आशु की चकरघिन्नी:स्मार्ट सिटी की ओर अग्रसर हम!
	
		    	        वामा	    	
	          
	
	 Mar 26, 2016
	
    
	         
    
घर के सामने खेलती मासूम उठा ली जाती है, जानवर से बदतर तरीके से रौन्द दी जाती है। दिन दहाड़े अपने ही घर में मा-बेटी मौत के घाट उतार दी जाती हैं। चैन स्नेचिन्ग, जेब कटी, जुआ, शराब बिक्री, जमीनों की हेरफेर से लेकर क्या नहीं होता इस शहर में, वह सब कुछ जो एक बड़ी सिटी में हुआ करता है। सब कुछ हो रहा है, दबंगई से हो रहा है और हो भी क्यों न, क्योंकि करने वालों के अहसान हैं उन लोगों पर जिनके हाथ प्रदेश की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। 
भरे सदन में सूबे की बिगड़ी व्यवस्था को नकार दिया जाता है, उठे सवालों को अटपटे तर्कों से दबा दिया जाता है। सोशल मीडिया से चली अपहरण, बलात्कार की घटना को अन्जाम देने वाले आइएएस अधिकारी का नाम पुलिस की रिपोर्ट तैयार होने तक बदल दिया जाता है, सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि उन लोगों के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं, जिनके सिर अवैध काम करने के साफे बन्धे हैं। 
और भी इससे ज्यादा उस प्रदेश में हो रहा, जहाँ लड़कियों को लक्ष्मी कहा जाता है। उच्च आदर्शों और नैतिकता के लिए यहाँ के अगुआ खुद की पीठ थपथपाते रहते हैं। प्रदेश की राजधानी में फैली इस अराजकता से यहाँ के दूर दराज़ के इलाकों के हालात का अन्दाज़ लगाएँ और खुश होते रहें कि हम स्मार्ट सिटी के बाशिन्दे हैं, आधुनिकता के दौर से कदमताल कर रहे हैं।
पुछल्ला
हम भी कुछ कम नहीं
वक्फ संपत्ति सहेजने वाले विभाग को जायदाद से ज्यादा जतन इस बोर्ड में उठने वाले विवादों को स्थिर रखने के लिए करने पड़ते हैं। यही वजह है कि इसकी रुटिन बैठक के लिए राजधानी की सहूलियते छोड़ दूर दराज़ जबलपुर में करने की तैयारी की जा रही है। नाम सदस्यों की तफरिह का दिया जा रहा है, लेकिन इसके पीछे जिस मनमानी के इरादे हैं, वह वक्फ, इसके बोर्ड और इस बोर्ड के ओहदेदारो को जानने वाले बेहतर समझते हैं। बरसों पहले इन्दोर में हुई इस बोर्ड की एक बैठक के दाग अब तक गहराए हुए हैं। अब नई बैठक, नया  शहर, नए मेम्बरान वक्फ बोर्ड के माथे पर क्या नई तहरीर लिखेंगे, इसका फैसला 2 अप्रैल को ही पता चलेगा।
                                  
			   
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