ममता मल्हार।
जुनून उन्माद सब्र भारतीय क्रिकेट प्रेमियों की पहचान है। 2007 में खिलाड़ियों के लिये बहुत मुश्किल हो गया था मगर अब क्रिकेट प्रेमी समझदार हैं। उनमें जुनून और सब्र तो है उन्माद नहीं।
भावनात्मक इस हद तक है कि लाखों दर्शक रोता हुआ स्टेडियम से बाहर निकला। तब स्टेडियम में आग लगा दी गई थी खिलाड़ियों पर आफत आ गई थी। अब देश खिलाड़ियों के साथ खड़ा है।
जमीन पर खेल भावना जीती क्योंकि दर्शक ने माना यह खेल है, हार-जीत होती है हमारा दिन नहीं था पर टीम पूरे 10 मैच में बहुत अच्छा खेली। सोशल मीडिया पर खेल भावना हार गई। Surjan Palash सर की बात से इत्तेफाक रखते हुए यह बात लिख रही हूं।
सोशल मीडिया पर खेल भावना हार गई। देश के प्रधानमंत्री की मौजूदगी को आप हार का कारण बताते हुए गलत शब्द उपयोग करके खेल भावना का अपमान कर गए।
पलाश जी ने आगे लिखा आप सरकार की खेल नीतियों की आलोचना करिये, खेल में घुस चुकी राजनीति की आलोचना करिये। वह सही है पर पीएम पर इस तरह की बात तो खेल भावना को ही मार गई। मुझे बहुत अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि ऐसे समय में एक से एक स्वघोषित निष्पक्षों की पत्रकारिता एजेंडे व्यक्ति विरोध के चक्कर में दम तोड़ती नजर आती है।
खैर प्रधानमंत्री खेल के बाद एक-एक खिलाड़ी से मिले और उन्हें सान्त्वना दी कि देश आपके साथ है। टीम इंडिया देश आपके साथ है और हम सब भारतीयों को हमारे क्रिकेट प्रेमियों के इस बदलाव की सराहना करने में संकोच नहीं करना चाहिए। जय हिंद! जय भारत!
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