Breaking News

निर्वाचन आयोग की सिफारिश अयोग्य घोषित हों आप के 20 विधायक

राजनीति            Jan 19, 2018


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) को एक बड़ा झटका देते हुए निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को संसदीय सचिव के रूप में लाभ के पद धारण करने के लिए आप के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने की सिफारिश की है। कांग्रेस द्वारा जून 2016 में की गई एक शिकायत पर निर्वाचन आयोग ने राष्ट्रपति को अपनी राय दे दी है।

कांग्रेस के आवेदन में कहा गया था कि जरनैल सिंह (राजौरी गार्डन) सहित आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को दिल्ली सरकार के मंत्रियों का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया है। जरनैल सिंह ने पिछले साल पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।

संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति निर्वाचन आयोग की सिफारिश के आधार पर कार्रवाई करने के लिए बाध्य हैं।

निर्वाचन आयोग की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन सूत्रों ने कहा है कि आयोग की सिफारिश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दी गई है।

इस कदम से 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा की 20 सीटों के लिए उपचुनाव कराना पड़ेगा। वर्तमान में आधिकारिक तौर पर आप के 66 सदस्य सदन में हैं। अन्य चार सीटें भाजपा के पास हैं।

अगर 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाता है, तो सत्ताधारी दल के पास अब भी दिल्ली विधानसभा में बहुमत बना रहेगा।

जिन विधायकों को अयोग्य घोषित किया जा सकता है, उनमें अलका लांबा, आदर्श शास्त्री, संजीव झा, राजेश गुप्ता, कैलाश गहलोत, विजेंदर गर्ग, प्रवीण कुमार, शरद कुमार, मदन लाल खुफिया, शिव चरण गोयल, सरिता सिंह, नरेश यादव, राजेश ऋषि, अनिल कुमार, सोम दत्त, अवतार सिंह, सुखवीर सिंह डाला, मनोज कुमार, नितिन त्यागी और जरनैल सिंह (तिलक नगर) शामिल हैं।

आप ने कहा है कि निर्वाचन आयोग की सिफारिश गलत आरोपों पर आधारित है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि भाजपा ने सिर्फ अपनी चहुमुखी विफलता की तरफ से ध्यान हटाने के लिए अपने एजेंटों के जरिए निर्वाचन आयोग की प्रतिष्ठा के साथ गंभीरू रूप से समझौता किया है।

आप के प्रवक्ता नागेंद्र शर्मा ने ट्वीट किया, "मोदी सरकार द्वारा नियुक्त निर्वाचन आयोग ने मीडिया को जो जानकारी लीक की है, वह लाभ के पद के झूठे आरोपों पर विधायकों का पक्ष सुने बगैर की गई अनुशंसा है। यह पक्षपातपूर्ण अनुशंसा अदालत के सामने नहीं टिक पाएगी।"

उन्होंने आगे लिखा है, "निर्वाचन आयोग के इतिहास में यह अपनी तरह की पहली अनुशंसा है, जो संबंधित पक्ष को सुने बिना की गई है। लाभ के पद के मामले में चुनाव आयोग में कोई भी सुनवाई नहीं हुई है।"

उल्लेखनीय है कि पिछले साल अक्टूबर में निर्वाचन आयोग ने आप विधायकों की वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ लाभ के पद का मामला खत्म करने का आग्रह किया था। आयोग ने आप विधायकों को नोटिस जारी कर इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा था।

आप सरकार ने मार्च 2015 में दिल्ली विधानसभा सदस्य (अयोग्यता हटाने) अधिनियम, 1997 में एक संशोधन पारित किया था, जिसमें संसदीय सचिव के पदों को लाभ के पद की परिभाषा से मुक्त करने का प्रावधान था।

लेकिन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उस संशोधन को स्वीकृति देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने सितंबर 2016 में सभी नियुक्तियों को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया। न्यायालय ने कहा कि था कि संसदीय सचित नियुक्त करने के आदेश उपराज्यपाल की मंजूरी के बगैर जारी किए गए थे।


Tags:

doordarshan election-commission-of-india dabang-media-journalist

इस खबर को शेयर करें


Comments