यहां लड़कियों के लिये वजीफे की शर्त है कुंवारापन

वामा            Feb 11, 2016


मल्हार मीडिया डेस्क अफ्रीका में लड़कियों को वजीफा दिये जाने की शर्त की मानवाधिकार संगठनों द्वारा आलोचना की जा रही है। कारण इस स्कीम में कुंवारापन साबित करने पर ही लड़कियों को छात्रवृत्ति दी जाती है। यह स्कीम क्वाज़ुलु-नटाल के एमसीशीनी गांव के एक स्कूल में शुरू की गई है। इस बारे में अधिक जानकारी जुटाने के लिए बीबीसी संवाददाता नोमसा मासेको ने उस स्कूल का दौरा किया और छात्रों से बातचीत की। इस स्कॉलरशिप को पाने वाली 18 साल की थूबेलीहली ड्लोड्लो काफी ख़ुश हैं। ड्लोड्लो कहती हैं कि उन्हें ऐसा करना ही पड़ेगा क्योंकि उनके माता-पिता पढ़ाई का ख़र्च नहीं उठा सकते। लेकिन ड्लोड्लो का कहना है कि वह घर से निकलते हुए डरती हैं क्योंकि उनके लिए कुंवारापन बरकरार रखना ज़रूरी है। उनके मुताबिक फंड का पैसा लगातार मिलते रहने के लिए उन्हें समय-समय पर कुंवारेपन की जांच करानी पड़ेगी। लेकिन हैरानी की बात है कि थूबेलीहली ड्लोड्लो को इससे ऐतराज़ नहीं है। ड्लोड्लो के मुताबिक कुंवारेपन की जांच उनके संस्कृति का हिस्सा है और वह इसे अपने निजता का हनन नहीं मानती हैं। वह कहती हैं कि हर बार जांच के बाद खुद को 'वर्जिन' साबित करने पर वो काफी गर्व महसूस करती हैं। वैसे दक्षिण अफ्रीका में सेक्स की इजाज़त 16 साल की उम्र में ही मिल जाती है, लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओं का तर्क है कि ऐसी जांच निजता का हनन है। उनका कहना है कि शिक्षा के अवसर और सेक्स को जोड़कर देखना सही नहीं है। पीपल अपोज़िंग वुमन अब्यूज़' ग्रुप की पालेसा मपापा के मुताबिक प्रशासन केवल ऐसी बातों पर ध्यान दे रहा है। जबकि चिंता की बात है कि टीनेज प्रेगनेंसी और एचआईवी जैसे मुद्दों पर चर्चा नहीं की जाती। इस छात्रवृत्ति को शुरू करने वाली महिला मेयर डूडू माज़ीबुको इस तर्क से सहमत नहीं। वह कहती हैं कि ये छात्रवृत्ति कोई रिवॉर्ड नहीं, बल्कि एक लड़की की ज़िंदगी भर की पूंजी है। उनका कहना है कि जो लड़कियां अलग सोच रखती हैं उनकी आलोचना नहीं की जाती बल्कि उनके लिए दूसरे स्कॉलरशिप के प्रावधान हैं। काउंसिल 100 से अधिक किस्म के स्कॉलरशिप बांटती है, जिनमें 16 कुंवारी लड़कियों को दी गई हैं।


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