मल्हार मीडिया ब्यूरो।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने विपक्ष पर एक के बाद एक कई तंज कसे। इस दौरान सदन में पीएम का शायराना अंदाज भी देखने को मिला ए।
पीएम मोदी ने शायराना अंदाज में विपक्ष के खूब मजे लिए, इससे एक दिन पहले मंगलवार को धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बुधवार को लोकसभा में भाषण दे रहे थे, उनके भाषण से पहले विपक्षी दलों ने जमकर नारेबाजी की। इसके बाद, जब पीएम मोदी ने बोलना शुरू किया तो उन्होंने भी विपक्ष को जमकर लपेटा। उन्होंने राहुल गांधी पर भी शायराना अंदाज में तंज कसा।
आगे बोलते हुए पीएम मोदी ने विपक्ष को जमकर घेरा। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा- “कुछ लोगों के भाषण के बाद पूरा ईकोसिस्टम और समर्थक उछल रहे थे और खुश होकर कहने लगे, ये हुई न बात, शायद नींद भी अच्छी आई होगी, शायद आज उठ भी नहीं पाए होंगे”।
उन्होंने आगे उर्दू में शायरी बोलते हुए कहा- “ऐसे लोगों के लिए कहा गया है…अच्छे ढंग से कहा गया है…ये कह-कह कर हम दिल को बहला रहे हैं, वो अब चल चुके हैं, वो अब आ रहे हैं।”
ने लोकसभा में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखे वार किए थे और सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए थे।
पीएम मोदी ने ED और विपक्ष को लेकर कहा- 'मिले सुर हमारा तुम्हारा...' मुझे लगता था कि देश की जनता और चुनाव के नतीजों से ऐसे लोगों (विपक्ष) को एक मंच पर लाएगी, लेकिन ED ने सभी विपक्षियों को एक साथ ला दिया।
जो काम देश की जनता, देश के वोटर नहीं कर पाए वो काम ED ने कर दिया। विपक्षियों को चुनावी नतीजे इक्ट्ठा नहीं कर सके, ED ने कर दिया। पीएम मोदी ने तंज के रूप में प्रवर्तन निदेशालय का धन्यवाद भी किया।
पीएम मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि करीब तीन दशकों तक भारत में राजनीतिक अस्थिरता रही। आज हमारे पास एक स्थिर और निर्णायक सरकार है। स्टार्टअप्स में हम दुनिया में तीसरे नंबर पर हैं। 2004 से 2014 तक आजादी के इतिहास में घोटाला का दशक रहा। UPA सरकरा के दस साल में भारत के हर कोने में आतंकवादी हमलों का सिलसिला चलता रहा।
पीएम मोदी ने कहा कि ये विपक्ष में निराशा ऐसे नहीं आई, इस निराशा के पीछे कारण है, एक तो जनता का बार-बार हुकुम। 2004 से 2014 तक भारत की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो गई, इस पर निराशा नहीं होगी तो क्या होगी। 10 साल में महंगाई डबल डिजिट रही इसलिए अगर कुछ अच्छा होता है तो निराशा और उभर कर आती है।
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