तो इसलिए नहीं सुनी थाने ने महिला पुलिस कांस्टेबल की गुहार

वामा            Apr 09, 2016


मल्हार मीडिया। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के जहांगीराबाद में कल महिला पुलिसकर्मियों और बाद में पुलिस कर्मचारियों को पीटने वाला होटल संचालक भाजपा नेता पूर्व पार्षद कृष्णकांत चौरसिया के बहनोई का भाई है। चौरसिया की पहुंच ऊपर तक है। यही कारण है कि महिला पुलिसकर्मियों की पिटाई का तमाशा बनने और चौराहे पर हंगामा होने के बाद भी इन पर 8 घंटे बाद केस दर्ज हुआ। उसमें भी कुछ धाराएं छोड़ दी गर्इं। कल सुबह जहांगीराबाद मेन मार्केट में होटल संचालक संजय उर्फ बाबू चौरसिया ने अपने बेटे आकाश के साथ मिलकर महिला पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट कर उनके कपडेÞ फाड़ दिए थे। इतना ही नहीं बीच बचाव करने आए पुलिसकर्मी रवि कुमार और महेंद्र सिंह के साथ आरोपियों ने जमकर मारपीट की थी। जहांगीराबाद थाना प्रभारी प्रीतम सिंह ठाकुर की कार्यशैली को देखते हुए पुलिस मुख्यालय के अधिकारी खासे नाराज हो गए हैं। इस मामले में टीआई ने महिला पुलिसकर्मियों से मामला जुड़ा होने के बाद भी आला अफसरों को जानकारी देने में देरी की। साथ ही महिला पुलिसकर्मियों पर समझौता करने दबाव भी बनाया, और घटना को मामूली बताया। ये भी पढ़ें:होटल मालिक ने कर दी महिला कांस्टेबल्स की पिटाई,कपड़े फाड़े उधर भाजपा नेता पूर्व पार्षद कृष्णकांत चौरसिया का कहना है कि इन लोगों से अब मेरा कोई वास्ता नहीं है और न ही मुझे मामले की कोई जानकारी है। मेरा नाम बेवजह घसीटा जा रहा है। ज्ञातव्य है कि कल महिला पुलिसकर्मी सादी वर्दी में अपनी ड्यूटी पर अल्पना तिराहे जा रहीं थीं, जहां इन्हें मिनी बसों में बैठकर बदमाशों पर नजर रखनी थी। सादी वर्दी इसलिए पहनी थी, ताकि बदमाश पहचान नहीं पाएं। जब यह ड्यूटी पर जा रही थीं, तो पुलिस ने आरोपियों पर शासकीय काम में बाधा की धारा क्यों नहीं लगाई। कारण यह है कि यह धारा लग जाती तो आरोपियों को जमानत में मुश्किल होती। दूसरा सवाल यह उठ रहा है महिला पुलिसकर्मियों की पिटाई हुई, पुलिस वाले भी पिटे पूरे इलाके ने देखा, फिर भी जहांगीराबाद थाना प्रभारी ने केस दर्ज करने में पूरे 8 घंटे लगा दिए। आखिर ऐसा क्यों हुआ। किसके दबाव ने पुलिस के हाथ बांधे।


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