खंडवा से संजय चौबे।
भीषण गर्मी से सामान्य जन-जीवन अस्त-व्यस्त कर देने और 48 डिग्री तक मौसमी पारे की उछाल से सबको हलाकान कर देने के लिए पहचाने जाने वाले पूर्व निमाड़ खण्डवा जिले में इन दिनों मौसमी पारे के साथ सियासी पारा भी रोज उछलने लगा है।
देश की दशा व दिशा तय करने वाले आम चुनाव के लिए अधिकृत प्रत्याशियों की घोषणा होते ही चुनावी चौसर बिछ गई है । गांव-गांव, शहर-शहर चुनावी रंग चढ़ने लगा है।
देश के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण आम चुनाव के लिए राजनैतिक दलों ने अपने-अपने अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर चुनावी चौसर बिछाना शुरू कर दिया है।
जिले में खण्डवा और बैतूल संसदीय क्षेत्र आते हैं। खण्डवा संसदीय क्षेत्र के लिए भाजपा ने नंदकुमारसिंह चौहान को तो कांग्रेस ने अरुण यादव को पुनः अपना - अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया है।
चौहान और यादव की यह जोड़ी लोकसभा क्षेत्र में जानी पहचानी जाती है। दोनों तीसरी बार आमने-सामने है।
बीते दो मुकाबलों में यादव और चौहान एक-एक बार विजयश्री को वरण कर चुके हैं। क्षेत्र की जनता इस बार के तीसरे मुकाबले को दोनों के बीच सत्ता का फायनल मान रही है।
जिले का हरसूद विधानसभा क्षेत्र बैतूल लोकसभा सीट के तहत आता है । इस सीट से कांग्रेस ने रामू टेकाम तो भाजपा ने देवीदास उइके पर दांव खेला है।
यहां भाजपा के लिए हरसूद के विधायक और पूर्व मंत्री विजय शाह क्षेत्र में चुनावी चौसर बिछाने में जुटे हुए हैं।
कांग्रेस की कमान खण्डवा जिले के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट और हरदा जिले के प्रभारी मंत्री पी सी शर्मा ने संभाली है। हरसूद विधान सभा क्षेत्र के ब्लाक मुख्यालय खालवा में 14 अप्रैल को मुख्यमंत्री कमलनाथ की चुनावी सभा आयोजित की जा रही है।
इस सभा को दोनों लोकसभा क्षेत्र के लिए अहम माना जा रहा है। कांग्रेस से दो मंत्री और मुख्यमंत्री भी इस क्षेत्र में दस्तक देने जा रहे हैं जबकि भाजपा से पूर्व मंत्री विजय शाह के अलावा कोई दिग्गज ने अभी तक यहाँ आमद नही दी है।
खण्डवा लोकसभा क्षेत्र के लिए प्रत्याशियों का चयन कांग्रेस—भाजपा दोनों के लिए आसान नहीं रहा। इसकी बड़ी वजह दोनों दलों में अंतर्कलह को माना जा रहा है।
दोनों दलों के दावेदारों ने खुलकर तो कुछ ने गुपचुप तरीके से अपने नाम भोपाल से दिल्ली तक चलवाए। जिन लोगो ने खुलकर विरोध किया उन्हें मनाने का दौर टिकट तय होने के पहले भी चला और अब फायनल नाम घोषित होने के बाद भी चल रहा है।
भाजपा कांग्रेस के पैरोकारों को डैमेज कंट्रोल करने में पसीने छूट रहे हैं । अंदरखाने की खबर है कि रसूखदार रूठे दावेदार अभी माने नही है, उन्हें मनाने की प्रारंभिक कवायदें लम्बी खिंचने वाले हैं ऐसे संकेत मिलना शुरू हो गए हैं।
हालांकि कांग्रेस ने सैयदपुर खैगांव के कार्यकर्ता सम्मेलन में टिकट वितरण से नाराज विभिन्न गुटों के नेताओ को एक मंच पर बैठा दिया था लेकिन यहां प्रदर्शित एकता क्या स्थायी रहेगी ? इस पर ज्यादातर कांग्रेसी नेता खुद ही संशय जता रहे हैं।
उधर बुरहानपुर विधानसभा चुनाव हार कर लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस पर निगाहें लगी हैं। उन्हें नंदकुमारसिंह चौहान की कट्टर प्रतिद्वंदी माना जाता है।
खबर है कि उन्हें भी मानने के प्रयास गाहे - बगाहे चल रहे हैं लेकिन क्षेत्र का कोई भी भाजपा नेता खुलकर बोलने से बच रहा है ।
समूचे लोकसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों और उनके समर्थक वक्ताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है।
दोनों दल इसे अपने-अपने पक्ष में माहौल बनाने का कारगर हथियार मान रहे हैं। नंदकुमारसिंह चौहान मंचो से अरुण यादव को एक मंच पर आकर खुली बहस चुनौती दे रहे हैं तो वही अरुण यादव इसे स्वीकार भी कर रहे हैं।
दोनों दल अपने - अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने का कोई मौका नही छोड़ रहे हैं ।
जैसे-जैसे मतदान की तिथि पास आती जाएगी वैसे-वैसे समूचे लोकसभा क्षेत्र में राजनीति के विभिन्न दांव पेंच भी खुलकर सामने आने लगेंगे बहरहाल दोनों दल मतदाताओ को रिझाने के लिए कोई कोर कसर बाकी नही छोड़ रहे हैं।
Comments