मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने व्यापमं के माध्यम से संपन्न पटवारी परीक्षा-2008 में फर्जी मार्कशीट प्रस्तुत कर अशोकनगर (मप्र) के चयनित/ सेवायोजित होने वाले अभ्यार्थियों के विरूद्व उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के निर्देशों व अपर पुलिस महानिदेशक, विशेष अनुसंधान दल (एसआईटी) उत्तरप्रदेश, द्वारा जिला कलेक्टर को प्राथमिकी दर्ज करने की स्पष्ट प्रेषित रिपोर्ट के बावजूद फर्जी मार्कशीट से नौकरी हथियाने वाले पटवारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं कराने व राज्य सरकार के इशारे पर उन्हें बचाने का गंभीर आरोप लगाया है। श्री मिश्रा ने एक और बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रदेश में राजनेताओं के संरक्षण में फर्जी मार्कशीट बनाने वाला एक अंतर्राज्यीय गिरोह भी संचालित हो रहा है, जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिभागियों को भारी भरकम धनराशि लेकर फर्जी मार्कशीट मुहैया करवा रहा है!
आरोप को स्पष्ट करते हुए श्री मिश्रा ने कहा कि व्यापमं महाघोटाला उजागर हो जाने के साथ ही पटवारी परीक्षा-2008 में भी अयोग्य, लेनदेन के बाद फर्जी मार्कशीट के आधार पर कई अभ्यर्थियों के चयनित/ सेवायोजित होने के मामले सामने आये, जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और अभियोग न्यायालय में विचाराधीन है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के अशोकनगर जिले में भी डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के नाम की फर्जी मार्कशीट प्रस्तुत कर बड़े लेन-देन के बाद कई अयोग्य अभ्यर्थियों ने पटवारी हेतु अपना चयन करवा लिया। डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय का नाम आने पर उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में लगायी गई एक याचिका क्रमांक 2906/13 में पारित निर्णय के अनुपालन में उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के नाम की फर्जी मार्कशीट प्रस्तुत कर चयनित/ सेवायोजित होने वाले अभ्यर्थियों के पंजीकृत अभियोगों की विवेचना विशेष अनुसंधान दल उत्तरप्रदेश, लखनऊ से कराये जाने का निर्णय लिया गया। एसआईटी, उत्तरप्रदेश द्वारा जांचोपरांत यह पाया गया कि चयनित अभ्यर्थियों रानू रघुवंशी पिता नरेन्द्रसिंह रघुवंशी, रामकुमार यादव पिता रघुवीरसिंह यादव, वीरेन्द्रसिंह पिता बुन्देलसिंह यादव, अभिलाषा काले पुत्री कृपालसिंह काले, शशि काले पुत्री कृपालसिंह काले, सतेन्द्र सिंह पिता शिवरामसिंह रघुवंशी, देवेन्द्रसिंह पिता घनश्यामसिंह रघुवंशी, विनोद कुमार पिता बद्रीप्रसाद सोनी, भूपेन्द्रसिंह पिता घनश्यामसिंह रघुवंशी, परमालसिंह पिता बाबूसिंह रघुवंशी, श्वेता श्रीवास्तव पुत्री बी.के. श्रीवास्तव, शिवकुमार पिता नवलसिंह रघुवंशी एवं अनिल पिता चंद्रभानसिंह यादव द्वारा अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा के नाम की बी.सी.ए./पी.जी.डी., सी.ए. की मार्कशीट प्रस्तुत की गई। उक्त 13 अभ्यर्थियों में अभिलाषा एवं शशि काले कृपालसिंह काले की पुत्री होकर सगी बहनंे हैं तो वहीं देवेन्द्रसिंह व भूपेन्द्रसिंह घनश्यामसिंह रघुवंशी के पुत्र होकर सगे भाई हैं।
उक्त विश्वविद्यालय से इनके द्वारा प्रस्तुत मार्कशीट का सत्यापन कराये जाने पर इन सभी अभ्यर्थियों की मार्कशीट फर्जी पायी गई। परिणामस्वरूप इन्हें पटवारी प्रशिक्षण से निकाल दिया गया। उक्त विश्वविद्यालय, आगरा के नाम की फर्जी मार्कशीट प्रस्तुत कर पटवारी परीक्षा-2008 में चयनित खरगोन के रामेश्वर सिसौदिया-सुनील रावत के विरूद्व थाना खरगोन एवं एक अन्य अभ्यर्थी मुकेश मकवाना के विरूद्व थाना रावजी बाजार, इंदौर में फर्जी मार्कशीट प्रस्तुत कर धोखाधड़ी करते हुए पटवारी परीक्षा-2008 में गलत तरीके से चयनित/ सेवायोजित होने के विरूद्व धारा 420/467/469/471 भादवि के तहत एफआईआर दर्ज हुई, किन्तु उत्तरप्रदेश एसआईटी के अपर पुलिस महानिदेशक महेन्द्र मोदी द्वारा जिला कलेक्टर अशोकनगर, श्री बी.एस. जामोद को 15 फरवरी, 2017 को लिखे गये एक पत्र में उक्त उल्लेखित 13 अपात्र व धोखाधड़ी के माध्यम से चयनित अभ्यर्थियों के विरूद्व एफआईआर दर्ज कराये जाने हेतु कहा गया। किन्तु आज तक राज्य सरकार के दबाव में जिला कलेक्टर ने उक्त चयनित धोखेबाजों के विरूद्व कोई एफआईआर दर्ज नहीं करायी गई है, ऐसा क्यों?
श्री मिश्रा ने यह भी कहा है कि मप्र में राजनैतिक संरक्षण से फर्जी मार्कशीट बनाने का एक बड़ा अंतर्राज्यीय गिरोह भी काम कर रहा है, जो विभिन्न प्रतियोगी व अन्य परीक्षाआंे में बड़े लेन-देन के बाद फर्जी मार्कशीट बनाकर अपात्र अभ्यर्थियों को बेचता है। लिहाजा, व्यापमं के माध्यम से हुई सभी भर्तियों की मार्कशीटों की जांच करायी जानी चाहिए।
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