ममता यादव
मिसालें बहुत मिलती हैं लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनका जीवन ही प्रेरणा होता है। कहते हैं शिक्षा की रोशनी से बड़ी कोई चीज नहीं होती और अगर कोई किसी भटकते इंसान या बच्चे को सही शिक्षा दे तो उसका जीवन संवर जाता है। लेकिन उन लोगों को शिक्षा की रोशनी देना जो इस दुनियां के न तो रंगों से वाकिफ हैं न उजालों से,जिनकी आंखें इस दुनियां को देख नहीं सकतीं अपने आप में विरला और प्रेरणात्मक काम है,ऐसा ही कुछ कर रही हैं अनिता शर्मा। इंदौर की रहने वाली अनिता शर्मा पिछले पांच सालों से नि:शुल्क रिकार्डिंग कर रही हैं दृष्टिबाधित बच्चों और युवाओं की शिक्षा में मदद करने के लिये। इनके पढ़ाये हुये कई बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में सिलेक्ट हो चुके हैं और कई तैयारी कर रहे हैं।
सन 1964 में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी अनीता का बचपन बनारस में गुजरा। परिवार में शैक्षणिक माहौल होने के साथ—साथ माता—पिता किसी न किसी समाजसेवा के कार्य में लगे रहते थे। इसलिये वहां से प्रेरणा मिलना स्वभाविक था इस प्रेरणा को मूर्तरूप देने का काम किया स्वामी विवेकानंद के साहित्य ने। शादी के बाद इंदौर आईं अनिता को पति अपने मिजाज के अनुसार मिले लेकिन ट्रांसफरेबल नौकरी होने के कारण कई शहरों में रहना पड़ा सो अनिता जहां रहतीं वहां के अनाथ आश्रमों और वृद्धाश्रमों में जाती रहीं और जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाती थीं।
अनिता के इस काम को दिशा और उद्देश्य मिला सन् 2011 में जब यहां उनकी मुलाक़ात महेश दृष्टीहीन संघ की संगीत शिक्षिका विपुला से हुई। विपुला ने अनिता से उनके स्कूल के दृष्टिहीन बच्चों को पढ़ाने के लिये कहा,जिस पर अनिता ने हामी भरी और दूसरे दिन पहुंच गईं महेश दृष्टीहीन संघ पहुँच गयीं। यहां उन्होंने दृष्टिबाधित लड़कियों को पढ़ाना शुरू किया इस काम को करने में इन्हें मजा आया और वे हर दूसरे दिन वहां पढ़ाने जाने लगीं। इस दौरान अनीता को महसूस हुआ कि जहाँ एक तरफ ये लड़कियां जी-जान से मेहनत कर अपनी ज़िदगी में कुछ करना चाहती हैं वहीं समाज का रवैया इन लोगों के प्रति उदासीनता भरा है। इसके बाद अनिता ने तये किया कि वे अपना जीवन दृष्टिबाधित लोगों की सेवा में अर्पित कर देंगी।
उन्होंने दृष्टीबाधित बालिकाओं को नियमित तौर पर पढ़ाना शुरू कर दिया और फिर धीरे-धीरे वह उनकी पढ़ाई को सरल बनाने के लिये पाठ्य सामग्री की रिकार्डिंग अपनी आवाज़ में शुरू कर दी। इस रिकॉर्डिंग से ब्लाइंड बच्चों को शिक्षा में काफी मदद मिलने लगी और वर्ड ऑफ़ माउथ से बहुत से बच्चे इस बारे में जान गए। नतीजा ये हुआ कि इंदौर ही नहीं आस-पास के क्षेत्रों और पूरे भारत से द्दृष्टिहीन बच्चे उनके संपर्क में आने लगे और अपने-अपने पाठ्यक्रम रिकॉर्ड कराने लगे। अनिता के पास रेडियो जॉकी बनने और मूवीज में डबिंग करने का भी विकल्प था लेकिन उन्होंने अपनी आवाज़ इन अंधेरे से जूझती जिंदगियों को रोशन करने में लगा दी। अनिता के इस काम से प्रभावित होकर भारत के पहले दृष्टीबाधित कमिशनर, पी के पिंचा ने उन्हें खुद फोन कर प्रोत्साहित किया।
अनिता के इस काम को गति मिली दिल्ली आई वे संस्था से मिलने के बाद। आई वे ने उनके काम को नोटिस किया और उनका इंटरव्यु “रौशनी का कारवां” नामक प्रोग्राम के माध्यम से विविध भारती पर प्रसारित किया जिसे भारत के विभिन्न राज्यों के 35 शहरों में सुना गया। इसी प्रकार इन्टरनेट रेडियो, “ रडियो उड़ान” पर भी अनीता जी का इंटरव्यू प्रसारित किया गया। इन कार्यक्रमों के बाद और भी कई बच्चे उन्हें जान गए और उनसे विभिन्न विषयों और प्रतियोगी परिक्षाओं के लिये रिकॉर्डिंग कराने लगे। इसका नतीजा ये हुआ कि कुछ बच्चे आईएएस कुछ बैंक पीओ और कुछ लेक्चररशिप आदि के लिये चयनित भी हुये और अपनी सफलता का श्रेय वे अनिता को देते हैं।
