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उबर कैब रेप मामले में ड्राईवर दोषी करार,23 अक्टूबर को सजा पर बहस

वामा            Oct 20, 2015


मल्हार मीडिया ब्यूरो दिल्ली के उबर कैब रेप मामले में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने ड्राइवर शिवकुमार यादव को दोषी करार दिया है। सजा पर बहस 23 अक्टूबर को होगी। मामला पिछले साल 6 दिसंबर का है, जब ये वाकया सामने आया कि नामी उबर कैब कंपनी की गाड़ी में गाड़ी के ही ड्राइवर ने एक युवती से बलात्कार किया। ये वारदात उस वक्त हुई जब प्राइवेट कंपनी में काम करने वाली युवती ने एप्लीकेशन सर्विस के जरिए कैब हायर की। वारदात के कुछ समय बाद ही पुलिस ने आरोपी ड्राइवर शिव कुमार यादव को गिरफ्तार कर लिया। इस वारदात ने कैब कंपनियों के काम करने के तरीके और उनके ड्राइवर पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। हालत यहां तक पहुंचे कि उबर को दिल्ली में कुछ समय तक अपनी सेवाएं बंद करनी पड़ीं। कब क्या हुआ 6 दिसंबर को पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी 24 दिसंबर को अदालत में चार्जशीट दाखिल हुई थी जबकि 7 जनवरी 2015 को फास्ट ट्रैक कोर्ट में इस मामले का ट्रायल शुरू हुआ 13 जनवरी को आरोपी शिव कुमार यादव के ऊपर बलात्कार, अपहरण, जान से मारने की कोशिश समेत कई धाराओं में आरोप तय हुए, जबकि 31 जनवरी को पुलिस ने इस मामले में अपने 28 गवाहों की गवाही पूरी की। इस मामले में अहम मोड़ यहीं आया, आरोपी शिव कुमार यादव के वकील ने फिर 28 गवाहों की गवाही के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दी जिसे मानते हुए हाईकोर्ट ने 4 मार्च 2015 को पीड़िता समेत 14 गवाहों की गवाही की अनुमति दी। दिल्ली पुलिस और पीड़िता ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च को निचली अदालत में चल रहे ट्रायल पर रोक लगा दी। 10 सितम्बर को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए ट्रायल कोर्ट को जल्द ही इस मामले में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी पर सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि जिस तरह आरोपी शिव कुमार यादव ने कानून का इस्तेमाल किया, वह गलत है। आपके हिसाब से कानून चलेगा तो सिस्टम ध्वस्त हो जाएगा। किसी अपराधी को सजा नहीं हो पाएगी, ना ही कोई ट्रायल पूरा होगा। आप जो कह रहे हैं, उसका मतलब यह है कि अपराधी को सिर माथे पर बिठाना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए। जस्टिस जेएस खेहर की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि आप जिस कानून के तहत दोबारा जिरह कर रहे हैं, उसके तहत दूसरे भी उसका बेजा इस्तेमाल कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि आरोपी कानूनी दावपेंच का मास्टर है और केस को तोड़ने-मोड़ने के लिए उसने कोर्ट में बेहतरीन दाव पेंच खेले। ऐसी योजना तैयार की जो कैब ड्राइवर के लिए मुमकिन नहीं। सुप्रीम कोर्ट के जज होने के बावजूद ऐसा हमारे दिमाग में भी नहीं आता। साफ है इसके पीछे कोई और आरोपी को सटीक कानूनी सलाह दे रहा है। जिसके तहत ट्रायल में वकीलों को बदलने से लेकर गवाहों को दोबारा जिरह के लिए बुलाया गया। आरोपी ने कई महीने तक सिर्फ वक्त जाया किया, ट्रायल में देरी की। आरोपी ने पीड़िता को बार-बार प्रताड़ित किया। रेप पीड़िता के लिए कोर्ट में बार-बार बयान देना कितना मुश्किल होता है। पीड़िता के बाद दिल्ली पुलिस ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि पीड़िता के दोबारा बयान नहीं होने चाहिए। पुलिस की ये भी दलील थी कि 16 दिसंबर के गैंगरेप के बाद देश में कानून में बदलाव किया गया और अगर पीड़िता के दोबारा बयान होते हैं तो सारी कवायद बेकार हो जाएगी। 32 साल का शिव कुमार यादव यूपी के मैनपुरी का रहने वाला है। वह शादीशुदा है और दो बच्चे हैं। उस पर यूपी में भी एक रेप केस चल रहा है। जबकि दिल्ली के महरौली में रेप केस से वह बरी हो चुका है। यूपी में उसके खिलाफ गुंडा एक्ट और आर्म्स एक्ट के मामले भी चले हैं।


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