डा.राम श्रीवास्तव।
यह बात एक दम बिल्कुल सही है कि जल्दी ही कुछ सालों में स्वच्छता में नंबर 1 मध्यप्रदेश के इंदौर को “कुत्तों का नम्बर एक शहर” घोषित करना पड़ेगा । क्योंकि पिछले पॉच सालों में कुतों की आबादी ढाई गुना से ज्यादा हो गई है और यह संख्या इसी तरह बढती गई तो एक दिन वह भी आ सकता है जब कुत्तों की जनसंख्या आदमियों की जनसंख्या से ज्यादा होगी । ऐसा इसलिये कि आदमियों को मुश्किल से एक या दो बच्चे पैदा होते हैं पर कुत्तों की जमात में तो यह संख्या दर्जनों में बढती है ।
कुत्तों की आबादी बेहिसाब नहीं बढने से रोकने के लिये मेनका गॉधी जिम्मेदार हैं । एक एक्ट भी है जिसे “Prevention of cruelity to Animal Act 1960” कहते हैं । इस एक्ट के तहत यदि आपने कुत्तों सहित किसी जानवर पर अत्याचार किया तो १० रूपये से पचास रूपये तक दण्ड हो सकता है । तीन साल के भीतर अगर आपने फिर किसी जानवर को मारा या क्षति पहुचाई तो तीन महिने की सजा और एक सौ रूपयों का दण्ड हो सकता है ।सजा पाने के बाद फिर भी कोई फिरसे पशु को सताये तो अब एक हजार रूपये तक दण्ड और दो साल तक जेल हो सकती है ।
अकेले इन्दौर नगर में इस समय अस्सी हजार कुत्ते हैं । एक कुत्ता अगर दिन भर में 750 ग्राम भी पॉटी करता है तो एक दिन में 80,000 कुत्ते 60 टन पॉटी इन्दौर शहर में सडकों पर और सडकों के किनारों पर रोज कर रहे हैं । यानि 60 ट्रक कुत्तों की पॉटी रोजीना इन्दौर में बिंखर रही है ।
अमेरिका के “सेन्टर फार डिसीज कन्ट्रोल” ने शोध करके निष्कर्ष निकाला है, कि एक ग्राम कुत्ते की पॉटी में “दो करोड तीस लाख” तरह तरह के बेक्टीरिया पाये गये हैं ।वैज्ञानिक सर्वेक्षणों से ज्ञात हुआ है कि सिर्फ एक सौ कुत्तों की पॉटी किसी क्षेत्र में महज दो तीन दिनों के लिये खुले में छोड दी जाय तो उससे इतने अधिक बेक्टीरियॉ फैल जायेंगे कि २० वर्ग मील का एरिया प्रदूषित हो जायेगा । जब महज 100 कुत्तों की पॉटी से जब 20 वर्ग मील का क्षेत्रफल हानिकारक खतरनाक जीवाणुओं से दूषित हो जाता है , तो अन्दाज लगाईये कि 80 हजार कुत्तों की पॉटी से इन्दौर शहर इन बेक्टीरिया से कितना जहरीला हो रहा होगा ।
कुत्तों की पॉटी से फैलने वाले जहरीले प्रदूषण से स्वस्थ आदमियों की मॉस पेशियों में ऐंठन होने लगती है । डायरिया हो जाता है, धीरे धीरे ऑतों की बीमारियॉ पनप जाती हैं । फीकल केलीफार्मी बेक्टीरियॉ के कारण किडनी की बीमारियॉ जड जमाने लगती हैं ।
कुत्तों की पॉटी का जब ‘बेक्टिरोलॉजिकल ‘ टेस्ट किया गया तो उसमें निम्न बेक्टीरिया पाये गये- Whipworms,Hookworms,Roundworm,Tapeworms,Parvo,Corona,Gardiasis,Salmonellosis,Cryptosporidiosis&Campylobacteriosis .
कुत्तों की पॉटी में पाये गए इन बेक्टीरिया के विघटित होने के बाद पौधे के लिये पोषक खाद बनाते हैं । यह खाद मिट्टी में मिलकर खरपतवार और जल प्रवाह में प्रदूषण के साथ साथ जल संग्रह स्थलों में पानी की सतह पर ‘अलगी’ अर्थात “शैवाल” पैदा करती है । यही ‘शैवाल ‘ जब पानी की सतह पर फैल जाता है तो पानी में आक्सीजन की मात्रा कम कर देती है । यही कारण है कि इन्दौर के आस पास के तालाबों में पीपल्यापाला, सिरपुर,विलावली यहॉ तक यशवन्त सागर में भी मछलियां आदि जिन्दा नहीं रह पाती हैं ।
अमेरिका के “सेन्टर फार डिसीज कन्ट्रोल” (CDC)के अनुसार कुत्तों की पॉटी से आदमियों मे फैलने वाली बीमारियों का नाम ZOONOSES कहा गया है । “सी डी सी “ के अनुसार आपके लॉन या घर के आस पास की मिट्टी में जब कुत्ते की पॉटी गिरती है तो उसमें छिपे कीटाणुओं के परजीवियों के अण्डे कई सालों तक मिट्टी में बीमारी फैलाने के लिये जिन्दा रहते हैं ।इनमें खास cryptosporidum,Giardia,Salmonella,hookworm,ringworms तथा Tapeworms विशेष होते हैं अधिकतर बच्चे जब इस प्रदूषित धूल में खेलते हैं तो उनके हाथ पैर के साथ यह अण्डे चले आते हैं ।इनके इन्फेक्शन से बुखार, मसल पीडा, सिरदर्द, उल्टी और दस्त लगने लगते हैं ।
