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कबरी बिल्ली भाग जाएगी और प्रायश्चित की चुटीली कहानी का बंदोबस्त हो जाएगा

राजनीति            Jul 05, 2019


प्रकाश भटनागर।
महरी ने लड़खड़ाते हुए कहा-मांजी बिल्ली तो उठकर भाग गयी। भगवती चरण वर्मा की मशहूर कहानी, जिसे हमने स्कूली पाठ्यक्रमों की हिन्दी की किताब में जरूर पढ़ा होगा, उसी 'प्रायश्चित' के सर्वाधिक रोचक संवादों में से एक है यह। मामला रोचक है।

रामू की औरत के हाथों शरारती कबरी बिल्ली पर प्रहार हो जाता है। चर्चा फैल जाती है कि बिल्ली की हत्या हो गयी। चतुर सुजान पंडित परमसुख, रामू की मां से इस घटना पर नाराजगी जताते हैं। कहते हैं कि बहू को प्रायश्चित करना होगा।

आस-पड़ोस की औरतों के बीच प्रायश्चित का विधि-विधान तय होता है। परमसुख इसकी आड़ में अपने लिए सोने की बिल्ली, धन और भोजन इत्यादि का जुगाड़ सुनिश्चित कर लेते हैं।

किंतु उसी समय महरी के जरिये पता चलता है कि बिल्ली तो जिंदा है। जाहिर है कि ऐसे में प्रायश्चित का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता है।

अब इस कहानी को भाजपा संसदीय दल की बैठक में मंगलवार को हुए घटनाक्रम से जोड़ने की कोशिश की जाए। भाजपा में कबरी बिल्ली, रामू की औरत, उसकी मां और परमसुख किसे कहें, यह समझ में नहीं आ रहा।

हां, इतना जरूर समझ आ रहा है कि मामला उस प्रायश्चित का है, जिसके होने की दूर-दूर तक कोई सूरत नजर नहीं आती। नरेंद्र मोदी का गुस्सा होना जायज था। अपनी पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के विधायक बेटे आकाश की कारगुजारी पर उन्होंने अप्रसन्नता जतायी।

इस विधायक सहित उसके सभी समर्थकों को पार्टी से बाहर करने की बात तक कह दी। मोदी इससे पहले भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर गुस्साये थे। मामला मोहन दास करमचंद गांधी के हत्यारे नाथुराम गोडसे को देशभक्त बताये जाने का था।

मोदी ने कहा कि ऐसे कथन के लिए वह प्रज्ञा को कभी मन से माफ नहीं करेंगे। ऐसा दिखा भी, जिस दिन सभी सांसदों ने मोदी को प्रधानमंत्री बनने की बधाई दी, तब प्रज्ञा ठाकुर की मोदी ने अनदेखी कर दी थी।

ताजा मामले में यहीं से एंट्री होती है, भगवती चरण वर्मा के कथानक की। प्रदेश भाजपा की अनुशासन समिति के प्रमुख बाबू सिंह रघुवंशी इंदौर से ही होते हैं शायद इसलिए वे सरकारी बाबू की तरह इन घटनाक्रमों पर जवाब दे रहे हैं।

मीडिया से उनकी बातचीत के कुछ रोचक हिस्से इस तरह हैं। बकौल रघुवंशी, आकाश के खिलाफ अब तक कोई शिकायत नहीं आयी है, इसलिए उन पर कार्रवाई नहीं की जा सकती।

जब उनका ध्यान मोदी के कथन की ओर दिलाया गया, तो उन्होंने संबंधित रिपोर्टर से कहा कि यदि वह प्रधानमंत्री के कहने वाला वीडियो ला दे तो वह शायद कोई कार्रवाई कर दें। खालिस बाबूगिरी वाली बात!

यहां तो सरकार के अंतर्गत संचालित मानवाधिकार आयोग भी कई घटनाओं का खुद ही संज्ञान लेकर कार्रवाई कर गुजरता है। तो फिर गैर सरकारी भाजपा की अनुशासन समिति में बैठे रघुवंशी क्यों ऐसा नादान आचरण दिखा रहे हैं?

क्या मोदी का गुस्सा सिर्फ दिखावे वाला मामला है? या फिर प्रदेश भाजपा की अनुशासन समिति केवल नाम भर के लिए है।

लोकसभा चुनाव का परिणाम आने से ठीक पहले अमित शाह ने मोदी की मौजूदगी में कहा था कि प्रज्ञा के मामले में अनुशासन समिति कार्रवाई करेगी। क्या ऐसा कुछ हुआ? क्या समिति ने वाकई कुछ किया?

यदि किया तो फिर क्या यह मान लें कि प्रज्ञा का क्लीन चिट दे दी गयी है? अगर मोदी को एक विधायक से फर्क नहीं पड़ता तो एक सांसद से भी अब क्या फर्क पड़ रहा है। या फिर भाजपा की अनुशासन समिति ने मान लिया है कि गोडसे को देशभक्त बताना सही है?

इधर आकाश वाले मामले में भी ऐसा ही होता दिख रहा है। 50 घंटे से ज्यादा हो गया, जब मोदी ने गुस्सा जताया था। लेकिन अब तक कोई खबर नहीं है कि आकाश का बाल भी बांका हुआ या फिर किसी नोटिस की औपचारिकता भी पूरी हुई हो। तो फिर इस सारी नौटंकी का भला क्या औचित्य रह जाता है।

साध्वी के मामले में अनुशासन के नाम पर जो हुआ और आकाश के प्रकरण में इसी नाम पर जो कुछ होता दिख रहा है, उसे देखकर यही लगता है कि अंतत: कबरी बिल्ली उठकर भाग जाएगी और प्रायश्चित के नाम पर हमारे लिए एक चुटीली सच्ची कहानी का बंदोबस्त हो जाएगा।

 


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