छतरपुर नगरपालिका पर कब्‍जे के बावजूद गद्दारों को तलाश रही भाजपा

राजनीति            Aug 20, 2022


छतरपुर से धीरज चतुर्वेदी।

नगर निकाय चुनाव में सफल आंकड़ों के बाद भी बीजेपी के अंदरखाने घमासान मचा हुआ है।

बीजेपी के नेता ख़ुद समझ रहे हैं कि आंकड़ों को सफल बनाने में कौन से तिया-पाँच करने पढ़े है। इसी वजह से द्वन्द चरम पर है।

जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर दागी और भ्र्ष्ट परिवार की ताजपोशी, जनपद अध्यक्ष छतरपुर पर बीजेपी के नतमस्तक होने से कांग्रेस का निर्विरोध कब्ज़ा, अधिकांश जनपद और नगर निकायों में निर्दलीयों का सहारा और अपनों से अपनों के चुनाव ने बीजेपी के पूरे केडर को हिला कर रख दिया है।

अब नगरपालिका छतरपुर के अध्यक्ष चुनाव को लेकर गद्दार पार्षदों की तलाश ने नया बखेड़ा खड़ा कर रखा है।

भाजपा की अंदरूनी उलझने सुलझने का नाम नहीं ले रही है जो मिशन 2023 का स्वाद कसैला कर सकती हैं।

पंचायत और नगर सरकारों के सम्पन्न चुनावों में समूचे बुंदेलखंड में बीजेपी में आपस में ही तकरार देखी गई जो अच्छे संकेत नहीं है।

पार्टी का स्तम्भ कहे जाने वाले पार्टी के दिग्गज चेहरे आपस में भिड़ते नजर आये। जिला पंचायत, जनपद और नगरीय अध्यक्ष चुनाव में खुलकर लेनदेन के आरोप गूंजते रहे।

उदाहरण के तौर पर छतरपुर जिले के जिला पंचायत अध्यक्ष के लिये कांग्रेस तो पिक्चर से बाहर दिखी पर बीजेपी के ही दो खेमे भिड़ते नजर आये।

भाजपा ने उस विद्या अग्निहोत्री को अपना प्रत्याशी घोषित किया जिनके पति हरिओम अग्निहोत्री कानूनी तौर से दागी है।

अग्निहोत्री परिवार के ठिकानों पर सात साल पहले लोकायुक्त का छापा पडा तो अकूत दौलत मिली। कहा जाता है कि धनबल के रसूख के कारण उनके खिलाफ चालान पेश नहीं हो सका है।

मुख्यमंत्री के साथ उनकी फोटो खूब वायरल हुई जिससे बीजेपी की ईमानदारी की विश्वसनीयता को नुकसान पंहुचा।

जनपद छतरपुर अध्यक्ष के चुनाव में भी बीजेपी नेताओ पर लेनदेन के आरोप लगे।

हालात यह हुए कि सत्ताधारी बीजेपी ने अपना प्रत्याशी तक मैदान में नहीं उतारा और कांग्रेस ने निर्विरोध अध्यक्ष बना लिया।

जनपद नौगांव, बड़ामलहरा में भी बीजेपी के दोनों प्रत्याशी मैदान में उतरे। यहीं हाल नगरीय सरकार के अध्यक्ष पद पर कब्ज़ा करने में देखा गया।

हालांकि बीजेपी ने सभी जनपद और नगरीय निकाय पर लगभग कब्ज़ा किया लेकिन निर्दलीय के सहारे या अपनों से ही जंग लड़ने के नज़ारे सामने आये।

छतरपुर नगरपालिका में भले ही बीजेपी का कब्ज़ा हो गया हो पर इस ख़ुशी में भी गद्दार पार्षदों की तलाश जारी है।

यहाँ बीजेपी के 22, कांग्रेस के 11 और 7 निर्दलीय पार्षद चुनकर आये थे। बीजेपी के रणनीतिकारों का अनुमान था कि उन्हें कुछ निर्दलीय पार्षदों का पुख्ता समर्थन मिलने से उन्हें कम से कम 29 मत मिलेंगे।

परिणाम सामने आये तो बीजेपी को 22 मत ही मिले जबकि कांग्रेस को 18 मत मिले।

अब यहीं तलाश है कि जब बीजेपी को निर्दलीय का भी समर्थन हासिल था तो पार्टी को केवल 22 मत ही कैसे मिले यानि साफ तौर पर बीजेपी के कुछ पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की है।

बीजेपी के अंदरखाने इन्ही क्रॉस वोटिंग करने वाले गद्दार पार्षदों की तलाश जारी है।

यहीं स्थिति नौगांव नगरपालिका में सामने आई। जहाँ बीजेपी ने 8 मत पाकर अध्यक्ष के पद पर कब्ज़ा कर लिया।

चूँकि कांग्रेस के अधिकृत और बागी को 6-6 मत मिले लेकिन उपाध्यक्ष पद पर बीजेपी प्रत्याशी को मात्र 5 मत मिले।

जबकि अध्यक्ष के चुनाव में 6 मत प्राप्त करने वाले कांग्रेस प्रत्याशी को उपाध्यक्ष चुनाव में 15 मत मिल गये।

कुल मिलाकर आंकड़ों के खेल के कारण भले ही बीजेपी संगठन की बांछें उछल रही हों लेकिन इन चुनाव में घात प्रतिघात के जिन बीजों का रोपण हुआ है वह मिशन 2023 विधानसभा चुनाव की फसल के लिये बेहतर नहीं माना जा सकता।

 



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