बदलाव:हिना जहीर और मारिया फजल बनीं उत्तरप्रदेश की शहर काजी
वामा
Feb 25, 2016
मल्हार मीडिया ब्यूरो।
जहांआरा के नक्श-ए-कदम पर चलते हुए बुधवार को शिया मसलक से डॉ. हिना जहीर नकवी और सुन्नी मसलक से मारिया फजल ने उत्तर प्रदेश की पहली महिला शहर काजी का ओहदा संभाल लिया। इनके नामों का ऐलान चमनगंज में ऑल इण्डिया मुस्लिम वुमेन बोर्ड की बैठक में बोर्ड की सदर सैय्यदा तबस्सुम बेगम ने किया।
जहांआरा ने हाल ही में महाराष्ट्र के दारुल उलूम निसवां से काजियत का कोर्स पूरा किया था, इसके बाद वह राजस्थान की पहली महिला शहर काजी बनी थीं। इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए ऑल इण्डिया वुमेन मुस्लिम बोर्ड ने पहले सुन्नी उलमा काउंसिल के माध्यम से इसके लिए आवेदन मांगे और फिर पूरी जिम्मेदारी खुद संभालते हुए दो नामों का चयन किया। चयन का आधार मजहबी और दुनियाबी तालीम रखा गया।
शहरकाजी के लिए जो आवेदन आए थे उनमें ज्यादातर के पास केवल मजहबी डिग्रियां थीं। चयन में उनको ज्यादा अहमियत दी गयी जिनके पास दुनियाबी तालीम भी थी, ताकि वह बेहतर तरीके से समाज की ख्वातीन तक पहुंच सकें।
बोर्ड की सदर ने कहा कि डॉ. हिना जहीर नकवी जाकिरा (धार्मिक प्रचारक) हैं और उनके पास पीएचडी की डिग्री है। उनकी समाज में पहचान है। इसी तरह मारिया फजल के पास आलिमा की डिग्री के साथ सीएसजेएमयू से स्नातक की डिग्री भी है और कान्वेंट एजुकेटेड हैं।
ऐलान के बाद बैठक में मौजूद ख्वातीन (महिलाओं) ने मारिया फजल की गुलपोशी की। डॉ. हिना संस्थान में होने की वजह से नहीं आ सकीं। उन्हें फोन करके मुबारकबाद दी गई। सदर सैय्यदा तबस्सुम बेगम ने अपनी सदारती तकरीर में कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि ख्वातीन में मजहबी और असरी (दुनियाबी) तालीम को पहुंचाया जाए। इसके लिए मर्द और औरत दोनों को ही जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी। महिला शहर काजियान महिलाओं को पूरा अधिकार दिलाने में मददगार होंगी।
नवनियुक्त शिया शहर काजी डॉ. हिना जहीर नकवी ने बताया कि मसलकी इत्तेहाद दिखाते हुए सियासी नहीं बल्कि समाजी तौर पर काम अंजाम दिए जाएंगे। हम चाहते हैं कि इस्लाम ने महिलाओं को जो दर्जा दिया है, वह उन्हें दिला सकें। उनके जज्बात का ख्याल रखेंगे। निकाह पढ़ाने की जिम्मेदारी जिसकी है वही अंजाम देगा लेकिन रिश्तों को टूटने से बचाने का जिम्मा जरूर संभालेंगे। महिलाएं सिर्फ घर की जीनत नहीं बल्कि आला मुकाम तक पहुंचेंगी। पुरुष शहर काजियों के बाबत उन्होंने कहा कि वे सभी की इज्जत करती हैं। इस विवाद में नहीं पड़ना चाहिए।
नव नियुक्त सुन्नी शहर काजी मारिया फजल ने कहा कि हमने कान्वेंट में पढ़ा है। हमारे पास मजहबी नॉलेज भी है। हमारी कोशिश रहेगी कि खासतौर से नई पीढ़ी को इल्म की शमां से रोशन रखा जाए। इस्लाम ने औरत को जो मुकाम दिया है उसका हक उसे नहीं मिल पा रहा है। अगर औरत के पास तालीम है तो यकीनन उसका परिवार तरक्की करेगा। मजहबी नॉलेज होने से इंसान में तहजीब पैदा होती है। बुराइयां दूर भागती हैं। आगे बोर्ड जो भी तरीक-ए-कार बताएगा उससे आगे बढ़ाया जाएगा।
दो महिला शहर काजियों के बनने के बाद अपना नगर काजियों का शहर बन गया है। मौजूदा वक्त में जो शहर काजी हैं, वह हैं-मुफ्ती मंजूर अहमद मजाहिरी, मौलाना आलम रजा नूरी, मौलाना रियाज अहमद हशमती, मौलाना कमर शाहजहांपूरी, मौलाना चांद मियां, मौलाना मतीनुल हक ओसामा कासिमी (कार्यवाहक), मौलाना कुद्दूस हादी, हाफिज मामूर जामई (मौलाना ओसामा के नायब), मौलाना अली अब्बास खां नजफी, मौलाना हामिद हुसैन और अब डॉ. हिना जहीर नकवी, मारिया फजल।
काजी इस्लामी शासन में जज के ओहदे को कहते हैं। इस्लामी कानून के हिसाब से काजी फैसले करते हैं। लोकतांत्रिक देशों में एसी व्यवस्था नहीं है लेकिन मुफ्ती और काजी शरई पंचायतों के जरिए निकाह-तलाक आदि से जुड़े मामलों की सुनवाई कर फैसला देते हैं। पर यह अधिकार दोनों पक्षों के पास रहता है कि वे चाहें तो देश की अदालतों में जा सकते हैं। काजी एक्ट भी है जो अभी तक प्रभावी है। पर उत्तर प्रदेश में इससे जुड़े वाद न के बराबर हैं। आलिम, मुफ्ती और काजी की डिग्री मदरसे देते हैं। इसकी योग्यता और प्रक्रिया को लेकर समाज में खूब मतभेद हैं।
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