सत्तारूढ़ पार्टी का सदाबहार चुनावी मोड और बिखरे पत्ते समेटता विपक्ष

राजनीति            Jun 07, 2022


डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी।
भारतीय जनता पार्टी वैसे तो हमेशा ही चुनाव के मोड में रहती है, लेकिन मोदी सरकार के 8 साल पूरे होते ही वह फिर से 2024 की तैयारियों में जुट गई है।

भारतीय जनता पार्टी के 2 राष्ट्रीय प्रवक्ताओं नुपूर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल के खिलाफ कार्रवाई करके सरकार ने यह बताने की कोशिश की है कि यह एक ऐसी सरकार है, जो सभी के लिए कार्य कर रही है।

आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाली प्रवक्ता के खिलाफ कार्रवाई से भारतीय जनता पार्टी में भी हलचल बढ़ गई है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी अब फूंक-फूंककर कदम रखने की कोशिश कर रही है।

बीजेपी की कोशिश है कि नरेन्द्र मोदी की छवि एक वैश्विक नेता के साथ ही ऐसे नेता की भी बनाई जाए, जो भारत में जवाहर लाल नेहरू के कद जैसा हो।

12 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद गुजरात में सरकार की योजनाओं के बारे में बोलते हुए इस बात का इशारा कर चुके हैं कि वे तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार हैं।

भारतीय जनता पार्टी और एनडीए सरकार ने 2024 की तैयारियों के तहत लगातार सरकार की उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाने का अभियान चला रखा है।

प्रधानमंत्री ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ते, जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार की उपलब्धियों को गिनाया जा सके।

तमिलनाडु में जब नरेन्द्र मोदी ने हिन्दी की बात की और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने तमिल को वैश्विक भाषा बताया, तब नरेन्द्र मोदी ने तमिल की महत्ता बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी। साफ है कि मोदी सरकार राज्यों से तनाव के मूड में नहीं है।

गुजरात विधानसभा के चुनाव इसी वर्ष होने वाले हैं, अपनी गुजरात यात्रा में नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार गांधी और पटेल के सपनों को साकार करने की दिशा में काम कर रही है।

गरीबों, दलितों, आदिवासियों और महिलाओं को अधिकार प्रदान किए गए हैं। सरकार आत्म निर्भरता की तरफ लगातार कदम बढ़ा रही है।

भारत की आजादी के अमृत महोत्सव के बहाने देशभर में जो आयोजन किए जा रहे हैं, उनमें 75 साल की उपलब्धियों के साथ ही पिछले 8 साल की उपलब्धियों को मोटे अक्षरों में रेखांकित किया जा रहा हैं।

इसमें सबसे बड़ी रुकावट अगर कोई बन रहे हैं, तो वह भारतीय जनता पार्टी के ही सांसद सुब्रमण्यम स्वामी हैं, जो लगातार मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं।

स्वामी के खिलाफ ही बीजेपी के कई सांसद मैदान में उतर आए हैं और वे स्वामी पर आरोप लगाने में पीछे नहीं हैं। यहां तक कि स्वामी को अमेरिका का प्रतिनिधि भी बताया जा रहा है।

भाजपा यह बात जानती है कि हालात 100 प्रतिशत उसके पक्ष में नहीं रहने वाले, इसलिए जहां भी मौका मिलता है,पार्टी थोड़ा विनम्र होने का प्रयास करती है।

जब चीन की सीमा पर विवाद का जिक्र आता है, तब 1962 में जवाहर लाल नेहरू की सरकार का जिक्र कर दिया जाता है।

मुस्लिम देशों द्वारा विरोध के कारण कतर में भारत के उपराष्ट्रपति के सम्मान में दिए जाने वाले भोज को स्थगित करने जैसे गंभीर मुद्दे पर भी बीजेपी थोड़ा लचीला रूख अपनाए हुए है।

अब आगामी दो वर्षों तक भाजपा अपनी उपलब्धियों को हर स्तर पर प्रचारित करने में जुट गई है।

सरकारी विभाग, पार्टी संगठन, राज्यों की इकाई और यहां तक कि नीति आयोग से भी कहा गया है कि सरकारी योजनाओं की कामियाबी का प्रचार धूम धड़ाके से किया जाएं।

