ओम थानवी।
क्या कल्बे कबीर उर्फ़ कृष्ण कल्पित ने हिंदी की प्रतिष्ठित लेखिका और साहित्य-सम्पादक गगन गिल के नाम और काम पर कीचड़ उछाल कर यही नहीं किया है?
हिंदी समाज गगन गिल को 'एक दिन लौटेगी लड़की' और 'अंधेरे में बुद्ध' जैसे संग्रहों के काव्य या 'दिल्ली में उनींदे' के गद्य के लिए ही नहीं जानता, वामा और संडे ऑब्ज़र्वर में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान को भी लोग याद करते हैं। वे अप्रतिम साहित्यकार निर्मल वर्मा की पत्नी हैं, निर्मलजी के निधन के बाद वे दिल्ली के कोलाहल से दूर सिर्फ़ एकांत रचनाकर्म को अपना समय देती हैं। अकेली, सृजनरत महिला को कोई भद्दे और घिनौने शाब्दिक हमले का निशाना बनाए, ऐसा काम चूल से उखड़े दिमाग़ का व्यक्ति ही कर सकता है।
कल्पित को मैं जयपुर के दिनों से जानता हूँ। यह भी कि जब से वे जेल से छूट कर आए (सीबीआइ ने उन्हें उनके दूरदर्शन कार्यालय में रिश्वत लेते रंगे-हाथों पकड़ा था) तब से उनमें अजीब कुंठा पनपी है। शराब पर "सूक्तियाँ" लिखते हैं, लोगों के बीच खोई जगह बनाने की गरज से लेखकों के साथ तसवीरें खिंचवा कर फ़ेसबुक पर लगाते हैं। पर दूसरे लेखकों पर कीचड़ उछालने से उन्हें क्या हासिल होता है? अशोक वाजपेयी, पुरुषोत्तम अग्रवाल आदि अनेक लेखकों पर उन्होंने कीचड़ उछाला है। यह कपोल-कल्पित बात उड़ा कर कि मुझ पर कवि पंकज सिंह ने हमला किया, अपने ही मित्र पंकज सिंह को भी बदनाम किया था।
गगन गिल के बारे में कल्पित ने यहाँ तक लिखा कि गगनजी की कविताएँ अनिल जनविजय लिखते थे। इस मूर्खतापूर्ण कथन की निंदा होने पर जनविजय ने इसका खंडन किया, यह कहते हुए कि जब सहपाठी थे तब सिर्फ़ तब उन्होंने शरारतन ऐसा किया था, जिसका गगन गिल ने बुरा माना। पर अनिलजी को एक लेखिका और सहपाठी पर उनका नाम लेकर किए गए हमले की निंदा नहीं करनी चाहिए? हिंदी समुदाय भी ऐसी क्षुद्र और क्रूर घटनाओं को कमोबेश मूक दर्शक बनकर तमाशे के रूप में कब तक देखता रहेगा?
अच्छी बात है कि गगन गिल के ख़िलाफ़ फ़रज़ी नाम से किए गए कृष्ण कल्पित के मर्दवादी कुकृत्य की मंगलेश डबराल, असद ज़ैदी, अलका सरावगी, गोपेश्वर सिंह, प्रियदर्शन आदि लेखकों ने भर्त्सना की है। मगर यह काफ़ी नहीं। लेखकों के अधिकारों के लड़ने वाले लेखक संघ एक महिला लेखिका के अपमान पर क्यों चुप हैं?
गगन गिल फ़ेसबुक पर नहीं हैं, पर उन्होंने बताया कि 'कल्बे कबीर' की करतूतों के स्क्रीन शॉट जमा कर वे फ़ौज़दरी मुक़दमा दायर करने जा रही हैं। उनके जुझारू जज़्बे की तारीफ़ करनी चाहिए।
फेसबुक वाल से।
Comments