राकेश दुबे।
कितना दुर्भाग्य है, भारतीय कुश्ती महासंघ के खिलाफ देश के तमाम पहलवान एकजुट होकर उसके अध्यक्ष को हटाने की मांग पर अड़े हैं, सरकार न जाने किसके इंतज़ार में है, ऐसा पहले किसी खेल संघ में नहीं हुआ।
विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता और ओलंपिक खिलाड़ी विनेश फोगाट ने कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण का आरोप लगाया तो तमाम ओलंपिक और राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीत चुके पहलवान उनके समर्थन में उतर आए हैं ।
बृजभूषण शरण सिंह ने मीडिया के सामने सफाई दी कि उन्होंने किसी खिलाड़ी का यौन शोषण नहीं किया है।
साथ ही यह भी कहा कि उनके मुँह खोलने से सुनामी आ जाएगी, वे फिलहाल अपने पद से इस्तीफा देने को तैयार नहीं हैं।
कुश्ती ही ऐसा खेल है, जो चाहे ओलंपिक हो या राष्ट्रमंडल खेल, सबसे अधिक पदक लेकर आता है, इसके खिलाड़ी अपने जुनून के बल पर विजयी होते रहे हैं।
इस तरह दुनिया भर में भारतीय पहलवानों ने देश का झंडा ऊंचा किया है।
ऐसे में अगर कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और प्रशिक्षकों पर महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण का आरोप लग रहा है, तो इससे दुनिया भर में भारत की बदनामी हो रही है।
बृजभूषण शरण सिंह पर खिलाड़ियों ने काफी गंभीर आरोप लगाए हैं, वे सत्तापक्ष के सांसद हैं।
इसलिए खिलाड़ियों का भरोसा नहीं बन पा रहा कि उनके खिलाफ कोई कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई हो पाएगी।
इसलिए पहलवानों ने कहा है कि अगर उन्हें अध्यक्ष पद से नहीं हटाया गया और कुश्ती महासंघ का पुनर्गठन नहीं किया गया तो वे उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराएंगे।
यह तो जाहिर है कि कुश्ती महासंघ में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा। इसके पुनर्गठन की जरूरत है।
वैसे यह पहली बार नहीं है, जब किसी खेल संघ के अध्यक्ष पर यौन शोषण का आरोप लगा हो, पहले हाकी संघ में ऐसा आरोप लगा था।
एक लान टेनिस खिलाड़ी के यौन शोषण और फिर खुदकुशी को लेकर भी उसके संघ के अध्यक्ष पर आरोप लगे थे।
खेल प्रशिक्षकों पर तो महिला खिलाड़ियों को बहला-फुसला कर यौन शोषण करने के आरोप लगते रहते हैं, पर संघ के अध्यक्ष पर इस तरह बड़े पैमाने पर शामिल होने का आरोप पहली बार लगा है।
पिछले ओलंपिक में जब भारतीय महिला पहलवानों ने पदक जीत कर देश का नाम ऊंचा किया, तो प्रधानमंत्री ने भी गर्व के साथ वादा किया था कि खिलाड़ियों को सुविधा के स्तर पर किसी तरह की कमी नहीं रहने दी जाएगी।
इस तरह खिलाड़ियों में नया जज्बा पैदा हुआ था, इसे देखते हुए भरोसा बनता है कि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष पर लगे आरोपों को सरकार गंभीरता से लेते हुए जरूर निष्पक्ष ढंग से व्यावहारिक कदम उठाएगी।
आज की माँग सरकार से स्पष्ट और पारदर्शी खेल नीति की है। देश के खिलाड़ी इन खेल संघों की राजनीति के चलते अपनी प्रतिभा का पूर्ण प्रदर्शन नहीं कर पाते।
कुश्ती या कोई अन्य खेल हो उसे राजनीति से दूर रख कर उस खेल के विशेषज्ञों के हाथ में सौंपना ही श्रेयस्कर कदम होगा।
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