सभी केन्द्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और पदाधिकारियों से कहा गया है कि सरकार के 8 साल होने पर दो सप्ताह तक लगातार अभियान चलाया जाएं, जिसमें मोदी राज की उपलब्धियों को अच्छी तरह से प्रचारित किया जाएं।

पिछले उत्तरप्रदेश चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का चुनाव अभियान दो मुद्दों पर केन्द्रित था।

केन्द्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार और मोदीराज के विकास कार्य।

अपने वोट बैंक को बचाने के लिए नरेन्द्र मोदी ने समाजवादी पार्टी पर लगातार हमले किए।

2024 के चुनाव में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 80 में से 75 सीटें जीतने का लक्ष्य दिया गया।

बीजेपी ने उन कमजोर बूथों पर ध्यान देना शुरू किया है, जहां उसे अच्छा समर्थन नहीं मिला है।

संगठन के नेताओं ने हर लोकसभा क्षेत्र में करीब 250 ऐसे बूथों की सूची बनाई, जहां बीजेपी और बेहतर कर सकती थी।

इन बूथों में से 100 कमजोर बूथों की जिम्मेदारी वहां के सांसदों को दी जाएगी और विधायक अथवा विधान परिषदों के सदस्यों को 25-25 कमजोर बूथ मजबूत बनाने का दायित्व सौंपा जाएगा।

अगले सप्ताह से भारतीय जनता पार्टी की टीम लगातार जिलों का दौरा करेगी। इसके लिए सांसद के साथ 80 और विधायक के साथ 10 कार्यकर्ताओं की टीम बनाई गई है।

राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी के उन 144 सीटों पर फोकस करने का मन बनाया है, जहां 2019 में उसे हार का सामना करना पड़ा।

इन सभी लोकसभा सीटों में शामिल विधानसभा क्षेत्रों की पूरी जानकारी जुटाकर मतदाताओं के बीच सक्रिय होने के लिए नेताओं से कहा गया है।

पार्टी के संगठन प्रभारी हर पखवाड़े एक रात अपने लोकसभा क्षेत्र में बिताएंगे और हर विधानसभा क्षेत्र में एक रात प्रवास करेंगे, ताकि लोगों से बातचीत करके पार्टी का हाल जाना जा सकें।

बीजेपी मुख्यालय में सभी महत्वपूर्ण नेताओं और कार्यकर्ताओं की जानकारी को डाटा के रूप में रखा जा रहा है। किस जाति के कितने वोट हैं और उस जाति के प्रमुख नेता कौन हैं?

चुनाव के पिछले रिकॉर्ड और आगामी चुनाव के पूर्वानुमान क्या हो सकते हैं? किन उम्मीदवारों पर सतत् निगरानी की जरूरत है और कौन-कौन से नेता चुनाव में रायता फैला सकते हैं, इसका भी रिकॉर्ड रखा जा रहा है।

जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार नहीं है, वहां बीजेपी के वरिष्ठ मंत्री लगातार दौरा कर रहे है और सरकार की योजनाओं का प्रचार कर रहे हैं।

राहुल गांधी के चुनाव क्षेत्र वायनाड में केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने उन दिनों दौरा किया, जब राहुल गांधी देश में नहीं थे।

बीजेपी के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए और विपक्षी कार्यकर्ताओं के मनोबल को गिराने के लिए यह रणनीति बनाई गई है।

हर लोकसभा सीट के लिए भारतीय जनता पार्टी विशेष मीडिया प्रभारी नियुक्त कर रही है।

इस टीम को यह भी दायित्व सौंपा गया है कि वह उन मीडिया घरानों को बीजेपी के पक्ष में लाने की कोशिश करें, जो अभी तक बीजेपी के खेमे में नहीं है।

हर लोकसभा सीट के मीडिया प्रभारी को दायित्व दिया गया है कि वह सोशल मीडिया पर कम से कम अपने 50 हजार फॉलोअर्स जरूर बना लें, ताकि मौका पड़ने पर उन्हें तत्काल संदेश दिया जा सके।

