उम्मीदवार की सक्रियता के कारण कांग्रेस इस सीट को अपना मानकर ही चल रही थी।

 भाजपा में भी इस सीट पर कलह चरम पर थी। लेकिन अब कैलाश विजयवर्गीय यहां से कमलदल का चेहरा बना दिए गए। अब क्या? बस इसी सवाल का जवाब अमित शाह का ये मास्टर स्ट्रोक हैं।

 सूची बता रही है दिल्ली दरबार का मिज़ाज। सिर्फ और सिर्फ जीत। वो भी 100 प्रतिशत वाली। इससे कम कुछ नही। मामला 2023 से ज्यादा 2024 की चिन्ता का हैं। परिणाम सामने है। नरेंद्र सिंह तोमर से लेकर कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल से लेकर फग्गनसिंह कुलस्ते जैसे दिग्गज नेता विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। 3 केंद्रीय मंत्री, 4 सांसद और एक राष्ट्रीय महासचिव का चुनाव मैदान में होना ये ही दर्शा रहा है कि मध्यप्रदेश के मामले में केंद्रीय नेतृत्व बेहद गम्भीर हैं और वो हर हाल में यहां सत्ता में वापसी चाहता हैं।*

मिशन 2023 में अब वे ही नाम मैदान में आएंगे जिनकी चुनावी जीत की ग्यारंटी " हंड्रेड परसेंट " होगी।

 हालांकि परिणाम क्या रहेगा ये तो बाद में ही पता चलेगा लेकिन बड़े चेहरों के संग भाजपा ने इन सीटों पर फिलहाल तो जीत पक्की कर ही ली है। इनमे कई दिग्गज नेता तो पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। इसमे फग्गनसिंह से लेकर प्रह्लाद पटेल तक शामिल हैं।

 निःसन्देह इन बड़े नेताओं के चुनाव लड़ने से सम्बंधित क्षेत्र में माहौल तो बनता ही है। अब चिन्ता कांग्रेस करें कि वो क्या रणनीति अपनाए जो अब तक बढ़त बरकरार रहे। फ़िलहाल तो मोटाभाई का मास्टर स्ट्रोक कांग्रसी खेमे में सन्नाटा पसरा गया हैं।

 प्रदेश नेतृत्व भौचक्का, सीएम भी हतप्रभ

मोटाभाई की रणनीति ने भाजपा के प्रदेश नेतृव को भी भौचक्का कर दिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी हतप्रभ रह गए कि ये क्या? 4 घन्टे पहले तक जो मंचासीन थे, वे सारे नेता मैदान में उतार दिए गए। जिन्हें चुनाव लड़ाने की जिम्मेदारी दी गई थी, वे ही अब चुनाव लड़ेंगे भी और लड़वाएँगे भी। इसकी उम्मीद न प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को थी न संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा को। सीएम को भी इक्का दुक्का बड़े नाम की चुनाव मैदान में उतरने की भनक तो थी लेकिन चुनाव प्रबन्धन समिति के मुखिया और स्वयम के "गॉड फ़ादर" नरेंद्र सिंह तोमर की रत्तीभर भी उम्मीद नही थी कि दिल्ली उन्हें भी सड़क पर उतार देगी।*

 विजयवर्गीय के नाम ने फूंका जोश, सीएम मानकर मना जश्न

कैलाश विजयवर्गीय के नाम की घोषणा ने न केवल इंदौर जिले में बल्कि मालवा निमाड़ में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में जोश फूंक दिया। उन्हें अगला सीएम मानकर जमकर जश्न भी मनने लग गए। विजयवर्गीय जनआशीर्वाद यात्राओं में अभी प्रदेश के एक बड़े हिस्से में उनकी डिमांड बनी हुई थी।

 विजयवर्गीय ने न केवल मालवा निमाड़ बल्कि ग्वालियर चम्बल बेल्ट से लेकर जबलपुर महाकोशल तक यात्रा के जरिये दस्तक थी। प्रदेश के 5 स्थानो से निकली इन यात्राओं में विजयवर्गीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से ज्यादा जगहों पर पहुँचे। ये पार्टी के पास रिकार्ड में भी दर्ज हैं।

 वे मालवा निमाड़ की 66 विधानसभा सीटों की अपरोक्ष जिम्मेदारी देख ही रहे थे। ऐसे में उनका स्वयम चुनाव मैदान में होना पार्टी में प्राण फूंक गया। विजयवर्गीय को सीट भी हर बार की तरह कठिन मिली। विधानसभा-1 में भाजपा में कलह चरम पर थी और कांग्रेस के मौजूदा विधायक संजय शुक्ला जमीन पर बेहद मजबूत हैं। ऐसे में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने एक बार फिर से अपने जीताऊ चेहरे पर भरोसा किया। विजयवर्गीय मंगलवार शाम 5 बजे बड़ा गणपति मंदिर पहुचेंगे जहां उनके बड़े स्वागत की तैयारियां हैं।

 

 

 

 


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