नितांत निजी पल सबके होते हैं...?
वामा
Jul 21, 2015
कुमार सौवीर
यह पूनम बेन हैं। पूनम पहले कांग्रेस में थी और आज गुजरात के जामनगर से भाजपा की निर्वाचित जन प्रतिनिधि।
राष्ट्रीय जनता दल में कई जिला इकाइयों की ओर से आजकल बिस्तर पर किसी पुरूष के साथ पूनम की ऑलमोस्ट नंगी फोटो वायरल किया गया है। जिसे कई अन्य प्रदेशों में शेयर हो चुके हैं। जिसमें पूनम उस पुरूष के सीने से लिपटी हुई है। चेहरे पर संतुष्ट और आनन्द का स्पष्ट समन्दर की लहरों जैसा उछलता भाव है।
राजद की वैशाली इकाई ने फेसबुक पर उस फोटो को शेयर किया है। और देखते ही देखते उस वाल पर कमेंट्स की बौछार लग गयी। हालांकि चंद लोग ऐसे हैं जो ऐसी फोटो को सार्वजनिक करने पर ऐतराज दर्ज करा रहे हैं। लेकिन ज्यादातर तो उसे छिनार कह रहा है, तो कोई उसे रण्डी। कोई खुल कर गालियां दे रहा है तो मध्यम श्रेणी के भद्दे इशारे। किसी ने लिखा है कि:- "पूनम मेरी जान, आ जाओ एक बार छपरा, तो मजा आ जाए। पैसा ले लो, मजा दे दो"
लेकिन एक बात बताइये। ऐसी फोटो देख कर छिछोरा आनन्द लेना तो अलग बात है। लेकिन जरा खुद के गिरहबान में झांक कर देखिये तो, कि आखिर पूनम ने इसमें क्या गलत किया है। खुद से पूछिये ना कि क्या कोई महिला, भले ही वह एमएलए हो, क्या नैसर्गिक सहवास का आनन्द नहीं उठा सकती है?
जिस फोटो को सपा और राजद के लोग वायरल करा चुके हैं, वह तो उन दोनों के नितान्त निजी क्षणों की फाेटो हैं, जो कोई भी महिला अपने पति, प्रेमी जैसे किसे अति-विश्वसनीय व्यक्ति के साथ ही गुजारती है। अब अगर किसी ने या किन्हीं कारणों के चलते पूनम के उन नितान्त निजी पलों के दृश्यों को सार्वजनिक कर दिया तो उसमें पूनम का क्या दोष? माना कि पूनम एक जन-प्रतिनिधि है, लेकिन उसके पहले वह एक महिला भी तो है, जिसके भीतर वेग—आवेग उमड़ते हैं।
ऐसा न भी हो तो भी, क्या किसी महिला को इस तरह नंगा करना राजनीतिक बेहूदगी और सार्वजनिक तौर पर द्रौपदी की तरह निर्वस्त्र करने जैसा कुकृत्य नहीं है।
कुमार सौवीर के फेसबुक वॉल से
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