यह तो बीजेपी के पहले चरण की तैयारी है, जून के बाद बीजेपी अपना दूसरे चरण की तैयारी करेगी।

बीजेपी सरकार अपने 8 साल को सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण पर केन्द्रित कर रही है।

बीजेपी के राडार में मुख्यत: किसान, दलित, युवा, महिला और पिछड़ी जातियों के वोट हैं। इसीलिए सभी के प्रकोष्ठ बना दिए गए हैं।

भारत के सभी जिलों में बीजेपी की तरफ से 8 साल की उपलब्धियां बताने के लिए रैलियां निकालने का निर्देश हैं।

भारतीय जनता युवा मोर्चा को यह दायित्व दिया गया है कि वह कम से कम तीन दिन तक हर जिले में मोटर साइकिल रैली निकालें।

रैली का आयोजन ऐसा हो कि उसमें हर एक विधानसभा क्षेत्र शामिल हों। सभी पदाधिकारियों को निर्देश हैं कि वे कम से कम 8 घंटे का समय पार्टी के प्रचार कार्यक्रमों में अवश्य दें।

आंगनवाड़ी केन्द्रों पर महिलाओं के नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण की जिम्मेदारी बीजेपी महिला मोर्चा को सौंपी गई है, ताकि महिलाओं को बीजेपी के पक्ष में किया जा सके।

एक तरफ तो भारतीय जनता पार्टी की इतनी सुगठित चुनाव तैयारी हैं। दूसरी तरफ बिखरा हुआ विपक्ष हैं। भारतीय जनता पार्टी केन्द्र और कई राज्यों में सत्ता में हैं।

इससे उसका काम आसान हो जाता है और वह सरकारी प्रचार तंत्र का उपयोग उपलब्धियां बताने के लिए कर रही है।

देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी अभी उदयपुर चिंतन शिविर के नतीजों पर अमल करने की तैयारी कर रही है।

2 अक्टूबर से कांग्रेस अपना जनसंपर्क अभियान चलाएगी। यानी एक तरफ सत्तारूढ़ पार्टी है, जो 2024 के चुनाव में पूरी तरह जुटी हुई है और दूसरी तरफ कांग्रेस अपने बिखरे पत्ते समेटने में लगी है।

यहां विचार और नीतियों की बात नहीं की गई है। केवल चुनावी तैयारी और रणनीति का जिक्र हो रहा है।

अनुभव यह रहा है कि जो विद्यार्थी पूरे साल पढ़ाई करता है, वह आमतौर पर परीक्षा में उन विद्यार्थियों से ज्यादा नंबर लाता है, जो एक या दो महीने ही पढ़ाई करते हैं।

● एक एक बूथ पर नज़र
● पिछले चुनाव के सबक पर ध्यान
● हर पदाधिकारी का स्पष्ट दायित्व
● हर वर्ग को साधने की तैयारी
● हर लोकसभा-विधानसभा क्षेत्र, वार्ड, ग्राम पंचायत के वोटर तक पहुंचने का लक्ष्य
● हर कार्य को उपलब्धि बताने और प्रचारित करने का कार्य सरकारी खर्च से
● यूपी में 75 लोकसभा सीटों का लक्ष्य, गत चुनाव में कम अंतर से हारी 144 सीटों पर फोकस
● देश के हर जिले में पार्टी का मीडिया प्रभारी नियुक्त, उसका लक्ष्य 50,000 फ़ॉलोअर्स
● राहुल गांधी की हर बात पर निशाना, राहुल विदेश में तो स्मृति ईरानी राहुल के संसदीय क्षेत्र वायनाड में
● युवा मोर्चे को साइकिल रैली, मोटर साइकिल रैली के निर्देश, ये रैलियां कम से कम 3 दिन हो और हर विधानसभा कवर करे
● मुख्यालय पर विशाल डाटा बैंक - हर वार्ड के नेता की जाति, वर्ग, उपलब्धि और कमज़ोरी का चिट्ठा; रायता फैला सकनेवालों का विवरण
● न्यायपालिका, मीडिया, प्रशासन, शिक्षा-संस्थानों में सत्ता वर्ग से सहानुभूति रखनेवालों से निरंतर संपर्क और सहयोग

 



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