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बिना हाथ के किया बीएड, गांव वालों ने दी थी सलाह मार डालो इसे

वामा            Oct 16, 2015


अमरोहा से महिपाल सिंह जब रेखा छ: साल की ​थीं तब एक हादसे में उनके दोनो हाथ कट गये। घर वाले दुखी थे गांव वालों ने परिवार को जहर का इंजेक्शन देकर मारने की सलाह दी ताकि परिवार पर बोझ न पड़े लेकिन परिवार ने बेटी को हौसला दिया और रेखा ने भी हिम्मत दिखाई। इसी हौसले और हिम्मत का परिणाम है कि रेखा आज एमए करने के बाद बीएड कर चुकी हैं और अब नौकरी की तलाश में हैं। रेखा शिक्षिका बनना चाहती हैं। उनका कहना है कि अभी तक की पढ़ाई उन्होंने बिना किसी सरकारी सहायता के की है। रेखा बताती हैं कि जब स्कूल जाना शुरू किया तो लिखने की समस्या थी इसलिये प​हले पैर से लिखने का प्रयास किया लेकिन यह बहुत आरामदायक नहीं था तो मुंह से लिखने का अभ्यास किया और बीएड तक की पढ़ाई की। उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के हसनपुर इलाके के गांव रजोहा की रहने वाली रेखा के पिता विजयपाल चौहान किसान हैं। अब रेखा शिक्षक बनना चाहती है ताकि वो अपने जैसे बच्चों को पढ़ा सके और उनका जीवन पथ पर मार्गदर्शन कर सके। रेखा के पिताजी बताते हैं कि छ साल की उम्र में रेखा के दोनों हाथ कट जाने के बाद गांव के लोगो ने रेखा को जहर का इंजेक्शन देकर मारने की सलाह तक दी पर हमने हिम्मत नहीं हारी।


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