प्रेरणा:वीवा एंड दीवा ने बनाया लक्ष्मी को अपना फैशन ब्रोड एंबेसडर

वामा            Jan 16, 2016


मल्हार मीडिया डेस्क एसिड अटैक पीढ़िता लक्ष्मी का साहस सलाम करने लायक है इसमें कोई दो राय नहीं है। इसयिे भारतीय फ़ैशन के एक खुदरा ब्रांड ने एसिड अटैक पीड़िता और कैंपेनर लक्ष्मी को महिलाओं के लिए अपने नए डिज़ाइनर कपड़ों के प्रचार का चेहरा बनाया है। इस कैंपेन का नाम दिया गया है 'साहस का चेहरा'। लक्ष्मी 15 साल की थीं जब 32 साल के एक व्यक्ति ने शादी का प्रस्ताव ठुकराने पर उन पर एसिड फेंक दिया था। उस वाक़्ये को याद कर लक्ष्मी कहती हैं, पहले तो मुझे थोड़ा ठंडा लगा, लेकिन फिर तेज़ जलन हुई। बाद में वह पानी जैसी चीज़ मेरी चमड़ी को पिघलाने लगी। इसके बाद लक्ष्मी भारत में एसिड की बे रोकटोक बिक्री रोकने और एसिड अटैक करने वालों को कड़ी सज़ा दिलाने के लिए लड़ने वाली मुखर आवाज़ बन गईं। लक्ष्मी ने बीबीसी को बताया,कपड़े के ब्रांड का चेहरा बनना मेरे लिए एक मौक़ा है ताकि मैं अपनी जैसी दूसरी महिलाओं के लिए हिम्मत और साहस का एक उदाहरण बन सकूं। उन्होंने कहा, यह मेरे लिए एक मंच भी है जहां से मैं अपराधियों को यह संदेश दे सकती हूं कि भले ही महिलाओं पर हुआ एसिड हमला उनकी सुंदरता बिगाड़ दे पर वे अपनी हिम्मत नहीं हारेंगी। एसिड सर्वाइवर ट्रस्ट इंटरनेशनल के एक अनुमान के अनुसार, केवल भारत में ही एक साल में लगभग 1,000 एसिड अटैक होते हैं लेकिन इनमें से कई घटनाओं की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं होती। इसके बावजूद देश में एसिड हमले करने वालों को सज़ा देने के लिए कोई निश्चित क़ानून नहीं है। वीवा एंड दीवा के सह-संस्थापक रूपेश झावर ने बीबीसी को बताया कि एसिड अटैक की पीड़ितों को लेकर बने एक कैलेंडर को देखकर उन्हें लक्ष्मी के साथ कैंपेन करने का विचार आया। रूपेश कहते हैं, मुझे लगता है कि हमें रोज़ कैमरे के सामने बेदाग़ चेहरे वाली फ़ैशन मॉडलों को देखने की आदत है, लेकिन ये तस्वीरें तकलीफ़देह भी हैं और आपको साहस भी देती हैं। रूपेश कहते हैं, हमने एक अलग तरह की सुंदरता देखी और हम उसे कैमरे में क़ैद करना चाहते थे - उन आंखों से पीड़ित होने का दाग़ हटा कर उन्हें एक मंच देना चाहते थे, एक आजीविका देना चाहते थे, एक ऐसा ज़रिया देना चाहते थे जहां वे स्टाइल से ख़ुद को प्रस्तुत कर सकें। साभार बीबीसी


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