नितेश पाल।
मप्र के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने लोकसभा चुनावों की आचार संहिता के पहले अपनी सरकार के वायदों में क्या काम किया इसे सबके बीच रखा। मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार को जनता के लिए काम करने वाली सरकार बताकर लोकसभा में प्रदेश की 29 सीटों में से ज्यादा से ज्यादा हासिल करने की कोशिश की। उनके मुताबिक उनकी सरकार ने 75 दिनों में 83 वचन पूरे किए।
पूरे प्रदेश में उन्होंने तेजी से काम होने के साथ ही पुरानी सरकार को कोसा भी। जो स्वाभाविक था। मुख्यमंत्री की नजर भोपाल के मंत्रालय से जो दिख रहा था उतना ही देख रही है, दूसरी ओर प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर ने इन 75 दिनों में केवल गम ओर तानाशाही ही पाई है।
3 माह पहले कांग्रेस के नेता शहर में क्राइम रेट का रोना रोते थे। लेकिन आज पहले से ज़्यादा क्राइम हो रहे हैं। एक दिन में चार चार हत्या, पुलिस पर ही गुंडे हमला कर पुलिस जवानों को घायल कर रहे है। पुलिस केवल दिखावे की ओर आम जनता को डराने वाली ज्यादा बनकर रह गई।
इंदौर में पुलिस के अफसरों को बदलने से शहर में शांति हो जाएगी शायद ये सोच के साथ सरकार ने काम किया, लेकिन क्या सरकार ने ये समझने की कोशिश की, कि जिन्हें भेजा है वो इंदौर को समझने लायक है।
इंदौर भेजे गए अफसर इतने समझदार हैं कि जब क्राइम कंट्रोल नहीं हुआ तो उन्होंने भी वही फार्मूला अपनाया जिसे शिव सरकार जिसे आप कोस रहे थे वो अपनाती थी। शहर की पहचान रहे सारे बाजार राजबाड़ा, सरवटे, 11 बजे बन्द कराने के आदेश आपकी सरकार के इन चेहरों ने जारी कर दिए।
जबकि आपके कांग्रेसी ही शिव सरकार के समय इसे तानाशाही बताकर सड़क पर विरोध करते थे। आज हालात ये है कि जो सरकार में आने के पहले शहर को वापस अपनी रवानीयत देने की बात करते थे उनके राज में इंदौर ज्यादा परेशान हो रहा है।
खुद कांग्रेस के नेता ही इस फैसले का विरोध कर रहे है आपके प्रभारी मंत्री को शिकायत कर रहे है लेकिन आपके मंत्री उन्हें भी आश्वासन की चासनी पीला गए। इंदौर में अफसरो की लालफीताशाही के आगे काँग्रेस के नेताओ ने भी घुटने टेक दिए है।
काँग्रेस के शहर अध्यक्ष की बात को भी मंत्री और अफसर हवा में उड़ा रहे है। भाजपा सरकार में कांग्रेस के नेताओ की जो हालात थी उससे भी बुरी हालत है। काँग्रेस के लिए इससे बुरे दिन ओर क्या होंगे की जिनके बुते ये सरकार बनी उन कार्यकर्ता और छोटे नेता जो जमीन पर लड़ते है वो अब बेइज्जत हो रहे है।
जब नेताओ के ये हालात है तो आम जनता की क्या हालात होगी समझी जा सकती है। वैसे भी क्राइम कम कैसे हो जब गुंडे ओर भूमाफिया ही शहर कांग्रेस के नेता बने बैठे हो। इंदौर में तो कांग्रेस के गिनती के 35 नेताओ के लिए सरकार है। वो भी उन कामो में लगे हैं जो आरोप वो भाजपा पर लगाते थे।
किसानों को कर्जमुक्त करने वाली सरकार जनता के पेट्रोल डीजल के आसमान छू रहे भावों को कम करने का अपना वादा भूल गई। अवैध कॉलोनी को वैध तो करने की बात की लेकिन हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी उन्हें बसाने वालो पर कोई कार्रवाई नही की गई, क्योंकि ये काम भाजपा के नेताओ के साथ ही कई कांग्रेस नेताओं के मालामाल होने का कारण था।
शहर में नया उद्योग तो कोई इन 70 दिनों में नहीं आया हां जो था वो जरूर कमजोर हो गया। गांजा चरस अफीम बिकना कम होने के बजाए बढ़ गया।
सरकार के हिसाब का नमूना ये है कि इंदौर क्राइम में सबसे आगे हो गया। इंदौर में अपहरण होने शुरू हो गए। अफसरो की तानाशाही बढ़ गई। आम आदमी के दिल मे डर की वो सही सलामत घर पहुचेगा या नही।
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