मल्हार मीडिया ब्यूरो।
शिवसेना किसकी जैसे मुद्दे पर पिछले सात-आठ महीने से चल रही लड़ाई को आखिरकार एकनाथ शिंदे गुट ने जीत लिया है। केंद्रीय चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न देने की घोषणा की।
इस फैसले से उद्धव के गुट में हड़कंप मच गया है। इस बीच ठाकरे गुट ने लोकसभा में 6 सांसदों का समर्थन होने का दावा किया है।
हालांकि, चुनाव आयोग के दस्तावेजों से ऐसा प्रतीत होता है कि केवल चार सांसद हैं। इससे एक बार फिर चर्चा छिड़ गई है और सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर कौन हैं वो दो सांसद?
चुनाव आयोग के दस्तावेजों के मुताबिक लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद में ठाकरे और शिंदे गुट के सांसदों और विधायकों की संख्या की जानकारी जारी की गई।
शिंदे गुट के 55 में से 40 विधायक विधानसभा में हैं। ठाकरे गुट के 15 विधायक हैं जबकि विधान परिषद में ठाकरे गुट के 12 में से 12 विधायक हैं और शिंदे के पास शून्य विधायक हैं।
चुनाव आयोग के फैसले के बाद आज शनिवार को उद्धव ठाकरे ने सनरूफ कार से शिवसैनिकों को संबोधित किया। उद्धव ठाकरे का भाषण सुनने के लिए हजारों की संख्या में शिवसैनिक कलानगर में जमा हुए।
इससे पहले शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने दशहरा मेले में कार में खड़े होकर शिवसैनिकों को संबोधित किया था।
उद्धव ठाकरे ने तपती धूप में सनरूफ कार से शिवसैनिकों को संबोधित किया। शिवसैनिकों को संबोधित करने से पहले उद्धव ठाकरे ने विधायकों और सांसदों के साथ कई बैठकें भी कीं।
ठाकरे गुट के राज्यसभा में तीन में से तीन सांसद हैं तो, शिंदे गुट के पास शून्य सांसद हैं। लोकसभा के 19 सांसदों में से शिंदे गुट के 13 सांसद हैं और ठाकरे गुट के केवल चार सांसद हैं।
हालांकि, ठाकरे गुट के पास छह विधायक होने का दावा है। दरअसल, चुनाव आयोग को सिर्फ चार सांसदों के हलफनामे मिले हैं। तो क्या ये दोनों सांसद शिंदे गुट की राह पर हैं? या न्यूट्रल रह गए हैं? राजनीतिक गलियारे में यह सवाल उठाया जा रहा है।
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