अनीता अधिक से अधिक दृष्टिबाधित लोगों की मदद करना चाहतीं थी,इसलिए 2012 में उन्होंने अपना एक यूट्यूब चैनल शुरू किया जिसपर वो अपनी आवाज़ में अलग-अलग विषयों के स्टडी मटेरियल रिकॉर्ड करके अपलोड करती हैं।
इसके अलावा उन्होंने इसी साल 12 जनवरी 2015 को स्वामी विवेकानंद की जयंती पर वॉइस फॉर ब्लाइंड क्लब बनाया है जिसका उद्देश्य दृष्टीबाधित लोगों को शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना है। इस क्लब के विभिन्न शहरों से 100 से अधिक सदस्य हैं जो दृष्टिबाधित लोगों की सेवा में तत्पर हैं। अनिता ने 47 साल की की उम्र में समर्पित भाव से दृष्टिबाधित बच्चों के लिए काम करना शुरू किया और पांच साल के अन्दर वो हज़ारों ऐसे बच्चों की मार्गदर्शक टीचर बनीं जो दृष्टिबाधित हैं।
कला समूह से स्नातक होने के कारण अनिता का टेक्नॉलॉजी से कोई खास राब्ता—वासता नहीं रहा लेकिन इन बच्चों की मदद के जज्बे
ने उन्हें तकनीक से जुड़ने और सीखने के लिये प्रेरित किया।
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अनिता नेत्रहीन बच्चों द्वारा भेजी गयी किताबों व अन्य पाठ्य सामग्रियों जैसे बैंक, आई ए एस, पी सी एस, रेल , यूजीसी नेट सम्बंधित कोर्स मटेरियल को अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड करती हैं और उसकी सीडी बना कर उन्हें भेजती हैं। पिछले 5 सालों में उनके इस काम से हजारों बच्चे लाभान्वित हो चुके हैं। इस काम में अब उनकी मदद अलग—अलग शहरों में रहने वाले वॉइस फॉर ब्लाइंड क्लब के सदस्य भी कर रहे इस काम में उन्हें IIT, Chennai के volunteer से भी मदद मिल रही है।
अपने YouTube channel पर सामान्य ज्ञान, इतिहास, भूगोल, प्रतियोगी परीक्षाओं और अन्य विषयों की रिकॉर्डिंग शेयर करती हैं। इससे ना सिर्फ दृष्टिहीन बल्कि सामान्य विद्यार्थी भी लाभान्वित होते हैं। आज उनके चैनल पर 10,000 से अधिक सब्सक्राइर्स हैं और उनके वीडियोज को 14 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है।
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अनीता क्लब के सदस्यों की मदद से दृष्टिबाधित विद्यार्थियों को परीक्षा में scribe (वो व्यक्ति जो दृष्टिबाधित विद्यार्थी के साथ परीक्षा में बैठ कर उसके बताये उत्तर लिखता है) उपलब्ध कराने में मदद कर रही हैं। उनकी इस मुहिम से इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, गुणगाँव आदि शहरों में विद्यार्थी लाभान्वित हो चुके हैं। उनके इस कार्य के प्रति लोगों को जागरूक बनाने के लिए बड़े-बड़े अखबारों और वेबसाइट्स पर भी इसकी चर्चा की जा चुकी है।
अनिता ने दृष्टिबाधितों और सामान्य लोगों को जागरूक करने के लिये अपना ब्लॉग रौशन सवेरा नाम से बनाया हुआ।
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वे रोज आने वाले समाचारों को अखबार में पढ़ती हैं और कुछ ज़रूरी ख़बरों की रिकॉर्डिंग करके व्हाट्सएप पर शेयर करती हैं। उनके ग्रुप का नाम है- “Voice for blind” और मोबाइल नंबर है – 09410480858। कुछ ही समय बनाये गये इस ग्रुप से हज़ारों लोगों को लाभ पहुँच रहा है। अनिता कहती हैं कि इस ग्रुप को कोई भी ज्वाइन कर सकता है।
अनिता ने पढ़ाई को और आसान करने के लिये बैंगलोर के मित्र ज्योति फाउंडेशन से हाल ही में डेजी की ट्रेनिंग भी ली है। अनिता कहती हैं कि डेजी फॉरमेट से किसी भी ऑडियो बुक को पढ़ना आसान हो जाता है। इस संस्था की फाउंडर मधु भी दृष्टिबाधित हैं।
अनिता की आवाज से इन्होंने की मिसाल कायम
अजय, आई ए एस में चयनित
रश्मी चौरे, यूनियन बैंक, इंदौर में चयनित
गीतेश गहलोत, स्टेट बैंक, इंदौर में क्लर्क
इंदु, स्टेट बैंक, जबलपुर में पी ओ
रजनी शर्मा, ओरियंटल बैंक, भोपाल में चयनित
सुरेश, राजस्थान में टीचर
अनुराधा, छत्तिगढ में लेक्चरर ,
प्रकाश, छत्तिसगढ में अध्यापक ,
विकास पारिख, टाटा कंपनी, मुंबई में कार्यरत
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