“ला लिसा “शहर ‘हवाना क्युबा ‘ में जून 2014 से मार्च2015 तक 56 स्ट्रीट डॉग्स और 41 पालतू कुत्तों की पॉटी इकट्ठा की गई । इन 97 कुत्तों की ‘पॉटी’ का विश्लेषण करने पर पाया गया कि इनमे -
44.3 %........Gastrointestrial parasite
21.6 %.......Acyclostoma caninum
16.5 %........Trichuris vulpis
07.2 %........Giardia duodenlis
बेक्टीरिया मौजूद पाये गए ।
आज इन्दौर में 80 हजार कुत्तों की आबादी में सैकडों कुत्ते ऐसे हैं जो सडक चलते लोगों पर झपटकर काट रहे हैं ।सरकारी ‘हुकुमचन्द पॉलीक्लीनिक ‘ पर २०० लोग रोजीना कुत्तों के काटने के जहर से बचने के लिए “एण्टी रेबीज” इन्जेक्शन लगवाने आते हैं । अनुमान है कि इतने ही कुत्तों के काटे मरीज प्राईवेट अस्पतालों में प्रतिदिन इलाज कराने आ रहे हैं ।एक मरीज के कुत्तों के काटने का जो ‘एण्टीरेबीज इन्जेक्शन कोर्स ‘ आता है उसकी कीमत लगभग तीन हजार रूपये पडती है ।
अर्थात 400 कुत्तों के काटने पर इलाज के लिए मरीजों और सरकार और जनता को कुल मिलाकर 438 करोड रूपया एक साल में खर्च करना पड रहा है । अगर किसी तरकीब से इन्दौर को “कुत्तों से मुक्त” शहर बना दिया जाय तो प्रतिवर्ष 438 करोड रूपयों की बचत होगी , और लगभग “एक लाख छियालीस हजार “ इन्दौर के नागरिकों को एक साल में कुत्तों के काटने के बाद होने वाली पीडा का शिकार नहीं होना पडेगा ।
क्या कभी आपने सोचा कि इन्दौर के कुत्ते अचानक इतने आक्रमणकारी क्यों हो गए ? यह रोज औसतन 400 लोगों को काट रहे हैं । असली में जब से देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने “स्वच्छ भारत अभियान “चलाया है , और इन्दौर जबसे सफाई की प्रतिस्पर्धा में पूरे भारत में “नम्बर एक” आया है , तब से सडकों पर कूडा ,कचरा और सडे गले ,खाद्य पदार्थ कही नजर नहीं आते हैं । इसी कचरे में से इन्दौर नगर के 80 हजार कुत्ते अपना और अपने परिवार का पेट भर रहे थे । अब उनको सडकों पर कचरे में से निकला आहार नहीं मिलता इस कारण यह कुत्ते भूखे मर रहे हैं । पता नहीं आपने गौर से देखा या नहीं आज से चार साल पहिले “कांग्रेसी राज में इन्दौर के कुत्ते मोटे तगडे होते थे “ तथा सडकों पर यहॉ वहॉ इत्मीनान से सोते हुए और आराम करते देखे जा सकते थे । अब उन्है पेट भरने के लिए दिनरात यहॉ वहॉ भटकना पडता है । इस बजह से इन्दौर के लगभग सभी कुत्ते ‘दुबले पतले ‘ और मरियल नजर आ रहे हैं ।
अब सवाल यह है कि “प्रीव्हेनशन आफ एनीमल क्रुयेल्टी एक्ट” के अनुसार जब हम नगर के कुत्तों को भूंखा मार रहे हैं , तो क्या यह इस कानून के तहत “क्रयुलेटी” की परिभाषा में नहीं आता ? फिर इस अपराध के लिए अपराधी कौन होगा ?भूख से तडफते बेजुवान कुत्ते अगर पेट की आग बुझाने के लिये छोटे बच्चों कों नौंच नौंचकर खा रहे हैं, मोटर साईकिल की सीट फाडकर फोम खाने को मजबूर हो रहे हैं ,तो असली दोषी कौन है, कुत्ते या हम ? खाने को कुछ नहीं मिल पाने कारण अब कुत्ते आदमियों पर झपट कर काट रहे हैं , असली में इन्दौर नगर के सब कुत्ते मिलकर यह अपने तरह का एक विशेष “शान्तिपूर्ण आन्दोलन “ कर रहे हैं , उनकी एक सूत्री मॉग है ...”हम भूखे मर रहे हैं हमें खाना दो “ ।
यदि हम इन्दौर के सभी स्ट्रीट डॉग्स को कहीं पर एक विशेष बाड़ा बनाकर रखें , तो उनकी 60 टन रोज से निकलने वाली पॉटी से एक साल में हम 22 हजार टन अच्छी खाद बना सकते हैं । जिसकी कम से कम कीमत 2,900 करोड रूपये होगी । इसके अतिरिक्त 428 करोड रूपयों की बचत एेण्टी रेबीज इन्जेक्शन नहीं लगवाने के बचेंगे ।
इस गणना से यह सिद्ध हो जाता है कि बाड़ा बनाकर इन्दौर के सभी कुत्तों को यदि एक जगह रखा जाए तो कुत्तों के रखरखाब पर और पौष्टिक आहार पर एक हजार करोड रूपये खर्च करने के बाद भी , हमको इस परियोजना से लगभग दो हजार करोड रूपयों की सालाना आमदनी हो जायेगी । इस आर्थिक आकलन में उस धनराशि को सम्मलित नहीं किया गया है जो कुत्तों की पॉटी के प्रदूषण से फैलने वाली बीमारियों के इलाज पर नागरिकों को व्यय करना पडती हैं ।
लेखक से संपर्क:-9131671458
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