मां की चि‍ता को मुखाग्निी देने की सजा,भाई-भतीजे ने कर दी महिला सरपंच की हत्या

वामा            Apr 08, 2016


रायपुर मल्हार मीडिया ब्यूरो। छत्तीसगढ़ राजधानी रायपुर में एक महिला सरपंच ने अपनी मां की आखिरी इच्छा को पूरा करने के लिए अपना जीवन खो दिया।दरअसल 31 मार्च को समाज की रस्मों के विरुद्ध महिला सरपंच ने अपनी मां की अंतिम ख्वाहिश को पूरा करने के लिए उनकी चिता को मुखाग्नि दी थी, जिससे नाराज होकर महिला के बड़े भाई और भतीजे ने उसकी हत्या कर दी। जानकारी के मुताबिक धरसींवा की सिलयारी चौकी के अंतर्गत राजधानी से तीस किमी दूर ग्राम मोहदा में पंचायत की महिला सरपंच गीता प्रहलाद की हत्या उसी के भाई और भतीजे ने कुल्हाड़ी और रपली मारकर कर दी। दरअसल, गीता ने अपनी मां की अंतिम इच्छा के मुताबिक उनके शव को मुखाग्नि दी थी। इससे गुस्साए भाई संतोष उर्फ तेजराम वर्मा ने गीता को मार डाला। पुलिस ने महिला सरपंच की हत्या के आरोप में तेजराम और उसके बेटे को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने जानकारी दी गुरुवार सुबह करीब 11 बजे गीता परिवार की अन्य महिलाओं के साथ तिजनाहवन के लिए तालाब जा रही थी। तेजराम कुल्हाड़ी लेकर और भतीजा पियूष रपली लेकर अचानक वहां पहुंचे और बाजार चौक के पास गीता के सिर पर ताबड़तोड़ आधा दर्जन से अधिक वार कर दिए। गीता की मौके पर ही मौत हो गई। अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक गीता की बेटी खुशबू ने बताया कि तेजराम अपनी बूढ़ी मां को घर से निकाल चुका था पुलिस के मुताबिक रायपुर-बिलासपुर मार्ग पर स्थित ग्राम तरपोंगी से एक किमी दूर ग्राम मोहदा में सुरुजबाई वर्मा (85) को उसके बेटे तेजराम वर्मा (खुमू) ने पारिवारिक अनबन के कारण 22 साल पहले घर से निकाल दिया था। तब से सुरुजबाई अपनी बड़ी बेटी गीता प्रहलाद (46) के पास रहती थी। इसी बीच सुरुजबाई का मंगलवार को निधन हो गया। गीता द्वारा उनकी अर्थी को कांधा और चिता को मुखाग्नि देने की खबर तमाम समाचार पत्रों और न्यूज चैनल में आने के बाद गीता का भाई तेजराम वर्मा और उसका बेटा पियूष (20) काफी गुस्से में थे। गीत के पति अनिरूद्ध सिंह से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि गीता का उसके भाईयों से संपत्ति को लेकर भी कोई झगड़ा नहीं था क्योंकि उसने कभी भी संपत्ति में अपने हिस्से की मांग नहीं की। गीता के किए से संतोष के अहंकार को चोट लगी है। इसलिए उसने मेरी पत्नी की हत्या करने के बाद चिल्ला-चिल्ला कर कहा कि मां के अंतिम संस्कार पर उसका अधिकार था। केवल इतना ही नहीं संतोष ने गीता की हत्या के बाद उनकी बेटी सीता और पति अनिरूद्ध पर भी जानलेवा हमला किया।


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